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मंत्री पद के बाद पालकमंत्री पद को लेकर भी नाराजगी के सुर,बाहर के मंत्रियों को मौका
डिजिटल डेस्क ,नागपुर। राज्य में महाविकास आघाड़ी की सरकार के गठन के बाद सत्ता से जुड़े लोगाें में नाराजगी दर नाराजगी सामने आ रही है। पहले मंत्री पद को लेकर नाराजगी थी। करीब एक माह के नाटकीय इंतजार के बाद मंत्री पद बंटे। अब पालकमंत्री पद को लेकर सुगबुगाहट है। बुधवार को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने पालकमंत्री तो नियुक्त कर दिए हैं लेकिन विविध जिलों में अन्य जिलों के मंत्री को यह पद मिलने को लेकर संबंधित जिले के मंत्री असहज हैं। हालांकि कोई भी खुलकर कुछ नहीं कह रहा है लेकिन सत्ता से जुड़े पदाधिकारियों की मानें तो राजी-नाराजगी का दौर थम नहीं रहा है।
गौरतलब है कि ठाकरे सरकार ने 36 जिलों के लिए पालकमंत्रियों की नियुक्ति कर दी है। राज्य में 43 मंत्री हैं। इनमें से 7 मंत्री पालकमंत्री पद पाने से वंचित हैं। 17 जिलों को उसी जिले का मंत्री पालकमंत्री के तौर पर मिला है। लेकिन 19 जिलों में बाहर के मंत्री नियुक्त किए गए हैं। जिन जिलों को स्थानीय पालकमंत्री मिला है उनमें नागपुर , अमरावती, बीड, बुलढाणा, चंद्रपुर, जलगांव, जालना, लातूर, बुलढाणा, नांदेड, नंदूरबार, नाशिक, पुणे, रायगढ़, सांगली, सातारा, ठाणे, यवतमाल शामिल है। पालकमंत्री पद से वंचित रहे मंत्रियों में 4 मंत्री राकांपा के हैं।
दो जिलों का पालकमंत्री
एक ओर 7 मंत्रियों को पालकमंत्री नहीं बनाया गया है,वहीं दूसरी ओर एक ही मंत्री को दो जिलों का पालकमंत्री नियुक्त किया गया है। सार्वजनिक उपक्रम मामलों के मंत्री एकनाथ शिंदे को ठाणे व गडचिरोली का पालकमंत्री बनाया गया है। नागपुर को स्थानीय मंत्री मिला है। ऊर्जा मंत्री डॉ.नितीन राऊत यहां के पालकमंत्री बने हैं। जिले के राकांपा के हेवीवेट नेता व गृहमंत्री अनिल देशमुख गोंदिया के पालकमंत्री बने हैं। जिले के ही कांग्रेस नेता व पशुसंवर्धन मंत्री सुनील केदार वर्धा के पालकमंत्री बने हैं। पालकमंत्री पद को लेकर विदर्भ में कोई असंतोष सामने आने की स्थिति नहींँहै। लेकिन मराठवाडा व कोंकण क्षेत्र में अंदरुनी असंतोष है।
Created On :   9 Jan 2020 4:11 PM IST