एंजियोग्राफी हुई, 11 साल में नहीं मिल पाया क्लेम -पॉलिसी धारकों का आरोप , बीमा कंपनी के जिम्मेदार लगवा रहे चक्कर

Angiography done, claim not found in 11 years - policy holders accused, getting dizzy
एंजियोग्राफी हुई, 11 साल में नहीं मिल पाया क्लेम -पॉलिसी धारकों का आरोप , बीमा कंपनी के जिम्मेदार लगवा रहे चक्कर
एंजियोग्राफी हुई, 11 साल में नहीं मिल पाया क्लेम -पॉलिसी धारकों का आरोप , बीमा कंपनी के जिम्मेदार लगवा रहे चक्कर

डिजिटल डेस्क जबलपुर । हमारी कंपनी से बीमा करवाएँगे तो लाभ मिलेगा, हमारी कंपनी आपको घर बैठे सारे क्लेमों को सेटल करेगी। इन दावों के साथ एजेंट व बीमा कंपनियों के अधिकारियों ने बीमा पॉलिसी हजारों में बेची। बीमित व्यक्ति से प्रति वर्ष पॉलिसी को रिन्यू भी कराया लेकिन उसके बाद जब बीमित व्यक्ति को जरूर पड़ी, तो कंपनी ने हाथ खड़े कर लिए। किसी एक बीमित व्यक्ति के साथ बीमा कंपनियों ने ऐसा नहीं किया, बल्कि इनकी संख्या सैकड़ों में है। बीमा कंपनियाँ लगातार आम जनता के साथ खिलवाड़ कर रही हैं लेकिन इनके विरुद्ध किसी तरह की कार्रवाई जनता के हित में प्रशासन द्वारा नहीं की गई। जिले के साथ अनेक जिलों से लगातार बीमा कंपनियों की शिकायतें आ रही हैं और पीडि़त अनेक जगहों पर गुहार लगा चुके हैं पर आज तक एक्शन नहीं लिया गया। इंश्योरेंस कंपनियों का कहना है कि बिलों व चिकित्सकों की रिपोर्ट सही नहीं है, तो कहीं शुगर, बीपी की बीमारी के नाम पर आम लोगों के क्लेम भुगतान पर हाथ खड़े कर रही है। 
केस.1 - इंदौर ऑफिस से निकला चैक आज तक नहीं पहुँचा..!
अधारताल साईं मंदिर निवासी श्याम मक्कड़ ने बताया कि वे सीने में दर्द होने के कारण संजीवनी अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती हुए थे। वहाँ पर ब्लॉकेज होना बताया गया था। चिकित्सकों की सलाह पर वे दिल्ली, फोर्टिस अस्पताल गए और वहाँ पर एंजियोग्राफी कराने के बाद स्टंट डलवाए थे। अस्पताल में इलाज के दौरान ओरियंटल इंश्योंरेस कंपनी का बीमा कार्ड देकर कैशलेस करने का निवेदन अस्पताल प्रबंधन से किया गया था, पर अस्पताल प्रबंधन ने बाद में बताया कि कैशलेस नहीं हो रहा। पीडि़त ने कहा कि वे अस्पताल प्रबंधन द्वारा इलाज के दौरान हुई जाँच, अस्पताल व दवाइयों के बिल के साथ ही सारे पत्र लेकर आ गए थे। यहाँ पर बीमा कंपनी के एजेंट के माध्यम से फील्ड अधिकारी से संपर्क कर बिलों का भुगतान करने के लिए उन्होंने आवेदन दिया था। बीमा कंपनी के जिम्मेदार हमेशा यहीं कहते रहे कि जल्द की क्लेम सेटल कर दिया जाएगा। उसके बाद बताया गया कि घर के पते पर इंदौर ऑफिस से चैक भेज दिया गया है। पीडि़त का कहना है कि 11 साल गुजर गए पर चैक आज तक नहीं आया।
केस.2 - रिलायंस कोरोना कवच पॉलिसी ली पर क्लेम नहीं मिला
जीसीएफ केन्द्रीय विद्यालय के समीप रहने वाले डॉ. स्नेहाशु रंजन ने अपनी शिकायत में बताया कि उन्होंने ऑनलाइन रिलायंस की कोरोना कवच पॉलिसी गत वर्ष ली थी थी। 2 अप्रैल 2021 को वे कोरोना से संक्रमित हो गए थे। संक्रमण का शिकार होने के कारण उन्होंने अपना टेस्ट कराया। टेस्ट के बाद चिकित्सकों ने अस्पताल में उपचार के लिए कहा। वे सिटी अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती हो गए। वहाँ पर इलाज के दौरान उन्होंने बीमा क्लेम के लिए रिलायंस के टोल-फ्री नंबर पर संपर्क किया। फोन रिसीव करने वाले अधिकारी ने कहा कि आपको जल्द ही क्लेम मिल जाएगा। उनके द्वारा अस्पताल के बिल, पॉजिटिव रिपोर्ट, संक्रमण की रिपोर्ट के साथ ही सारे बिल तथा चिकित्सक का लिखा हुआ लैटर तक ऑनलाइन कंपनी को भेज दिया गया, पर एक माह बीत जाने के बाद आज तक कोरोना कवच की राशि उन्हें नहीं मिली। उन्होंने मामले की शिकायत टोल-फ्री नंबर पर की तो वहाँ से शिकायत नंबर 21636316 मिला। शिकायत नंबर के आधार पर क्लेम सेटल करने के लिए कहा जा रहा है पर बीमा कंपनी टालमटोल कर रही है। 
ऑफिस बंद कर जा चुकी है कंपनी - रिलायंस जनरल इंश्योंरेस कंपनी के बारे में पता करने पर खुलासा हुआ कि एक साल पहले ही जबलपुर से अपना काम समेट कर वह जा चुकी है। पॉलिसी धारकों को अगर किसी तरह का काम है तो उन्हें भोपाल जाना पड़ रहा है। कंपनी के टोल-फ्री नंबर 18003009 पर संपर्क करने का प्रयास किया गया तो उक्त नंबर अमान्य निकला। जिसके कारण कई तरह के सवाल कंपनी की गतिविधियों पर खड़े हो रहे हैं। वहीं ओरियंटल इंश्योंरेस कंपनी के नंबरों पर संपर्क करने का प्रयास किया गया पर नंबर रिसीव नहीं हो सके।
 

Created On :   15 May 2021 3:19 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story