- Home
- /
- राज्य
- /
- मध्य प्रदेश
- /
- जबलपुर
- /
- सरकारी जमीन पर ही बनी है अमृत...
सरकारी जमीन पर ही बनी है अमृत हाइट्स
डिजिटल डेस्क जबलपुर। लंबी सुनवाई के बाद आगा चौक के समीप स्थित एक जमीन के मामले में एसडीएम ने तहसीलदार के आदेश पर अपनी मुहर लगा दी है। पिछले आदेश को सही मानते हुए एसडीएम गोरखपुर ने कहा है कि खाद्य विभाग के नाम पर दर्ज संबंधित जमीन शासकीय है और यही वजह है कि अपीलार्थियों का दावा खारिज किया जाता है। गौरतलब है कि इसी भूमि पर अमृत हाइट्स प्रोजेक्ट की मल्टी स्टोरी बनाई गई है।
एसडीएम कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि खसरा नंबर 259-1 रकबा 1.100 हेक्टेयर पर खाद्य विभाग का नाम दर्ज है और यह भूमि उसे भू-अर्जन के संलग्न दस्तावेजों, नक्शा तथा राजस्व निरीक्षक तथा हल्का पटवारी द्वारा प्रस्तुत ट्रेस नक्शे से साबित होता है कि इस पर अपीलार्थियों का भवन बना है। एसडीएम कोर्ट ने यह भी माना है कि अपीलार्थियों की ओर से जो साक्ष्य और दस्तावेज प्रस्तुत किए गए वे सभी सारहीन हैं। कुल मिलाकर पूरी सुनवाई के बाद पाया गया कि अपीलार्थियों द्वारा खाद्य विभाग की अर्जित भूमि पर कब्जा कर लिया गया है, जो पूरी तरह अवैध है।
तहसीलदार का आदेश एकदम सही-
एसडीएम ने अपने निष्कर्ष में यह भी कहा है कि अधारताल तहसीलदार की ओर से 20 नवंबर 2020 को दिया गया आदेश न्याय की मंशा के अनुकूल है। जिसमें हस्तक्षेप की तनिक भी आवश्यकता नहीं है। लिहाजा, अपीलार्थियों की अपील अस्वीकार की जाती है।
ऐसा था तहसीलदार का आदेश-
तहसीलदार ने अपने आदेश में कहा था कि 22 हजार 825 वर्गफीट भूमि पर तत्कालीन तहसीलदार अशोक व्यास ने नरेन्द्र उर्फ नंदू विश्वकर्मा का नाम दर्ज करने का आदेश दिया था, जबकि यह भूमि सरकारी थी। रिकॉर्ड दुरुस्त न होने के कारण नामांतरण आदेश जारी कर दिया गया था। आदेश जारी होने के बाद तहसीलदार ने ही इसे रिव्यू में ले लिया था। इसके कारण उस पर कोई फैसला नहीं किया गया था, यही वजह है कि लगभग 10 साल तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। इस प्रकरण की फिर से सुनवाई फरवरी 2020 से शुरू की गई। सुनवाई के दौरान आवेदक ने अपना पक्ष रखा और कहा कि राजस्व रिकॉर्ड में उसका नाम दर्ज है और कई विभागों से अनुमति लेने के बाद बिल्डिंग का निर्माण किया गया है।
ऐसे हुआ पूरा खेल-
पता चला है कि जिस जमीन का नामांतरण किया गया था उस पर पहले से ही लोग काबिज थे, लेकिन किसी कारण वे राजस्व रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज नहीं करा पाये। इस भूमि के भू-स्वामी दत्तात्रेय राम थे, लेकिन भूमि पर नंदू विश्वकर्मा वर्षों से कब्जेदार था। इसका फायदा उठाकर उसने कब्जेदार वाली भूमि पर अपना नाम दर्ज करवा लिया और सरकारी भूमि पर बिल्डिंग तान दी। अब तहसीलदार ने आवेदक का आवेदन खारिज कर मूल भू-स्वामी दत्तात्रेय का नाम दर्ज करने का आदेश दिया है।
कई फ्लैट्स बिक चुके-
आगा चौक के पास जहाँ यह बिल्डिंग बनी है वहाँ पहले से ही कब्जा था और हमेशा इस भूमि पर विवाद की स्थिति रही है। बिल्डिंग बनने के बाद भी कई बार विवाद की स्थिति बनी इसके बाद भी लोगों ने यहाँ अपनी जमा पूँजी फँसा दी और फ्लैट ले लिये। कई फ्लैट्स इस बिल्डिंग के बिक चुके हैं और बहुत से लोगों ने यहाँ अपना आशियाना भी बना लिया है। बताया गया है कि जब भी कार्रवाई करने कोई आगे आता तो उस पर दबाव डालकर प्रक्रिया को रोक दिया जाता था। नोटिस दिया गया था
इस बिल्डिंग के निर्माण को अवैध मानते हुए नगर निगम ने नोटिस जारी किया था। मामले की जाँच हुई तो पता चला कि टैक्स बाकी है जिस पर निगम ने टैक्स वसूलने की कार्रवाई भी की थी। इस बिल्डिंग का विवादों से नाता रहा है।
आसपास के लोगों को इस बात की जानकारी थी कि गलत तरीके से इसका निर्माण किया गया है। इसके बाद भी बिल्डिंग लगातार बनती रही, इसकी शिकायतें भी कई स्तरों पर की गईं, लेकिन वे अपने स्तर पर मैनेज होती रहीं। पी-4
जबलपुर आगा चौक स्थित राज्य परिवहन डिपो के पास स्थित विवादित जमीन पर बने अमृत हाइट्स के प्रकरण में तहसीलदार प्रदीप मिश्रा ने संबंधित आवेदक नरेन्द्र उर्फ नंदू विश्वकर्मा का नामांतरण निरस्त कर दिया है। बताया जाता है कि जिस भूमि पर बिल्डिंग बनी है वह भूमि राज्य परिवहन निगम की है।
Created On :   2 Feb 2022 11:34 PM IST