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कृषि कानून रद्द नहीं हो सकता, कन्फ्यूज किसान मना लिए जाएंगे
डिजिटल डेस्क, नागपुर। किसान आंदोलन को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए भाजपा के प्रदेश महामंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा है कि कांग्रेस कन्फ्यूज करके ही राजनीति करते रहती है। किसानों काे भी कन्फ्यूज किया जा रहा है। लेकिन किसान जल्द ही कन्वेंस हो जाएंगे। केंद्र सरकार के कृषि कानून में मांग के अनुरुप सुधार के लिए सरकार तो पहले से ही तैयार है। लेेकिन इस कानून को रद्द नहीं किया जा सकता है। बावनकुले ने यह भी कहा कि राज्य में भी किसानों को उकसाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोध में आंदोलन खड़ा करने का प्रयास हो रहा है। कांग्रेस का यह प्रयास सफल नहीं हो पायेगा। असल में राज्य में कृषि उपज बाजार समितियों पर कांग्रेस का कब्जा है इसलिए फिलहाल कांग्रेस नेता आंदोलन के मामले में दरवाजा बंद करके बैठे हैं। सोमवार को पत्रकार वार्ता में बावनकुले बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि कृषि सुधार संबंधी तीनों नए कानून किसानों के हित में ही है। आधुनिक संसाधन के इस्तेमाल के साथ किसानों की आय बढ़ाने के प्रयास हो रहे है। कृषि उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य कायम रहेगा। राज्य में कांग्रेस के नेतृत्व की सरकार पहले ही इस तरह का कानून बना चुकी है। कांग्रेस के चुनाव घोषणापत्र में कृषि सुधार संबंधी जो कानून लाने का वचन दिया गया था उसी को केंद्र सरकार ने अमल में लाया है। राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने 2010 में केंद्रीय कृषिमंत्री रहते हुए मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर कृषि सुधार की उपाययोजना करने को कहा था। पवार के आत्मचरित्र में भी कृषि सुधार का उल्लेख है।
90 करोड़ रुपए मंत्रियों के बंगले पर खर्च
बावनकुले ने कहा कि राज्य में किसानों व आपदाप्रभावितों को राहत देने के मामले में सरकार आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने का दावा करती है। लेकिन मंत्रियों के बंगले के लिए 90 करोड रुपये खर्च करने में आर्थिक स्थिति का ध्यान नहीं रखा गया। मुख्यमंत्री आवास के कार्य में 3 करोड रुपये खर्च किए गए। राज्य सरकार ने महावितरण की स्थिति सुधारने के लिए इसी अधिवेशन में 10 हजार करोड रुपये का प्रावधान करना चाहिए।
फीडबैक के आधार पर आ रहे होंगे बयान
किसान आंदोलन में नक्सली या विदेशी सहयोग संबंधी बयानों पर बावनकुले ने कहा कि सरकार व मंत्रियों के पास विविध मामलों के फीडबैक आते रहते है। माना जा सकता है कि फीडबैक के आधार पर ही मंत्री के बयान आए होंगे। देश में केवल दो राज्यों में ही किसान आंदोलन हो रहे है। साफ समझा जा सकता है कि किसानों को कौन और क्यों उकसा रहे है। कोराडी में एक संस्था को जमीन देने के मामले में बावनकुले ने कहा कि पर्याप्त जानकारी के अभाव में आरोप लगाए जा रहे है। उच्चतम न्यायालय की अनुमति से संस्था को जमीन दी गई है। पत्रकार वार्ता में पूर्व विधायक मलिकार्जुन रेड्डी, राजीत पोतदार, आनंदराव राऊत, धर्मपाल मेश्राम, चंदन गोस्वामी, संध्या गोतमारे उपस्थित थे।
Created On :   14 Dec 2020 6:24 PM IST