आर्मी बेस वर्कशॉप की चिमनी उगल रही जहरीला धुआँ, धरती और पानी में घुल रहे घातक कैमिकल

Army base workshop chimneys spewing poisonous smoke, deadly chemicals dissolving in earth and water
आर्मी बेस वर्कशॉप की चिमनी उगल रही जहरीला धुआँ, धरती और पानी में घुल रहे घातक कैमिकल
आर्मी बेस वर्कशॉप की चिमनी उगल रही जहरीला धुआँ, धरती और पानी में घुल रहे घातक कैमिकल

डिजिटल डेस्क जबलपुर । सेना की गनों को दुरुस्त करने वाले 506 आर्मी बेस वर्कशॉप का इस बार प्रदूषण फैलाने के मामले में शुमार हो गया है। वर्कशॉप की चिमनी से इतना ज्यादा जहरीला धुआँ निकल रहा है कि यह आसपास के पर्यावरण और आबादी के लिए भी घातक साबित हो सकता है। इसके अलावा वर्कशॉप के टेक्निकल सेक्शनों से निकलने वाला कैमिकल, पानी के जरिए बाहर पहुँच रहा है। हैरानी वाली बात यह है कि वर्कशॉप प्रशासन ने एन्वायर्मेंट पॉल्यूशन एक्ट 2018 (ईपीए) के मापदण्डों को ही दरकिनार कर दिया है। यही वजह है कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अब वर्कशॉप के खिलाफ कोर्ट पहुँच गया है। मामले की अगली सुनवाई 22 अप्रैल को निर्धारित की गई है।
ऐसे फैलता है प्रदूषण
बोफोर्स, एल-70, धनुष और रायफल्स की ओवर हॉलिंग करने की जिम्मेदारी खमरिया स्थित 506 आर्मी बेस वर्कशॉप की है। आर्मी कंट्रोल्ड इस यूनिट में एक दर्जन से ज्यादा सेक्शन हैं। जानकारों का कहना है कि किसी भी छोटी-बड़ी गनों की मरम्मत के लिए सबसे पहले उन्हें कैमिकल ट्रीटमेंट दिया जाना जरूरी होता है। इसके लिए हर हथियार की पहले कई तरह के रसायनों से धुलाई की जाती है और फिर बॉयलर में उबाला जाता है। यहीं से प्रदूषण फैलने की शुरूआत हो जाती है।
कुछ मुद्दों पर असहमति
वर्कशॉप प्रशासन पूरी तरह से इस पर सहमत नहीं है। सैन्य अधिकारी सीधे तौर पर कुछ कहने तैयार नहीं है। आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि वर्कशॉप में धुआँ छोडऩे वाला कोई एक्यूपमेंट नहीं है। बॉयलर जरूर है जिससे प्रदूषण फैलने का सवाल ही नहीं उठता। रही बात ऑइल, ग्रीस मटेरियल की तो उन्हें बेहतर तरीके से कलेक्ट कर आर्मी डिपो भेजा जाता है। कुछ मुद्दे जरूर हैं जिन पर असहमति चल रही है।
* वर्कशॉप में प्रदूषण फैलने की एक बड़ी वजह इफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (ईटीपी) के न होने से भी रही है। सूत्रों का कहना है कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के भोपाल कार्यालय से गाइडलाइन जारी होने के बाद भी वर्कशॉप प्रशासन ने ईटीपी पर कोई रुझान नहीं दिखाया।
* प्रशासन का तर्क रहा कि वर्कशॉप के भीतर इफ्लुएंट जैसा कोई विषय है ही नहीं, लेकिन इसके कुछ समय बाद भारत सरकार की गाइडलाइन में इसे अनिवार्य किया गया, तब जाकर आर्मी बेस वर्कशॉप को ईटीपी के लिए मजबूर होना पड़ा।
* हाल फिलहाल ईटीपी के इंस्टॉलेशन की प्रक्रिया शुरू की गई है। सूत्रों का कहना है कि यही इंस्टॉलेशन अगर पहले कर लिया जाता, तो न प्रदूषण फैलने की स्थिति बनती और न ही वर्कशॉप इस तरह से कठघरे में आता। 
नियमों का पालन
हम प्रदूषण संबंधी प्रावधानों का बखूबी पालन कर रहे हैं। ट्रीटमेंट प्लांट पर तेजी से काम चल रहा है। इससे ज्यादा जानकारी फोन पर नहीं दी जा सकती है।
-कर्नल चिन्मय पारेख, प्रशासन, 506 आर्मी बेस वर्कशॉप
 

Created On :   2 April 2021 8:40 AM GMT

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