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सत्र न्यायालय से भी अर्नब को नहीं मिली राहत, फैसला सुरक्षित
डिजिटल डेस्क, मुंबई। अलीबाग के सत्र न्यायालय ने एक इंटीरियर डिजाइनर को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार वरिष्ठ पत्रकार अर्नब गोस्वामी को पुलिस हिरासत में भेजने की मांग से जुड़े आवेदन पर अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है। कोर्ट ने 12 नवंबर 2020 को अपना फैसला सुनाने को बात कही है। सोमवार को बॉम्बे हाईकोर्ट ने गोस्वामी को राहत देने से इंकार कर दिया था। हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ गोस्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। अर्नब की जमानत पर बुधवार को सुनवाई होगी। इस बीच अर्नब की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर की गई है। पिछले दिनों मैजिस्ट्रेट कोर्ट ने गोस्वामी को पुलिस हिरासत में भेजने से इंकार कर दिया था। निचली अदालत के इस आदेश के खिलाफ पुलिस ने सत्र न्यायालय में चुनौती दी है। इसी कोर्ट में प्रकरण से जुड़े तीनो आरोपियों के जमानत आवेदन पर भी सुनवाई होगी।
न्यायाधीश आर जी मालाशेट्टी के सामने पुलिस के आवेदन पर सुनवाई हुई। इस दौरान आरोपी की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता आबाद पोंडा ने कहा कि आरोपी व शिकायतकर्ता के बीच कॉन्ट्रैक्ट से जुड़ा विवाद है। यह मामला आपराधिक न्यायालय की बजाय सिविल कोर्ट में चलना चाहिए।
सरकार-पुलिस के खिलाफ बोलने की सजा
उन्होंने कहा कि मेरे मुवक्किल समाचार वाचक हैं। उन्हें इस तरह से सिर्फ इसलिए चुप कराना उचित नहीं है। क्योंकि उन्होंने राज्य सरकार व पुलिस के खिलाफ कुछ कहा है। उन्होंने कहा कि मेरे मुवक्किल पूछताछ के लिए उपलब्ध रहेंगे। वे फरार नहीं होगे। इसलिए उन्हें पुलिस हिरासत में न भेजा जाए। उन्होंने कहा कि कॉन्ट्रैक्ट के तहत किया गया कार्य संतोषजनक नहीं था इसलिए पैसे रोके गए थे। उन्होंने कहा कि जब इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक के आत्महत्या का मामला सामने आया था।
तब मेरे मुवक्किल ने पुलिस स्टेशन में आकर अपना बयान दर्ज कराया था। उस समय पुलिस ने मेरे मुवक्किल को गिरफ्तार नहीं किया था। गोस्वामी को पुलिस ने 4 नवंबर 2020 को मुंबई स्थित उनके घर से गिरफ्तार किया गया था। फिलहाल गोस्वामी को न्यायिक हिरासत के तहत तलोजा जेल में रखा गया है। मामले के अन्य दो आरोपी फिरोज शेख व एन शारदा के वकीलों ने भी पुलिस की जांच को अनुचित बताया।
विशेष सरकारी वकील प्रदीप घरत ने कहा कि पुलिस को प्रकरण को लेकर नए सबूत मिले हैं। जिसके लिए आरोपी को पुलिस हिरासत में लेकर पूछताछ जरूरी है। उन्होंने कहा कि आरोपी को कुछ राजनीतिक दलों से भी समर्थन मिल रहा है। इसलिए उससे हिरासत में लेकर पूछताछ किया जाना आवश्यक है। इन दलीलों को सुनने के बाद न्यायाधीश ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया।
Created On :   10 Nov 2020 9:48 PM IST