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सरकार से कर्ज लेकर लिया ऑटो, अफसर वाहनों का नहीं कर रहे पंजीयन
शहर में यातायात व्यवस्था की नाकामी छिपाने का खोजा तरीका, जरुरतमंद लगा रहे चक्कर
डिजिटल डेस्क कटनी । शहर में यातायात व्यवस्था की सुविधाओं और सेवाओं की जरुरतें पूरी करने की बजाए प्रशासन ने ऑटो रिक्शा के पंजीयन पर ही प्रतिबंध लगा दिया है। जिसके चलते इस सेक्टर के व्यापार में मंदी छाई हुई है। योजनाओं के तहत जो बेरोजगार वाहन ले लिए हैं। वे दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं। दरअसल चार माह पहले जिला सड़क सुरक्षा समिति की बैठक आयोजित हुई। बैठक में अफसरों और जनप्रतिनिधियों ने नए ऑटो रिक्शा के पंजीयन पर अव्यवहारिक रुप से रोक लगा दिया। अफसरों का यह अजीब निर्णय तो कार्यालयों की चहरदीवारी में सिमट कर रह गई थी। अंग्रेजी हुकूमत की याद दिलाती इस फैसले की सच्ची कहानी हाल में तब सामने आई। जब एक हितग्राही बैंक से लोन लेते हुए एजेंसी से वाहन खरीद लिया। जिला परिवहन कार्यालय में जब वह पंजीयन के लिए पहुंचा तो उसे पता चला कि यहां पर नए ऑटो का पंजीयन ही नहीं हो रहा है।
कर्ज तले दब गया चालक
यह सपना चालक को तब भारी पड़ गया। जब उमरिया के रजिस्ट्रेशन पर उसे कटनी में वाहन चलाने की अनुमति नहीं मिली। 84 हजार का यह कर्ज चालक के लिए घाव बन गया। इस संबंध में 24 सितम्बर को कलेक्टर को पीडि़त ने आवेदन भी दिया। जिसमें उसने कहा है कि यहां पर वाहन चलाने पर उसे कई तरह की परेशानियां होती है। जितने की सवारी नहीं मिलती, उससे अधिक चालानी कार्यवाही के रुप में उसे जुर्माना चुकाना पड़ जाता है। एक कर्ज चुकाने के लिए अब वह दूसरी जगह से कर्ज ले रहा है।
उमरिया से कराया पंजीयन
आरटीओ कार्यालय में पहुंचने के बाद अफसर के मुंह से यह फरमान सुनने के बाद तो कटनी निवासी अतुल कुमार नामदेव के होश ही उड़ गए। एक तरफ बैंक से ऋण मिलने के बाद वह वाहन खरीदकर उसका पूजा-पाठ करते हुए खुशियां मना रहा था, तो दूसरी तरफ जिला परिवहन कार्यालय के फरमान ने उसकी खुशियां पर ग्रहण लगा दिया। ऑटो खरीदने के बाद उसका पंजीयन भी अनिवार्य था। परिवहन विभाग के अफसर जब चालक की समस्या नहीं सुने तो वह फिर उमरिया जिले के आरटीओ कार्यालय में जाकर पंजीयन कराया।
नाकामी में परदा डालने की कोशिश
इस मामले ने प्रशासन की नाकामी को उजागर कर दिया है। नगर निगम, पुलिस के साथ प्रशासनिक अधिकारी भी कटघरे में खड़े हैं। शहर की जर्जर सड़कों को दुरुस्त नहीं किया जा रहा है। ऊपर से पार्किंग की जगह पर अवैध कब्जे से जिला मुख्यालय की सूरत बिगड़ रही है। रही कसर बैंकों और अन्य संस्थानों में पार्किंग एरिया की अनुपलब्धता पूरी कर दी है। प्रशासन के इस अजीब फरमान से ऑटो रिक्शा दुकान संचालकों में मायूसी छाई है। दुकानदारों काकहना है कि यदि पंजीयन का काम ही नहीं होगा तो फिर कोई नया ऑटो भी नहीं खरीदेगा। गौरतलब है जिले भर में वर्तमान समय में करीब साढ़े चार हजार पंजीकृत ऑटो हैं। इसमें पचास फीसदी शहर में तो पचास फीसदी ग्रामीण अंचलों में दौड़ते हैं।
इनका कहना है
जिला सड़क सुरक्षा समिति में यह निर्णय लिया गया था कि नए ऑटो का पंजीयन नहीं किया जाएगा। इसी का पालन परिवहन विभाग कर रहा है। यदि पंजीयन को लेकर कोई नया आदेश आता है तो ऑटो के पंजीयन में हमें कोई परहेज नहीं है।
एमडी मिश्रा, आरटीओ
Created On :   22 Oct 2020 6:45 PM IST