किताब को जीवनावश्यक वस्तु घोषित करने पर विचार करेगी सरकार

Assurance in High Court - Government will consider declaring the book as essential item
किताब को जीवनावश्यक वस्तु घोषित करने पर विचार करेगी सरकार
हाईकोर्ट में आश्वासन  किताब को जीवनावश्यक वस्तु घोषित करने पर विचार करेगी सरकार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य सरकार ने बांबे हाईकोर्ट को सूचित किया है कि वह किताबों को जीवनावश्यक वस्तु घोषित किए जाने के निवेदन पर विचार करने को तैयार है। निवेदन प्राप्त होने के 6  सप्ताह के भीतर इस पर निर्णय लेने  का प्रयास किया जाएगा। मराठी प्रकाशक परिषद के अध्यक्ष अरुण जाखडे ने किताबों व उसकी बिक्री को आवश्यक वस्तु की श्रेणी में शामिल करने की मांग को लेकर अधिवक्ता असीम सरोदे के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में स्पष्ट किया गया था कि कोरोना संकट के चलते लगी पांबंदियों के मद्देनजर किताबों की बिक्री को आवश्यक वस्तु की सूची में शामिल करना जरुरी है। याचिका में दावा किया गया था कि ‘जैसे जीवन के लिए भोजन जरूरी है, वैसे ही विचारों के लिए किताब रुपी भोजन आवश्यक है।’लिहाजा किताबों को आवश्यक वस्तु की सूची में शामिल किया जाए। न्यायमूर्ति गौतम पटेल व न्यायमूर्ति माधव जामदार की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान सरकारी वकील ने कहा कि याचिका में की गई मांग को लेकर यदि निवेदन दिया जाता है तो सरकार इस पर विचार करने को तैयार है। इस पर अधिवक्ता असीम सरोदे ने कहा कि वे इस बारे में एक निवेदन राज्य सरकार को देंगे। ताकि राज्य सरकार केंद्र से याचिका में उनकी ओर से की गई मांग के संबंध में आग्रह कर सके। इसके साथ ही हम एक निवेदन सीधे केंद्र सरकार के संबंधित विभाग को देंगे। जिससे उनके निवेदन पर निर्णय लिया जा सके। यह निवेदन तीन सप्ताह के भीतर दे दिया जाएगा। 

याचिका के अनुसार कोरोना के चलते लोग घरों में ज्यादा रह रहे हैं। ऐसे में यदि लोगों को सहजता से किताबें उपलब्ध हो तो न सिर्फ उनकी चिंंताए व बोरियत दूर होगी बल्कि तनाव भी कम होगा। इसके अलावा कोरोना काल मे प्रकाशकों को काफी आर्थिक नुकसान हुआ है। इसलिए भी किताबों को आवश्यक वस्तु घोषित किया जाए। जो की सबके हित में है। याचिका के मुताबिक जीवनावश्यक अधिनियम में आवश्यक वस्तु की कोई तय परिभाषा नहीं दी गई है। इसलिए सरकार को किताबों को आवश्यक वस्तु की श्रेणी में शामिल करने की दिशा में ठोस कदम उठाने का निर्देश दिया जाए। इस तरह खंडपीठ ने याचिका व सरकारी वकील से मिली जानकारी के बाद य़ाचिका को समाप्त कर दिया और कहा कि संभव हो सके तो सरकार 6 सप्ताह के भीतर याचिका में की गई मांग को लेकर दिए जानेवाले निवेदन पर निर्णय ले। 

Created On :   19 Nov 2021 7:20 PM IST

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