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बदहाल सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, उद्यान और जलापूर्ति विभाग ने साधी चुप्पी
डिजिटल डेस्क, नागपुर। मनपा ने नाले के सीवेज को ट्रीटमेंट कर उद्यानों में सिंचाई के लिए उपयोग करने का प्रयोग किया है। इसके लिए प्रायोगिक तौर पर जापानी तकनीक से मलजल शोधन (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) संयंत्र मनपा मुख्यालय में 26 जनवरी 2020 को शुरू की गई। इस केंद्र के माध्यम से प्रतिदिन 5000 लीटर पानी का ट्रीटमेंट कर मुख्यालय के उद्यानों को सिंचाई का दावा किया गया। प्लांट शुरू होने के कुछ माह बाद ही बंद हो गया, जो अब तक शुरू नहीं किया गया है। यह प्रयोग सफल होने पर शहर में जोन कार्यालयों समेत अन्य स्थानों पर भी लगाया जाना था, लेकिन मनपा के उद्यान और जलापूर्ति विभाग द्वारा दिलचस्पी नहीं ली जा रही है। संयंत्र की बिजली आपूर्ति भी रोक दी गई है। सीवेज ट्रीटमेंट की टंकी और पाइपलाइन भी पूरी तरह से टूट गई हैं। जलप्रदाय विभाग और उद्यान विभाग के अधिकारी पूरे मामले में मौन साधे हुए हैं। इस प्लांट की सहायता से प्रतिदिन 150 रुपए में 5000 लीटर पानी का ट्रीटमेंट होने का राइट वाटर कंपनी का दावा है। प्रायोगिक तौर पर 5 लाख की लागत से मशीन समेत अन्य खर्च के रूप में 7 लाख रुपए की लागत आई है। इस प्लांट के बेहतरीन रूप में परिणाम दिखाई देने पर जलप्रदाय विभाग को राइट वाटर कंपनी को प्लांट की लागत के रूप में 7 लाख रुपए का भुगतान किया जाना था, इतना ही नहीं, करीब 6 माह तक जलप्रदाय विभाग की ओर से प्लांट की प्रक्रिया का निरीक्षण और परीक्षण करने के बाद अंतिम निर्णय लिया जाना था। बावजूद इसके प्रयोग को लेकर दो साल से कोई भी फैसला नहीं हो पाया है। जलप्रदाय विभाग के अधिकारी पूरे मामले में उद्यान विभाग की जवाबदेही होने को लेकर पल्ला झाड़ रहे हैं। उद्यान विभाग का तर्क है कि इस प्रयोग को जलप्रदाय विभाग की निगरानी और जिम्मेदारी में किया गया है। ऐसे में पानी के उपयोग को लेकर जलप्रदाय विभाग को ही फैसला करना है।
सभी प्रमुख नालों पर स्थापित होंगे संयंत्र
दो साल पहले मनपा मुख्यालय परिसर में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का पूर्व महापौर संदीप जोशी ने लोकार्पण किया था। इसके माध्यम से नाले के गंदे पानी को साफ कर मनपा के उद्यानों में इस्तेमाल किया जाना है। जापान की जोकासु कंपनी द्वारा मनपा की छत्रपति शिवाजी महाराज प्रशासकीय इमारत के समीप से बहने वाले नाले पर संयंत्र स्थापित किया गया है। संयंत्र से प्रतिदिन 5 हजार लीटर गंदे पानी को स्वच्छ किया जाएगा। गंदे पानी पर प्रक्रिया कर दोबारा इस्तेमाल में लाया जाना है। इस पानी के इस्तेमाल से स्वच्छ पानी के साथ ही बिजली की भी बचत होने की उम्मीद की जा रही है। मनपा जल्द ही शहर भर के प्रमुख नालों पर सीवेज ट्रीटमेंट संयंत्र को स्थापित करने का निर्णय लेने वाली है, ताकि सीवेज से दोबारा इस्तेमाल के तैयार पानी को खेल के मैदानों, बगीचाें के लिए उपयोग में लाया जा सके। मनपा की अनदेखी से पूरी व्यवस्था बुरे हाल में पहुंच गई है।
ऐसी है सीवेज ट्रीटमेंट प्रक्रिया
सीवेज ट्रीटमेंट प्रक्रिया में दो स्तर पर जल को साफ किया जाता है। पहले चरण में गंदे पानी के अन्य घटक प्लास्टिक थैली, लकड़ी जैसे पदार्थ को जाली के माध्यम से रोककर पानी को अगली प्रक्रिया के लिए भेजा जाता है। दूसरे चरण में पानी को वैज्ञानिक प्रक्रिया से साफ कर दोबारा इस्तेमाल के लिए संवर्धन किया जाता है। सीवेज को नागरी और औद्योगिक दो भागों में वर्गीकरण किया जाता है। घरेलू शौचालय, स्नान, कपड़े, बर्तन धोने समेत अन्य माध्यम से नागरी सीवेज तैयार होता है, जबकि कारखानों समेत अन्य उत्पादन प्रक्रिया में रसायन मिश्रित सीवेज निकलता है। गंदे पानी को 3 पैसे प्रति लीटर की दर से रोजाना ट्रीटमेंट में खर्च आता है।
दूसरा प्लांट भी भगवान भरोसे
चार साल पहले जापान सरकार ने मनपा को सीवेज ट्रीटमेंट की तकनीक निशुल्क मुहैया कराई थी, लेकिन जापान की जोकासु कंपनी की तकनीक से नरेन्द्र नगर में पीएमजी सोसायटी उद्यान में प्लांट को स्थापित करने के बाद भी आरंभ नहीं किया गया। इसकी वजह यह थी कि प्लांट को संचालित करने के लिए जानकार आपरेटर मनपा के पास मौजूद नहीं हैं। साल भर पहले राइट वॉटर कंपनी ने नरेन्द्र नगर उद्यान के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट को दोबारा से शुरू करने का दावा हो रहा है। इस प्लांट से 10000 लीटर प्रतिदिन सीवेज को प्लांट में साफ कर उद्यानों में जलापूर्ति के लिए इस्तेमाल करने की जानकारी भी दी जा रही है, लेकिन इस पानी के उपयोग को लेकर मनपा के दोनों विभागों में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है।
विभाग की जवाबदेही
मनोज गणवीर, अभियंता, जलप्रदाय विभाग के मुताबिक मनपा परिसर में राइट वॉटर कंपनी के सहयोग से प्रयोग को क्रियान्वित किया गया था, लेकिन बाद में कोरोना संक्रमण के चलते लॉकडाउन होने से देखभाल नहीं हो पाई। वैसे भी सीवेज ट्रीटमेंट के बाद पेड़ों को जलापूर्ति की जिम्मेदारी उद्यान विभाग के हवाले होती है। उद्यान विभाग के पास ही पूरा ब्योरा मौजूद होगा।
Created On :   10 Feb 2022 3:14 PM IST