बीमा एजेंट की मौत के बाद पत्नी को नहीं मिला क्लेम

After the death of the insurance agent, the wife did not get the claim
बीमा एजेंट की मौत के बाद पत्नी को नहीं मिला क्लेम
नियमों का हवाला देकर किया जा रहा गोलमाल बीमा एजेंट की मौत के बाद पत्नी को नहीं मिला क्लेम

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। बीमा कंपनी प्रीमियम जमा होने के पूर्व तक पॉलिसीधारकों के लिए 24 घंटे व सातों दिन सुविधा देने की बात करती है, पर जमीनी हकीकत में आकलन किया जाए तो भुगतान होने के बाद वे अपने ग्राहकों को भूल जाते हैं। अस्पताल में इलाज के लिए उन्हें दर-दर भटकना पड़ता है। अगर किसी अस्पताल में इलाज मिल जाए तो वहाँ पर कैशलेस नहीं किया जाता है। कैशलेस नहीं किए जाने के कारण पॉलिसीधारकों को खुद ही सारा भुगतान करना पड़ता है। ठीक होने के बाद जब बीमित सारे बिल बीमा कंपनी में क्लेम के लिए सबमिट करता है तो उनमें अनेक तरह से क्वेरी निकाली जाने लगती हैं। बीमा अधिकारियों द्वारा जल्द क्लेम सैटल करने का दावा तो किया जाता है, पर नो क्लेम का लैटर भेज दिया जाता है और उसके बाद बीमा अधिकारी फोन भी रिसीव करना बंद कर देते हैं।

इन कंपनियों के द्वारा किया जा रहा हेल्थबीमा

आदित्य बिरला हेल्थ इंश्योरेंस, भारती हेल्थ इंश्योरेंस, केयर हेल्थ इंश्योरेंस (पहले का नाम रेलिगर हेल्थ इंश्योरेंस), चोला एमएस हेल्थ इंश्योरेंस, डिजिट हेल्थ इंश्योरेंस, फ्यूचर हेल्थ इंश्योरेंस, एचडीएफसी एर्गो जनरल हेल्थ इंश्योरेंस, एचडीएफसी एर्गो हेल्थ इंश्योरेंस (पहले का नाम अपोलो म्युनिक हेल्थ इंश्योरेंस), आईएफएफसीओ टोक्यो हेल्थ इंश्योरेंस, कोटक महिंद्रा हेल्थ इंश्योरेंस, लिबर्टी हेल्थ इंश्योरेंस, मैक्स बूपा हेल्थ इंश्योरेंस, मणिपालसिग्ना हेल्थ इंश्योरेंस, नेशनल हेल्थ इंश्योरेंस, न्यू इंडिया इंश्योरेंस, ओरिएण्टल हेल्थ इंश्योरेंस, रहेजा क्यूबीई हेल्थ इंश्योरेंस, रॉयल सुंदरम हेल्थ इंश्योरेंस, रिलांयस हेल्थ इंश्योरेंस, स्टार हेल्थ इंश्योरेंस, एसबीआई हेल्थ इंश्योरेंस, टाटा एआईजी हेल्थ इंश्योरेंस, यूनाइटेड इंडिया हेल्थ इंश्योरेंस, यूनिवर्सल सोम्पो हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी सहित अनेक कंपनियाँ हेल्थ इंश्योरेंस का कारोबार कर रही हैं और आम लोग प्रीमियम जमा कर पॉलिसी ले भी रहे हैं और जब बीमित को जरूरत पड़ती है तो उन्हें चक्कर लगाने मजबूर होना पड़ रहा है।

इन नंबरों पर बीमा से संबंधित समस्या बताएँ-

इस तरह की समस्या यदि आपके साथ भी है तो आप दैनिक भास्कर के मोबाइल नंबर -9425324184, 9425357204 पर बात करके प्रमाण सहित अपनी बात रख सकते हैं। संकट की इस घड़ी में भास्कर द्वारा आपकी आवाज को खबर के माध्यम से उचित मंच तक पहुँचाने का प्रयास किया जाएगा।

तीन साल से भटक रही अपने नाबालिग बेटे को लेकर महिला-

सतना जिले के मैहर कटरा बाजार निवासी शिल्पी गोयल ने अपनी शिकायत में बताया कि उसके पति एलआईसी में अभिकर्ता के रूप में कार्यरत थे। बीमा कंपनी के द्वारा ग्रुप पॉलिसी कराई गई थी। बीमा सालों से चलता आ रहा है और वर्ष 2018 में स्वास्थ्य खराब होने के कारण नागपुर के निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था और इसी बीच प्रीमियम जमा नहीं कर पाए और बीमा कंपनी के द्वारा प्रीमियम जमा करने की किसी तरह की सूचना भी नहीं दी। इलाज के दौरान पति की वर्ष 2019 में मौत हो गई थी। पति की मौत के बाद बीमा कंपनी में सारे दस्तावेज जमा किए गए थे तो बीमा कंपनी द्वारा पहले तो अनेक क्वेरी निकाली गईं और उसके बाद यह कहते हुए क्लेम रिजेक्ट कर दिया की आपकी प्रीमियम राशि जमा नहीं की गई, इसलिए हम क्लेम नहीं दे सकते हैं, जबकि पीड़िता का कहना है कि बीमा अधिकारियों के द्वारा हमारे साथ धोखा दिया जा रहा है। परेशान होकर पीड़िता ने बीमा नियामक आयोग सहित देश के प्रधानमंत्री तक को शिकायत की, पर जिम्मेदार उसके बाद भी किसी तरह का सहयोग नहीं दे रहे हैं। पीड़िता का कहना है कि मूल राशि जो जमा है वही हमारी ब्याज के साथ बीमा कंपनी लौटा दे, वहीं बीमा कंपनी के प्रतिनिधि से संपर्क किया गया तो उनका कहना था कि मृत्यु के दौरान उनका प्रीमियम जमा नहीं था, इसलिए क्लेम नहीं दिया गया है। 
 

 

Created On :   25 Jun 2022 6:05 PM IST

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