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भ्रष्टाचार के ढाई सौ मामलों में जांच के लिए नहीं मिल सकी मंजूरी
डिजिटल डेस्क, मुंबई, दुष्यंत मिश्रा। घूस लेते रंगेहाथ पकड़े जाने वाले सरकारी अधिकारियों पर सरकार और प्रशासन पूरी तरह मेहरबान है। बड़ी संख्या में ऐसे कर्मचारी हैं जो घूस लेते पकड़े जाने के बाद नौकरी पर डटे हुए हैं, करीब ढाई सौ मामलों में जांच आगे बढ़ाने की मंजूरी तक नहीं दी गई। इसके अलावा कई दोषी करार दिए गए लोगों को भी सरकार ने बर्खास्त नहीं किया है। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के आंकड़े बताते हैं कि 204 ऐसे मामले हैं जिनमें घूस लेते पकड़े जाने वाले सरकारी कर्मचारियों को निलंबित तक नहीं किया गया। इनमें सबसे ज्यादा 54 मामले नागपुर परिक्षेत्र के हैं। शिक्षा व क्रीडा (50), ग्राम विकास विभाग (45) नगर विकास विभाग (36) और राजस्व विभाग (26) अपने घूसखोर कर्मचारियों पर सबसे ज्यादा मेहरबानी दिखा रहे हैं। नागपुर में जिन 54 घूसखोरों को निलंबित नहीं किया गया है उनमें 25 ग्राम विकास विभाग के ही हैं। इसके अलावा एसीबी 248 मामलों में भ्रष्टाचारियों के खिलाफ सरकार या संबंधित विभाग से कार्रवाई की मंजूरी का इंतजार कर रही है। जिनमें से 175 ऐसे मामले हैं जो तीन महीने से ज्यादा समय से मंजूरी के लिए प्रलंबित हैं। इनमें से 93 मामले राज्य सरकार के पास जबकि 155 संबंधित विभाग के सक्षम अधिकारी के पास प्रलंबित हैं। भ्रष्टाचारियों पर सरकार की मेहरबानी यहीं नहीं खत्म हुई होती। 19 मामले तो ऐसे हैं जिनमें घूसखोरों को सजा हो चुकी है लेकिन उन्हें नौकरी से बर्खास्त नहीं किया गया है। इस मामले में भी नागपुर और नांदेड परिक्षेत्र 4-4 मामलों के साथ सबसे ऊपर है।
संपत्ति जब्त करने के 12 प्रस्ताव पर कोई नतीजा नहीं
यवतमाल जिले के रोहयो पुसद में सहायक वन रक्षक के पद पर तैनात साहेबराव राठौड के खिलाफ अगस्त 1997 में भ्रष्टाचार के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई। राठौड़ उनकी पत्नी और बेटे की 1 लाख 16 हजार रुपए की संपत्ति जब्त करने का प्रस्ताव एसीबी ने सरकार को पहली बार दिसंबर 2017 में भेजा। इसके बाद 11 स्मरणपत्र भेजे जा चुके हैं लेकिन जब्ती की मंजूरी अब तक नहीं मिली। आखिरी स्मरणपत्र इसी साल 5 मई को भेजा गया है। आंकड़ों के मुताबिक भ्रष्टाचार के मामलों में करीब 4 करोड़ 45 लाख रुपए की संपत्ति जब्त करने की एसीबी की मांग भी सरकार के पास प्रलंबित है।
दोषी फिर भी बर्खास्त नहीं
नागपुर की उमरेड नगर परिषद में जूनियर इंजीनियर के पद पर तैनात रमेश शंभरकर को घर का नक्शा मंजूर करने के ऐवज में 2 हजार रुपए रिश्वत लेने के मामले में एक साल कैद और 10 हजार रुपए जुर्माने की सजा हो चुकी है। बर्खास्त करने के प्रस्ताव इसी साल अप्रैल महीने में भेजा गया जो अब तक प्रलंबित है। भंडारा जिले के साकोली तहसील कार्यालय में तैनात सहायक रजिस्ट्रार कैलाश गाडे को रजिस्ट्री के लिए 15 हजार की घूस लेने के मामले में दो साल कैद और 15 हजार जुर्माने की सजा हो चुकी है। अगस्त 2019 में बर्खास्तगी का प्रस्ताव भेजा गया है जिस पर अब तक फैसला नहीं हुआ है।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली के मुताबिक भ्रष्टाचार की जांच से जुड़े नियमों में बदलाव की जरूरत है। सरकार या संबिधत विभाग से जांच के लिए मंजूरी के लिए समयसीमा तय होनी चाहिए। इसके अलावा दोषियों और आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए भी जवाबदेही तैयार की जानी चाहिए।’
भ्रष्टाचारियों पर मेहरबान सरकार
दोषी पर बर्खास्त नहीं - 19
घूस लेते पकड़े गए पर निलंबित नहीं – 204
जांच आगे बढ़ाने की मंजूरी का इंतजार – 248
संपत्तियां जब्त करने की मंजूरी का इंतजार – 4,44,91,576 रुपए
Created On :   2 Aug 2022 9:22 PM IST