कांग्रेस की बहुजन पॉलिटिक्स: भीम आर्मी की सभा ने कई संगठनों के कान किए खड़े

Bahujan Politics of Congress: Bheem Armys gathering caught the attention of political experts
कांग्रेस की बहुजन पॉलिटिक्स: भीम आर्मी की सभा ने कई संगठनों के कान किए खड़े
कांग्रेस की बहुजन पॉलिटिक्स: भीम आर्मी की सभा ने कई संगठनों के कान किए खड़े

डिजिटल डेस्क, नागपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुख्यालय परिसर में भीम आर्मी की सभा ने राजनीतिक जानकारों का ध्यान खींचा। सभा को लेकर मामला अदालत तक पहुंच चुका था। भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने भाषण में संयमता कायम रखी। लेकिन संघ व सरसंघचालक को लेकर उनके भाषण में तल्खी रही। आजाद की आक्रामकता को संघ के महानगर संघचालक राजेश लोया ने यह कहकर एकदम सामान्य ठहराया कि संघ के बारे में अधिक नहीं जाननेवाले इस तरह की बातें करते रहते हैं। लेकिन बहुजन समाज को न्याय दिलाने का दावा करनेवाले संगठनों के कान खड़े हो गए हैं। चर्चा यही है कि कार्यक्रम में भीड़ कैसे जुटी। भीम आर्मी की नागपुर या महाराष्ट्र में न तो संगठनात्मक ताकत देखी गई है न ही अधिक कार्यकर्ता नजर आते हैं। फिर सभा के आयोजन व नियोजन की व्यवस्था कैसे हो पायी है। चर्चा में भीम आर्मी को कांग्रेस की बहुजन पालिटिक्स का हिस्सा भी दर्शाया जा रहा है। इस मामले पर बसपा के एक पदाधिकारी ने कहा है कि नागरिकता के सवाल को लेकर सभा में इस तरह की भीड़ जुटना स्वाभाविक बात है। लोग सरकार के विरोध में हर प्रदर्शन में शामिल हो रहे हैं। लेकिन भीम आर्मी के बारे में यह भी नहीं भूलना चाहिए कि वह कोई राजनीतिक संगठन नहीं है। कांग्रेस के लिए बहुजन पालिटिक्स का हिस्सा भर है। भीम आर्मी के प्रमुख को कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने उत्तरप्रदेश व दिल्ली में राजनीतिक तौर पर सहयोग किया है। बसपा पदाधिकारी ने यह भी कहा है कि महाराष्ट्र में बहुजन समाज राजनीतिक तौर पर अधिक सजग है। भीम आर्मी का संगठनात्मक प्रभाव यहां नहीं बढ़ सकता है। इस आयोजन के बारे में बसपा प्रमुख मायावती ने ट्वीट कर कहा भी है कि कांग्रेस जैसे दल बसपा के विरोध में नये नये प्रयोग कर रहे हैं। इस मामले पर बहुजन वंचित आघाड़ी के पदाधिकारी ने कहा है कि भीम आर्मी की सभा को किसी संगठन की राजनीतिक ताकत के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए। राज्य में बहुजनों के बीच बहुजन वंचित आघाड़ी का प्रभाव है। सीएए, एनआरसी के अलावा संघ के विरोध में बहुजन वंचित आघाड़ी पहले से ही आक्रामक स्थिति में है। सीएए को लेकार बहुजन वंचित आघाड़ी के आव्हान पर महाराष्ट्र बंद का प्रदर्शन भी हो चुका है। आरपीआई के विविध संगठनों के पदाधिकारियों ने भी कहा है कि इस तरह की सभा किसी विषय या मुद्दे तक ही सीमित रहती है। इसे राजनीतिक ताकत के तौर पर नहीं देखा जा सकता है।

इनका कहना है

बसपा के जिला प्रभारी नागोराव जयकर ने कहा है कि सभा के लिए उनके संगठन को आमंत्रित नहीं किया गया था। सीएए व एनआरसी के विषय को लेकर उस सभा में कार्यकर्ताओं का शामिल होना सामान्य बात है। वंचित बहुजन आघाड़ी के शहर अध्यक्ष रवि शेंडे के अनुसार राज्य में उनके संगठन की विविध चुनावों में ताकत बढ़ती जा रही है। भीम आर्मी को राज्य में बहुजन राजनीति के विकल्प के तौर पर नहीं देखा जा सकता है। रिपब्लिकन सेना के प्रदेश अध्यक्ष सागर डबरासे ने कहा है कि केंद्र सरकार के विरोध में माहौल बना है। ऐसे में विरोध सभाओं को राजनीतिक तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए। 

Created On :   23 Feb 2020 6:51 PM IST

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