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पाबंदी के बाद राज्य सरकार ने पुलिस कमिश्नर और मजिस्ट्रेट को दिया पीएफआई पर कार्रवाई का अधिकार
डिजिटल डेस्क, मुंबई। पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और उससे जुड़े संगठनों पर केंद्र सरकार की पाबंदी के बाद अब राज्य सरकार ने भी पुलिस आयुक्तों, पुलिस अधीक्षकों और जिला मजिस्ट्रेट को अपने क्षेत्र में कार्रवाई के अधिकार दे दिए हैं। गृह विभाग के प्रमुख सचिव संजय सक्सेना ने अवैध गतिविधि प्रतिबंधक कानून (यूएपीए) कानून की धारा 42 के तहत आदेश जारी करते हुए उपरोक्त अधिकारियों को पीएफआई उससे जुड़े संगठनों और लोगों के खिलाफ यूएपीए की धारा 7 और 8 के तहत कार्रवाई का अधिकार दिया है। पीएफआई के साथ संबंधित अधिकारियों को रिहैब इंडिया फाउंडेशन, कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया, ऑल इंडिया इमाम्स काउंसिल, नेशनल कान्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गेनाइजेशन, नेशनल वुमन फ्रंट, जूनियर फ्रंट, इंपावर इंडिया फाउंडेशन और रिहैब फाउंडेशन केरला के खिलाफ कार्रवाई का भी अधिकार दिया है।
सदस्यों को नफरती वारदातों के लिए उकसा रही थी पीएफआई-एटीएस
महाराष्ट्र एटीएस प्रमुख विनीत अग्रवाल ने कहा है कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया अपने सदस्यों को नफरती वारदातों और चुनिंदा लोगों की हत्या के लिए उकसा रही थी। उन्होंने कहा कि संगठन पर पांच साल की पाबंदी के बाद जल्द ही हम उसके खाते फ्रीज (लेन देन बंद) कर देंगे। अग्रवाल ने गुरूवार को कहा कि पाबंदी के बाद संगठन खत्म हो गया है। छापेमारी की कार्रवाई उससे पहले की गई थी। अब उनके पास इकठ्ठा होने और विरोध करने का अधिकार नहीं है वे केवल अदालत में फैसले को चुनौती दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि पकड़े गए आरोपियों से जुड़ी जानकारी इकठ्ठी की जा रही है। फिलहाल जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक पीएफआई 2047 तक देश को इस्लामिक राष्ट्र बनाने के लिए काम कर रही थी।
Created On :   29 Sept 2022 10:04 PM IST