भड़के नगरसेवकों ने पूछा - पुलिस बुला रखी है क्या हम अपराधी हैं?

Angry corporators asked - have police called, are we criminals?
भड़के नगरसेवकों ने पूछा - पुलिस बुला रखी है क्या हम अपराधी हैं?
भड़के नगरसेवकों ने पूछा - पुलिस बुला रखी है क्या हम अपराधी हैं?

डिजिटल डेस्क, नागपुर। मनपा आयुक्त तुकाराम मुंढे के पदभार ग्रहण करने के बाद से ही सत्तापक्ष के नगरसेवकों के अंदर आग भभक रही थी। मंगलवार को नगर सेवकों ने मिलने का समय मांगा। आयुक्त ने 10 मिनट का वक्त दिया। इस पर नगरसेवकों ने संख्या ज्यादा होने का हवाला दिया तो समय 10 से बढ़ाकर 15 मिनट कर दिया। 108 नगरसेवकों के लिए 15 मिनट का समय मतलब 900 सेकंड। एक नगर सेवक के हिस्से करीब आठ सेकंड का वक्त आया। इसके बाद तो नगरसेवकों का गुस्सा और बढ़ गया। बहरहाल, करीब आधे घंटे बातचीत चली। इस दौरान नगरसेवकों का दर्द खुलकर सामने आया। इतनी पुलिस क्यों बुला रखी है? हम क्या अपराधी हैं? गुस्से से लाल सत्तापक्ष के नगरसेवकों ने कुछ इस अंदाज में मनपा आयुक्त तुकाराम मुंढे पर भड़ास निकाली। इतना ही नहीं। तमतमाए नगरसेवक जबरदस्ती आयुक्त के बैठक कक्ष में घुस गए। साथ ही वहां तैनात पुलिस बल पर सवाल खड़े कर दिए। आयुक्त ने भी मौके की नजाकत को समझा और पुलिस बल को बाहर जाने का इशारा किया। दरअसल, यह गुस्सा यूं ही नहीं था। अपने-अपने क्षेत्र में होने वाले विकास कार्यों के रोके जाने से परेशान नगरसेवक सीधे आयुक्त से सवाल-जवाब के मूड में आयुक्त के कार्यालय पहुंचे थे। 108 नगरसेवकों को मिलने के लिए मात्र 10 मिनट का समय मिला तो उनका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया था।

दल-बल के साथ 108 नगरसेवक पहुंचे

सत्तापक्ष के सभी 108 नगरसेवक दल-बल के साथ मनपा आयुक्त मुंढे से मिलने उनके कमरे में पहुंच गए। पहले तो उन्हें अंदर जाने से पुलिस ने रोका। जोर-जबरदस्ती कर किसी तरह अंदर दाखिल हुए तो भारी पुलिस बल की तैनाती पर भड़क गए। उन्होंने साफ शब्दों में कहा- क्या हम अपराधी हैं, जो इतनी पुलिस बुला रखी है। इनकी यहां जरूरत नहीं है। अगर कुछ होता है तो आयुक्त के लिए हम सबसे पहले दौड़ेंगे। नगरसेवकों की आक्रामकता देख आखिरकार आयुक्त को पुलिस को बाहर भेजना पड़ा।

पुलिस ने रोका, यह ठीक नहीं है

आपसे मिलने का समय मांगा गया। पहले आपने 10 मिनट दिया। फिर दोबारा और बात की तो 15 मिनट समय मिला। सत्तापक्ष के 108 नगरसेवक हैं, उनके लिए यह समय पर्याप्त नहीं है। नगरसेवकों को अंदर आते समय पुलिस ने बाहर रोका। यह ठीक नहीं है। यहां बैठने तक की व्यवस्था नहीं है।   -संदीप जाधव, सत्तापक्ष नेता

यह काम रोक दिया, वह रोक दिया

पिछले एक महीने से अलग-अलग चर्चाएं सुनी जा रही हैं। आपने यह काम रोक दिया, वह काम रोक दिया। आयकर, पीपीएफ भरना प्रशासन की जिम्मेदारी है। इसके लिए विकास कार्य रोकना अनावश्यक है। जो जरूरी नहीं है, उसे रोकें। लेकिन जो आवश्यक है, उन कामों को रोकना ठीक नहीं।       -प्रवीण दटके, पूर्व महापौर

मनपा की आर्थिक स्थिति देखकर ही काम किए जाएंगे। जो काम शुरू हैं, उन्हें नहीं रोका गया है। जिनके कार्यादेश हो गए, परंतु काम शुरू नहीं हुए हैं, ऐसे कामों को रोका गया था। आर्थिक स्थिति देखकर कामों की प्राथमिकता तय की जाएगी। हम अपने दायित्व को भूल नहीं सकते। बिलों के भुगतान को नजरअंदाज नहीं कर सकते। जो भुगतान करना है, उसे करना ही होगा। मौजूदा स्थिति में मनपा ने 1800-1900 करोड़ रुपए की वसूली की है। बहुत हुआ तो यह 2400 करोड़ रुपए तक जाएगा। पिछले चार-पांच साल का मैंने बजट देखा है। स्थायी समिति के बजट और प्रत्यक्ष वसूली में काफी अंतर रहा है। 29 फरवरी तक स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। आर्थिक स्थिति जब तक स्पष्ट नहीं होती है, यह स्थिति बनी रहेगी। तालमेल बिठाना होगा। अपेक्षित आय नहीं है। इसलिए प्राथमिकता तय करनी होगी। सरकारी निधि से होने वाले कामों को नहीं रोका है। अगर रोका है तो उसकी जांच की जाएगी। -तुकाराम मुंढे, आयुक्त, मनपा

महापौर के जनता दरबार में लगा शिकायतों का ढेर

उधर महानगरपालिका के गांधीबाग जोन में मंगलवार को आयोजित जनता दरबार ने नागरिकों द्वारा की गई शिकायत पर महापौर संदीप जोशी ने समाधान करने की कोशिश की। 51 शिकायतों पर सुनवाई कर उन्हें तत्काल हल करने के निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिए। सुबह 10 बजे गांधीबाग जोन कार्यालय परिसर के श्रीमंत राजे रघुजी भोसले नगर भवन में जनता दरबार की शुरुआत हुई। इस अवसर पर महापौर संदीप जोशी सहित गांधीबाग जोन सभापति वंदना यंगटवार, वरिष्ठ नगरसेवक दयाशंकर तिवारी, सहायक आयुक्त अशोक पाटील, नगरसेवक मनोज चापले, राजेश घोडपागे, नगरसेविका नेहा वाघमारे, जिशान मुमताज उपस्थित थे। इस दौरान 18 शिकायतें दर्ज की गई थी। जनता दरबार में 18 शिकायतों के अलावा और 33 शिकायतें आयी। सभी शिकायतकर्ताओं से संवाद साधते हुए उनका समाधान करने की कोशिश की। कुछ शिकायतों पर जनता दरबार से पहले ही कार्यवाही होने की जानकारी दी। दरबार में अतिक्रमण, संपत्ति कर, पानी बिल और कुओं की स्वच्छता आदि से संबंधित शिकायतें मिली। 
 

Created On :   19 Feb 2020 2:02 PM IST

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