6 से 18 साल वाले 50 फीसदी बच्चे-युवाओं में मिली एंटी बॉडी, पिछले सर्वे के मुकाबले बढ़ी 

Anti body found in 50% of children aged 6 to 18 years
6 से 18 साल वाले 50 फीसदी बच्चे-युवाओं में मिली एंटी बॉडी, पिछले सर्वे के मुकाबले बढ़ी 
6 से 18 साल वाले 50 फीसदी बच्चे-युवाओं में मिली एंटी बॉडी, पिछले सर्वे के मुकाबले बढ़ी 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। अनुमान लगाया जा रहा था कि कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर बच्चों के लिए घातक साबित हो सकती है। ऐसे में मुंबई महानगर पालिका के एक सर्वे से राहत भरी जानकारी सामने आई है। सीरो सर्वे में महानगर में छह से 18 साल की आयुवर्ग के 50 फीसदी बच्चों में एंटी बॉडी पाई गई है जो पिछले सर्वे के 39.04 फीसदी के मुकाबले काफी ज्यादा है।  कोरोना की तीसरी लहर के दौरान बच्चों के ज्यादा प्रभावित होने के अनुमानों के मद्देनजर बीएमसी आयुक्त इकबाल चहल ने बच्चों के खून के नमूने के जरिए होने वाले सेरोलॉजिकल सर्वेक्षण का आदेश दिया था। इसके तहत इस साल 1 अप्रैल से 15 जून के बीच बच्चों का सीरो सर्वे किया गया। महानगर पालिका की ओर से बीएल नायर और कस्तूरबा अस्पतालों ने बच्चों के खून के नमूने इकठ्ठा किए। सर्वे के लिए महानगर के 24  प्रशासनिक विभागों से एक से 18 साल आयुवर्ग के  2 हजार 176 बच्चों के खून के नमूने इकठ्ठा किए गए। इसमें 1 हजार 283 नमूने नायर अस्पताल और मनपा के दूसरे प्रयोगशालाओं जबकि 893 नमूने दो निजी प्रयोगशालाओं के जरिए इकठ्ठा किए गए। 

क्या मिला जांच में 

रक्त के नमूनों की जांच में 51.18 फीसदी बच्चों में एंटीबॉडी यानी कोरोना संक्रमण के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता पाई गई। महानगर पालिका द्वारा इकठ्ठा किए गए 54.36 फीसदी जबकि निजी प्रयोगशालाओं द्वारा इकठ्ठे किए गए नमूनों में 47.03 फीसदी में एंटीबॉडी मिली। 10 से 14 साल की आयुवर्ग के सबसे ज्यादा 53.43 फीसदी बच्चों में एंटी बॉडी मिली। इसके अलावा एक से चार साल की आयुवर्ग के 51.04 फीसदी बच्चों में, 5 से 9 वर्ष की आयु के 47.33 फीसदी बच्चों में, 15 से 18 आयुवर्ग के 51.39 फीसदी बच्चों में एंटी बॉडी पाई गई। इससे पहले मार्च में कराए गए सर्वे में 39.04 फीसदी बच्चों में एंटी बॉडी पाई गई थी। 

50 फीसदी बच्चे हो चुके हैं संक्रमित 

सर्वेक्षण में जिन बच्चों में एंटीबॉडी पाई गई है यह साफ है कि वे कोरोना के संपर्क में आ चुके हैं जिसके चलते ही उनके शरीर में प्रतिरोधक क्षमता विकसित हुई है। सर्वेक्षण के नतीजे राहत भरे हैं लेकिन इससे खतरा खत्म नहीं होता इसलिए बच्चों को बीमारी से बचाने के लिए पर्याप्त उपाय करने की सलाह दी गई है।   

 

Created On :   28 Jun 2021 8:39 PM IST

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