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बापू की एक आवाज पर हरिजनों के लिए सोने-चांदी के जेवरात कर दिए थे दान
डिजिटल डेस्क कटनी ।देश के उन सौभाग्यशाली स्थानों में कटनी भी शामिल है, जहां पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने आकर इतिहास के पन्नों में अमर कर दिया। 2दिसम्बर 1933 का वह दिन और वह स्थल आज धरोहर के रुप में संस्कृति विभाग स्वराज संस्थान संचालनालय मध्यप्रदेश एवं जिला प्रशासन के बीच दर्ज हो गया है। हरिजन उद्धार कार्यक्रम में गांधी जी अपने दल के साथ तडक़े ही रेल से कटनी पहुंचे। उस समय उन्हें राष्ट्रीय स्कूल के एक कक्ष में ठहराया गया। यह कक्ष आज भी राष्ट्रपिता की यादों को सहेजा हुआ है। गांधी जी के याद में बीआरसी परिसर में बनाया गया गांधी चिंतन केन्द्र भी गांधीवादियों को अपनी ओर खींच रहा है। इस केन्द्र में अब तक देश-विदेश के ख्याति प्राप्ति लोग पहुंच चुके हैं।
बारडोली में रहा उत्साह
गांधी जी के आगमन का श्रेय कांग्रेस के युवा नेता गोविंद प्रसाद खम्परिया और उनके साथियों को जाता है। तिलक स्कूल के शिक्षक आर.के. तिवारी बताते हैं कि जिस तरह से उन्होंने अपने बड़े-बुजुर्गों से सुना है उस समय गांधी जी के आगमन को लेकर पंडित खम्परिया जी में गजब का उत्साह रहा। गांधी जी के आगमन को लेकर जब तिथि तय हो गई, तब कटनी में चारों तरफ उत्साह का माहौल था। राष्ट्रीय स्कूल के जिस कक्ष में गांधी जी ठहरे हुए थे, वहां पर राष्ट्रपिता के दर्शन के लिए दूर-दराज से लोग पहुंचे।
अंग्रेज दम्पति ने किया स्वागत
शिक्षक तिवारी बताते हैं कि गांधी जी के कटनी प्रवास पर एक और खास बात यह थी कि कांग्रेस के फंड में अंग्रेज दम्पति ने भी नगद राशि दान की थी।अहिंसा के पुजारी से प्रेरित होकर देश और समाज सेवा में शामिल अंग्रेज दम्पति फॉरेस्टर ने बापू का स्वागत अपने घर में किया। देश के उत्थान के लिए कांग्रेस फण्ड में पति और पत्नी ने 501-501 रुपए की थैली भेंट की थी।
एक आवाज पर उतार दिए जेवरात
समाज के पिछड़े लोगों का विकास करने की जिस सोच से बापू का आगमन बारडोली में हुआ था। उस सोच पर यहां के लोगों ने सब-कुछ न्यौछावर करते हुए स्वर्ण अक्षरों में इतिहास लिख दिया। यहां के लोग बताते हैं कि फॉरेस्टर मैदान में जनसभा का आयोजन हुआ। उस समय कटनी की जनसंख्या करीब बीस हजार रही। इसके बावजूद जनसभा में हजारों का जनसैलाब पहुंचा। राष्ट्रपिता के उद्बोधन के बाद जनसभा में आए लोग इतना प्रभावित हुए कि यहां से हरिजन फंड के लिए बीस हजार रुपए एकत्र हुए। सभा में जो महिलाएं आई हुईं थी, उन्होंने पिछड़ों के कल्याण के लिए सोने-चांदी के कीमती आभूषण भी उतारते हुए फण्ड में दे दिए।
राष्ट्रपिता की याद में चिंतन केन्द्र
शहर में तिलक स्कूल का वह कक्ष और जनपद परिसर का गांधी चिंतन केन्द धरोहार के रुप में शामिल है। जगन्नाथ चौक के समीप इस केन्द्र में देश-विदेश से लोग पहुंच रहे हैं। बीआरसी विवेक दुबे बताते हैं कि इस स्कूल का नाम पहले महात्मा गांधी जी के नाम पर रहा। बाद में बच्चों की संख्या कम होते गई। जिसके बाद स्कूल को बंद कर दिया गया। यहां पर उन्होंने जनपद शिक्षा केन्द्र को लाने की पहल की। बोर्ड में लिखे गांधी जी के सपनों को साकार करने का मन बनाया, और बगैर किसी मदद के गांधी चिंतन केन्द्र बना दिया गया। जहां पर गांधी जी की कई तस्वीरें और उनकी पुस्तकें हैं।
Created On :   2 Oct 2019 2:45 PM IST