एनसीबी के उपनिदेशक ज्ञानेश्वर सिंह के खिलाफ उत्पीड़न का आरोप- वानखेडे ने की शिकायत

Allegation of harassment against NCB Deputy Director Dnyaneshwar Singh
एनसीबी के उपनिदेशक ज्ञानेश्वर सिंह के खिलाफ उत्पीड़न का आरोप- वानखेडे ने की शिकायत
आयोग की जांच शुरू एनसीबी के उपनिदेशक ज्ञानेश्वर सिंह के खिलाफ उत्पीड़न का आरोप- वानखेडे ने की शिकायत

डिजिटल डेस्क, मुंबई। नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक समीर वानखेडे ने उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए उपमहानिदेशक (एनसीबी) ज्ञानेश्वर सिंह के खिलाफ राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग में शिकायत की है। शिकायत के आधार पर अनुसूचित जाति आयोग ने आरोपों की जांच शुरू कर दी है। बता दें कि ज्ञानेश्वर सिंह एनसीबी की विजिलेंस टीम के भी प्रमुख है। कार्डेलिया क्रूज ड्रग्स मामले में आर्यन खान को क्लीनचिट मिलने के बाद वानखेडे और दूसरे अधिकारियों पर लगे आरोपों की उन्होंने जांच की थी। अपनी रिपोर्ट में सिंह ने दावा किया था कि उन्हें आर्यन मामले में 7-8 अधिकारियों के खिलाफ अनियमितता और नियमों के पालन न करने के सबूत मिले हैं। साथ ही उनका दावा था कि आर्यन के साथ गलत बर्ताव किया गया। सिंह ने यह भी कहा था कि आर्यन के पास ड्रग्स बरामद न होने के बावजूद बरामदगी को सामूहिक बताकर उन्हें गिरफ्तार किया गया। साथ ही क्रूज पर छापेमारी की वीडियो रिकॉर्डिंग भी नहीं की गई जो नियमों के तहत जरूरी थी। दूसरे मामलों में भी सिंह ने अधिकारियों की भूमिका संदेह के घेर में होने की बात कही थी। आयोग से की गई अपनी शिकायत में वानखेडे ने सिंह पर बाबा साहेब आंबेडकर का मजाक उड़ाने का भी आरोप लगाया है। साथ ही वानखेडे का दावा है कि सिंह ने जान बूझकर बदनाम करने के लिए मीडिया में उनकी, उनकी पत्नी की और बैंक से जुड़ी निजी जानकारी लीक की। वानखेडे ने सितंबर महीने में आयोग से शिकायत की थी जिस पर आयोग ने आदेश जारी किया है।

वानखेडे के खिलाफ कार्रवाई पर रोक

राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने शिकायत के बाद आयोग की जांच पूरी होने तक वानखेडे के खिलाफ कार्रवाई पर रोक लगा दी है। आदेश में कहा गया है कि वानखेडे ने 17 अक्टूबर को मामले की शिकायत की। उन्होंने आयोग के अध्यक्ष से मिलकर उनके सामने तथ्य रखे। पहली नजर में आयोग ने पाया है कि उनके खिलाफ भेदभाव और उत्पीड़न हुआ है। आयोग ने 15 दिन में विशेष जांच टीम से मामले से जुड़े सभी कागजात मांगे हैं साथ ही आयोग ने कहा है कि तय समय में जवाब न मिलने पर वह संविधान की धारा 338 के द्वारा प्रदत्त सिविल न्यायालय की शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के लिए समन जारी कर सकता है।      
 

Created On :   19 Oct 2022 9:54 PM IST

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