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कुत्ते की मौत के मामले में मिली अग्रिम जमानत
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि पुलिस से बेजुबान प्राणियों के कल्याण के लिए काम करनेवाले सामाजिक कार्यकर्ता का ध्यान रखना अपेक्षित हैं। हाईकोर्ट ने यह बात उपचार के लिए दिए गए कुत्ते की मौत के बाद आपराधिक मामले का सामना कर रही सामाजिक कार्यकर्ता लता परमार को अंतरिम अग्रिम जमानत प्रदान की हैं। परमार प्राणियों के हित व उनसे जुड़े कानून के प्रति जागरुकता फैलानेवाले गैर सरकारी संस्था ‘पीपुल फॉर एनिमल’ के लिए काम करती हैं। दरअसल अक्षय झाडे नाम के व्यक्ति के पास जॉकी नाम का कुत्ता था। जिसकी सेहत ठीक न होने की जानकारी मिलने पर संस्था कुत्ते को अपने पास ले आयी और उसे उपचार के लिए एक पशुओं के अस्पताल में भर्ती किया गया लेकिन इलाज के दौरान कुत्ते की मौत हो गई। भारत प्राणी कल्याण बोर्ड व पशु संवर्धन विभाग के निर्देशानुसार पशुचिकित्सक व राज्य प्राणी कल्याण बोर्ड के सदस्य की उपस्थिति में कुत्ते को गैर सरकारी संस्था को सौपा जाना चाहिए था लेकिन इस नियम व कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना ही कुत्ते को गैर सरकारी संस्था को सौंपा गया था। वहीं परमार के फेसबुक पेज पर एक पत्र पोस्ट किया गया था कि कुत्ते का मालिक कुत्ते की देखरेख करने में सक्षम नहीं था इसलिए कुत्ते को गैर सरकारी संस्था को सौपा गया था। इस दस्तावेज पर एक पुलिस अधिकारी के फर्जी हस्ताक्षर थे। मामले की तहकीकात के बाद सायन पुलिस स्टेशन के एक पुलिस अधिकारी ने इस मामले को लेकर सायन पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज कराया।
मामले में गिरफ्तारी की आशंका को देखते हुए परमार ने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन दायर किया। अवकाशकालीन न्यायमूर्ति भारती डागरे के सामने परमार के जमानत आवेदन पर सुनवाई हुई। आवेदन में परमार ने कहा था कि गैर सरकारी संस्था के कर्मचारियों ने कुत्ते के मालिक के साथ उसके स्थानांतरण से जुड़ी प्रक्रिया पूरी की थी। उसका इस पूरे मामले से कोई लेना देना नहीं है। कर्मचारियों ने उसे ह्वाट्सएप पर जो लेटर भेजा था वह उसने फेसबुक पर अपलोड किया था। बाद में मैंने इस पत्र को अपने सोशल मीडिया से हटा दिया था। उसका इस मामले से जुड़े पूरे घटनाक्रम से लेना देना नहीं है। वह मुख्य रुप से आवारा पशुओं के कल्याण के लिए काम करती हैं।
मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद न्यायमूर्ति ने कहा कि कोरोना काल में अपने खर्च पर गैर सरकारी संगठनों ने अपने खर्च से प्राणियों की सेवा की है। इस तरह से प्राणियों के कल्याण के लिए काम करनेवाले लोगों का ध्यान रखना पुलिस से अपेक्षित हैं। आरोपी तीन बार इस मामले को लेकर पुलिस स्टेशन जा चुकी हैं। इसलिए आरोपी को अंतरिम अग्रिम जमानत दी जाती है। और उसे 30 मई से एक जून तक दोपहर दो बजे से पांच बजे के बीच पुलिस स्टेशन में उपस्थित रहने का निर्देश दिया जाता है। कोर्ट ने अब इस मामले की सुनवाई 15 जून को रखी है।
Created On :   28 May 2022 7:45 PM IST