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एक और बाघ का शव मिला, विभाग को नहीं कोई जानकारी
डिजिटल डेस्क शहडोल । शहडोल वन वृत्त में वन विभाग का सूचना तंत्र फेल हो चुका है। न गश्ती हो रही है और मॉनीटरिंग। लगातार बाघ मारे जा रहे हैं और वन रक्षक से लेकर सीसीएफ तक को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। घुनघुटी रेंज के मालाचुआ चौकी के पास बाघ का शिकार हो गया और विभाग के अमले को पता नहीं चला। एक सप्ताह से शव वहीं पड़ा रहा, फिर भी भनक तक नहीं लगी। सोमवार को पुलिस से विभाग को इसकी जानकारी मिली।
आमगार निवासी छोटेलाल की बच्ची कुछ दिनों से गुम है। वह उसकी तलाश कर रहे थे। कचोदर के पास के जंगल में उन्हें दुर्गंध आई तो उन्होंने डायल 100 को फोन पर जानकारी दी। पाली थाने के ताराचंद बघेल, विजय रावत दोनों सर्चिंग के लिए गए। कचोदर बीट के आरएफ कक्ष क्रमांक 303 में झाडिय़ों के नीचे बाघ का शव मिला। पुलिसकर्मियों ने इसकी सूचना वन विभाग को दी। तब वन विभाग को इसका पता चला। इसके बाद प्रभारी सीसीएफ टीएस चतुर्वेदी, पाली एसडीओ राहुल मिश्रा, आरओ घुनघुटी एपी त्रिपाठी समेत तमाम वन अमला मौके पर पहुंचा।
जंगलों में नहीं होती गश्ती, घरों से हो रही ड्यूटी
शहडोल वन वृत्त के अधिकतर सर्किल इंचार्ज और बीट प्रभारी अपने घरों से ड्यूटी करते हैं। जंगल में गश्ती तो होती ही नहीं है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मालाचुआ चौकी से दो किमी की दूरी में बाघ का शिकार हो गया। शव को एक सप्ताह पुराना बताया जा रहा है, मतलब साफ है अगर गश्ती होती तो शिकार भले ही न रुक पाता शव का पता तो चल ही जाता। बीट प्रभारी तो लापरवाही बरतते ही हैं, उनके ऊपर बैके अधिकारी भी नियमित रूप से मॉनीटरिंग नहीं कर रहे हैं। हालात यह है कि एक सप्ताह के भीतर ही घुनघुटी रेंज में बाघ का दूसरा शव बरामद हुआ है। रेंज ऑफिसर एपी त्रिपाठी और सर्किल प्रभारी मान सिंह को कुछ दिन पहले ही इलाके में बाघ के मूवमेंट की जानकारी मिल गई थी। इसके बाद भी गश्ती नहीं की गई। शहडोल से जंगल तक अप-डाउन ही करते रह गए अधिकारी और बाघ का शिकार हो गया।
एक सप्ताह पहले हुआ था शिकार, फिर भी नहीं चेते
घुनघुटी रेंज में ही एक सप्ताह पहले बाघ का शव मिला था। बाघ को करंट लगाकर मारा गया था। उस बाघ के शिकार के पहले भी वन अमले को क्षेत्र में बाघ के मूवमेंट के बारे में पता चल गया था। विभाग निष्क्रिय रहा और बाघ का शिकार हो गया। दूसरे बाघ के बारे में अधिकारियों को सूचना थी। बताया जा रहा है कि रेंज ऑफिसर और सर्किल प्रभारी को विशेष तौर पर इसके लिए आगाह किया गया था, लेकिन उनकी सेहत पर असर नहीं पड़ा। वह बाघ भी मारा गया। वरिष्ठ अधिकारी भी पूरे मामले को दबाने और अपने अधीनस्थों को बचाने में जुटे हुए हैं। वन विभाग ने जगह-जगह वन समितियां बना रखी हैं। इन पर साल में लाखों रुपए खर्च किए जाते हैं, फिर भी जंगल, वन्य प्राणी और शिकारियों के बारे में इनसे से कोई जानकारी नहीं मिल पाती है। अभी तक शिकार के दो मामलों में वन विभाग को पुलिस से जानकारी मिली है। इसके बाद विभाग ने आगे की कार्रवाई शुरू की है।
इनका कहना है
बाघ का शव झाडिय़ों में दबा हुआ था, इसलिए दिखाई नहीं पड़ा। बाघ के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है, क्योंकि हम स्वयं भी अभी उसे नहीं देख सके हैं। डॉग स्क्वॉड का इंतजार किया जा रहा है।
टीएस चतुर्वेदी, प्रभारी सीसीएफ
इस मामले में बीट प्रभारी की लापरवाही सामने आई है। पंचानामा बनाकर उसके खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की जा रही है। इसके अलावा जिसकी भी लापरवाही सामने आएगी उस पर कार्रवाई की जाएगी।
-राहुल मिश्रा, एसडीओ, पाली
Created On :   12 Dec 2017 1:19 PM IST