बड़े कारोबारी को असंगठित क्षेत्र का मजदूर बताकर संबल योजना से जोड़ा, नगर निगम का कारनामा

Again a unique wrongdoing with the Government scheme is came in light
बड़े कारोबारी को असंगठित क्षेत्र का मजदूर बताकर संबल योजना से जोड़ा, नगर निगम का कारनामा
बड़े कारोबारी को असंगठित क्षेत्र का मजदूर बताकर संबल योजना से जोड़ा, नगर निगम का कारनामा

डिजिटल डेस्क, सतना। एमपी चेंबर ऑफ कामर्स के एक्स- वाइस प्रेसीडेंट शहर के नामवर कारोबारियों की फेहरिस्त में शीर्ष पर शुमार और शहर की दो दर्जन से भी ज्यादा औद्योगिक एवं व्यावसायिक संस्थानों की प्रतिनिधि संस्था विंध्य चेबर आफ कामर्स के अध्यक्ष रह चुके कमलेश पटेल के व्यवसायी बेटे ऋषभ पटेल का नाम (समग्र आईडी: नंबर- 109032050) अगर नगर निगम के असंगठित क्षेत्र के पंजीकृत श्रमिकों (मुख्यमंत्री संबल योजना 2018) की लिस्ट में सरकारी हितलाभों के लिए शामिल हो तो इसमें, आखिर कसूर किसका है? मसला-संज्ञान में आने पर कमलेश पटेल भौंचक हैं।

उन्होंने दैनिक भास्कर से कहा कि हमें सरकार की ऐसी किसी योजना की जरुरत नहीं है। उन्होंने कहा कि जरुरत इस बात की है कि राज्य शासन की इस अति महत्वाकांक्षी योजना का लाभ हर वाजिब हकदार को मिले। चेंबर के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि निगमायुक्त को मामले की जांच कराकर दोषियों को दंडित करना चाहिए ताकि सरकारी योजनाओं का दुरुपयोग नहीं होने पाए।  

इतना ही नहीं : एक अंचभा ऐसा भी
अंधेरगर्दी का ये किस्सा यहीं खत्म नहीं होता है। असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को पंजीकृत करने के लिए हाल ही में नगर निगम की योजना शाखा द्वारा शहर के सभी 45 वार्डों में कराए गए सर्वे में ये बड़ी गफलत जिस वार्ड नंबर 25 में पकड़ में आई है,उसी वार्ड के पार्षद सुशील सिंह मुन्ना सिर्फ मेयर इन काउंसिंल के सदस्य ही नहीं हैं बल्कि एमआईसी में शहरी गरीबी उपशमन समिति के अध्यक्ष भी हैं। जब दिया तले ही अंधेरा है तो अंधेरगर्दी का शहर के दीगर वार्डों में क्या आलम होगा? अंदाजा सहजता से लगाया जा सकता है।

साफ है कि नगर निगम क्षेत्र में मध्यप्रदेश असंगठित कर्मकार कल्याण अधिनियम 2003 के अंतर्गत पंजीयन की पात्रता का सर्वे नगर निगम के बेलगाम अमले ने दफ्तर में बैठक कर सिर्फ समग्र आईडी के सॉफ्ट रिकार्ड को कॉपी-पेस्ट करके भ्रष्टाचार की एक और कहानी गढ़ दी है।

इनका कहना है
आपके जरिए ये मामला हमारे संज्ञान में आया है। अगर वास्तव में ऐसा है तो ये शासन की हितग्राही मूलक योजनाओं के साथ गंभीर मजाक है। इस मामले में निगम के कमिश्नर से चर्चा कर समूचे मामले की जांच कराई जाएगी। दोषी किसी भी हालत में बख्शे नहीं जाएंगे।
सुशील सिंह मुन्ना, एमआईसी मेंबर (शहरी गरीबी उपशमन समिति के अध्यक्ष)

 

Created On :   23 Aug 2018 8:58 AM GMT

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