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फिर खटाई में पड़ा विधानसभा अध्यक्ष चुनाव, राज्यपाल ने नहीं दी मंजूरी
डिजिटल डेस्क, मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव फिर खटाई में पड़ गया है। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव के लिए मतदान की बजाय ध्वनिमत का नियम बनाने को राज्यपाल ने असंवैधानिक मानते हुए सोमवार को विस अध्यक्ष चुनाव की अनुमति नहीं थी। राज्य ती आघाडी सरकार ने सोमवार को नामंकन और मंगलवार, 28 दिसंबर को विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव की योजना बनाई थी। इस बीच प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि भाजपा के इशारे पर विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव में अडंगा लगाया गया है।
राज्यपाल से अनुमति न मिलने के बाद आघाडी सरकार विधानमंडल के शीतकालिन सत्र के अंतिम दिन मंगलवार को विधानसभा अध्यक्ष चुनाव कराने की कोशिश में जुट गई है। इसके पहले रविवार को राजस्व मंत्री बाला साहेब थोरात, खाद्य आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल और नगरविकास मंत्री एकनाथ शिंदे ने राज्यपाल कोश्यारी से मिल कर विस अध्यक्ष चुनाव के लिए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का पत्र सौपा था। पर राज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष चुनाव के लिए नियमों में बदलाव को असंवैधानिक बताते हुए विस अध्यक्ष चुनाव के लिए अनुमति देने से इंकार कर दिया है। सोमवार को हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में इस संबंध में चर्चा हुई।
सरकार को चुनाव की उम्मीद
सूत्रों के अनुसार राजभवन से मुख्यमंत्री को बंद लिफाफे में भेजे गए पत्र में इस बात का उल्लेख है कि राज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव की अनुमति देने से इंकार कर दिया है। एक वरिष्ठ मंत्री ने बताया कि हम इस मामले का हल निकालने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि मंगलवार को विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव हो सकता है। बीते फरवरी में विधानसभा अध्यक्ष पद से नाना पटोले के इस्तीफे के बाद से यह पद रिक्त है।
भाजपा ने लगाया अडंगाः नाना पटोले
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा है कि विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव मंगलवार को ध्वनिमत से ही होगा। उन्होंने कहा कि विस अध्यक्ष का चुनाव ध्वनिमत से कराए जाने का फैसला संविधान के खिलाफ नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा राज्यपाल के जरिए विस अध्यक्ष चुनाव में अडंगा लगा रही है पर मंगलवार को चुनाव होगा।
पटोले ने कहा कि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राज्य सरकार को एक पत्र भेजा है, जिसमें कहा गया है कि ध्वनि मत से चुनाव कराना असंवैधानिक है। सोमवार को विधानभवन में पत्रकारों से बातचीत में पटोले ने कहा कि विधायिका के पास नियमों को बदलने की शक्ति है, जिसके अनुसार विधानसभा अध्यक्ष चुनाव के लिए नियमों में बदलाव किया गया है। महाराष्ट्र सरकार ने ध्वनि मत से चुनाव की वही प्रक्रिया अपनाई है, जो लोकसभा में लागू है। यही परंपरा अन्य राज्यों में भी अपनाई गई है। महाराष्ट्र में भी विधान परिषद सभापति का चुनाव ध्वनिमत से होता है। इस लिए राज्यपाल को पत्र भेज कर बताया जाएगा कि विधायिका द्वारा लिया गया निर्णय असंवैधानिक नहीं है। पटोले ने कहा कि यह पता चला है कि भाजपा राज्यपाल की आड़ में एक छिपे हुए एजेंडे के तहत विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव को नहीं होने देना चाहती है। उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए चुनाव प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। लेकिन भाजपा जानबूझकर राज्यपाल के जरिए इसमें बाधा डाल रही है।
Created On :   27 Dec 2021 7:25 PM IST