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निराशा से बाहर निकालकर युवाओं को फ्री में प्रशिक्षण दे रही यह संस्था
डिजिटल डेस्क, वर्धा। कुछ लोग सपनों के लिए जीते हैं और उन्हें पूरा करने की कोशिश में पूरी जिंदगी बिता देते हैं, लेकिन कुछ इंसान ऐसे भी हैं, जो दूसरों के सपनों में नया रंग भरने में लगे रहते हैं। ऐसी ही संस्था है एग्रिंडस। वर्धा शहर के पवनार नदी स्थित मनोहरधाम आश्रम में एग्रिंड्स नामक संस्थान लगभग 35 छात्र-छात्रओं को नि:शुल्क प्रशिक्षण दे रही है। इस संस्था का लक्ष्य है ग्रामीण विकास के सपनों को साकार करना।
किसी भी सरकारी या गैर-सरकारी व संगठनों की परिभाषा से परे हटकर एग्रिंड्स नामक संस्थान देश में सबसे ज्यादा आत्महत्याओं के लिए अभिशप्त महाराष्ट्र राज्य के किसान परिवारों को निराशा से बाहर निकालकर आशा की किरण पहुंचाने में जी-जान से जुटा हुआ है। संस्थान के संचालक राष्ट्रीय संस्थान समिति, हैदराबाद के पूर्व उपाध्यक्ष और वरिष्ठ शिक्षाविद डॉ. टी करुणाकण ने बताया कि वर्धा, विदर्भ और मराठवाड़ा क्षेत्र के आत्महत्या से पीड़त किसान और गरीब परिवारों से चुने गए युवाओं को इस संस्थान में विज्ञान तथा परंपरा मिश्रित खेती के गुणों, ट्रैक्टर, ऑटो चालक, अंग्रेजी भाषा का ज्ञान और आध्यात्मिकता, कर्मठता के बोध का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। शुरुआत में यहां 40 बच्चे (लड़के-लड़कियां) आए परंतु द्वितीय सत्र में इनकी संख्या 35 हैं जो अलग-अलग 12 ग्रुपों में विभाजित हैं।
इन ग्रुपों का नामकरण महापुुरुषों, समाजसेवियों के नाम पर बच्चे खुद करते हैं। जैसे महात्मा गांधी ग्रुप, सावित्री बाई फुले ग्रुप, बिरसा मुंडा ग्रुप, बाबा आमटे, युवा शक्ति, स्मार्ट फारमर आदि ग्रुप बने हैं। यहां पर दो साल के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है खेती को व्यवसाय से जोड़ते हुए ग्रामीण विकास के सपने को साकार करना ही इसका उद्देश्य है। कृषि को जीने योग्य बनाना, उससे मुनाफा कमाना और खेती को सम्मानजनक रूप प्रदान करने में एग्रिंड्स लगा हुआ है। इस संस्थान में युवाओं को ट्रिपल फोर के सिद्धांत पर प्रशिक्षण दिया जाता है। इस संस्थान में युवाओं को 4 घंटे थ्योरी, 4 घंटे प्रैक्टिकल और 4 घंटे व्यक्तित्व विकास की कक्षाओं के अंतर्गत चुने गए युवाओं का कौशल विकास किया जाता है। एग्रिंड्स तथा इसके संस्थापक डॉ. टी. करुणाकरण को उम्मीद है कि मूल्यवर्धित कृषि, फूड प्रोसेसिंग, एलईडी बल्ब और फिनाइल निर्माण और मोबाइल मार्केटिंग जैसी तकनीकी ज्ञान से लैस होकर जब ये युवा अपने-अपने गांव-कस्बों में जाएंगे तो वहां किसी रोजगार के मोहताज नहीं रहेंगे। महात्मा गांधी और विनोबा भावे के आदर्शों और सपनों की बुनियाद पर बने मनोहर धाम आश्रम में ही यह संस्थान कृषि, स्वरोजगार, अस्पताल, डेयरी फार्म, वैकल्पिक ऊर्जा के आधुनिक प्रबंधन जैसे कार्यों को सुचारू रूप से चलाया जा रहा है ।
राष्ट्रीय स्तर पर किए जाएंगे प्रयास
हम इसे राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। इस योजना को जल्द ही हम गोवा, तेलंगाना में शुरू करने करने वाले हैं। पहले बैच को पोलारिल फाउंडेशन चेन्नई और अलकन लैब मुम्बई ने हमारे छात्रों को छात्रवृत्ति देने में मदत की है। इस बार भी बहुत सारी कंपनियों ने मदद करने का वादा किया है।
रहने-खाने की मुफ्त सुविधा
जैविक खेती के गुण सिखाने के लिए जमीन मुहैया कराने, पूंजी लगाने के साथ-साथ यह संस्थान कोर्स की अवधि तक छात्रों के रहने खाने की मुफ्त सुविधा देता है। पहले बैच मेें होने वाले लाभ का 100 छात्रों को दे दिया जाता था लेकिन अब लाभ में संस्थान अपनी पूंजी का 30 ले लेता है 70 छात्रों को दे दिया जाता है।
Created On :   15 Sept 2017 12:47 PM IST