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बाल विवाह रोकने मांगी जाएगी निर्भया फंड से राशि - यशोमती ठाकुर
डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रदेश में बालविवाह प्रतिबंधक उपाय योजना के लिए निर्भया फंड से राशि देने की मांग मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उपमुख्यमंत्री अजित पवार से की जाएगी। राज्य की महिला व बालविकास मंत्री यशोमती ठाकुर ने यह जानकारी दी। ठाकुर कोरोनाकाल में बालविवाह रोकने के लिए राज्य में किए गए विशेष प्रयासों को लेकर आयोजित ऑनलाइन संवाद कार्यक्रम में बोल रहे थीं। उन्होंने कहा कि कोरोनाकाल में बालविवाह ज्वलंत समस्या है। तेजी से बालविवाह के मामले सामने आए हैं। ठाकुर ने कहा कि केंद्र सरकार से राज्य को महिला सुरक्षा की दृष्टि से उपाय योजना करने के लिए निर्भया फंड मिलता है लेकिन बाल विवाह भी बच्चियों की सुरक्षा का विषय है। इसलिए बाल विवाह प्रतिबंधक उपाय योजना के लिए भी निर्भया फंड से राशि मिलनी चाहिए।
कोरोनाकाल में रोका गया 560 बाल विवाह
ठाकुर ने बताया कि राज्य में कोरोना आपदा काल में 560 बाल विवाह को रोकने में कामयाबी मिली है। उन्होंने कहा कि जिन जगहों पर जानकारी मिली वहां पर बाल विवाह को रोकने का प्रयास किया लेकिन जानकारी उपलब्ध न होने वाले जगहों पर बाल विवाह होने की संभावना है। इसलिए बाल विवाह को रोकने के लिए रिपोर्टिंग व्यवस्था अधिक सक्षम करने की जरूरत है। इसके लिए अधिकारियों को ग्राम बाल संरक्षण समितियों को प्रशिक्षण करने, ग्राम सेवक, पुलिस तंत्र को समन्वय से काम करना चाहिए। इसके अलावा जनाजृति प्रचार और प्रसार, सोशल मीडिया, पथनाटक आदि पर जोर देना चाहिए। ठाकुर ने बताया कि विदर्भ की एक नाबालिग बच्चों का बाल विवाह गुजरात में होने वाला था। जिस पर तत्काल कार्यवाही की सूचना दी गई। जिससे बाल विवाह को रोक लिया गया।
बाल विवाह प्रतिबंध नियम में होगा संशोधन
ठाकुर ने कहा कि राज्य में बाल विवाह प्रतिबंधक अधिनियम 2006 के आधार पर 2008 के बाल विवाह (प्रतिबंध) नियम लागू है। लेकिन कानून को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए नियमों की त्रुटि को दूर करना आवश्यक है। इसके लिए बालविवाह (प्रतिबंध) नियम 2008 में संशोधन के लिए समिति गठित की गई है। समिति की सिफारिशों के अनुसार व्यापक विमर्श के बाद संशोधित नियम घोषित किए जाएंगे।
18 जिलों में बालविवाह का प्रमाण औसत से अधिक
महिला व बालविकास आयुक्त पवनीत कौर ने कहा कि साल 2019-20 के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के अनुसार महाराष्ट्र में बालविवाह का प्रमाण 2015 के सर्वेक्षण की तुलना में 4 प्रतिशत से अधिक घटकर 21.9 प्रतिशत पर पहुंचा है। लेकिन मराठवाड़ा और खानदेश के सभी जिलों समेत 18 जिलों में बाल विवाह का प्रमाण औसत से अधिक होना चिंताजनक है। कौर ने कहा कि कोरोना के कारण लॉकडाउन, स्कूल बंद, रोजगार बंद और कम खर्च में शादी होने के चलते बालविवाह की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। लेकिन राज्य में कोरोनाकाल में 560 बाल विवाह को रोकने में सफलता मिली है। इमसें सालापुर में सबसे अधिक 72, औरंगाबाद में 35, उस्मानाबाद में 32 बालविवाह को रोका गया है। बाल कल्याण समिति, जिला महिला व बाल विकास अधिकारी, जिला बाल सुरक्षा कक्ष, चाइल्ड लाइन, पुलिस और सजग नागरिकों के प्रयास से यह संभव हो पाया। लेकिन कई जिलों में एक भी बाल विवाह को रोका नहीं जा सका। इसका मतलब है कि वहां के तंत्र को अधिक सजकता से काम करने की आवश्यकता है।
Created On :   26 May 2021 8:11 PM IST