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हटेगी सीबीआई जांच पर लगी पाबंदी, महा आघाडी सरकार ने लगाई थी - बढ़ेगी विपक्षी दलों की मुश्किलें
डिजिटल डेस्क, मुंबई। महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन के बाद अब केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) पर राज्य में प्रवेश पर लगी पाबंदी हटने वाली है। अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत मौत मामले के वक्त तत्कालिन महा विकास आघाडी सरकार ने राज्य में जांच के लिए सीबीआई पर पाबंदी लगा दी थी। बगैर राज्य सरकार के अनुमति के सीबीआई किसी मामले की जांच नहीं कर सकती, लेकिन अब राज्य में भाजपा के सहयोग से एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री बनने के बाद जल्द ही सीबीआई पर लगी पाबंदी हटा ली जाएगी। सूत्रों के अनुसार शिंदे-फडणवीस सरकार जल्द ही इस बावत फैसला लेगी। इसके पहले महा विकास आघाडी सरकार ने 21 अक्टूबर 2021 को राज्य में सीबीआई की जांच पर पाबंदी लगा दी थी। तत्कालिन ठाकरे सरकार ने केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई को राज्य में किसी भी मामले की जांच करने से रोक दिया था। जांच के लिए राज्य सरकार की अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया गया था। सूत्रों के अनुसार जल्द ही राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में इस पर फैसला लिया जाएगा। अगर ऐसा होता है तो महाराष्ट्र में विपक्ष के लिए मुश्किलें बढ़ जाएंगी।
निशाने पर कौन
सीबीआई पर पाबंदी के बाद महाराष्ट्र में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) सक्रिय थी। राज्य में महाविकास अघाड़ी सरकार सत्ता के बावजूद शिवसेना नेता अनिल परब, संजय राऊत, भावना गवली, प्रताप सरनाइक, यामिनी जाधव, यशवंत जाधव के साथ राकांपा नेता नवाब मलिक, अनिल देशमुख के खिलाफ ईडी ने जांच शुरु की थी इनमें मलिक, देशमुख व राऊत को जेल भी जाना पड़ा जबकि ईडी के रडार पर आए शिवसेना नेताओं में परब को छोड़ तक बाकी भाजपा के पाले में आ गए हैं। राज्य में सीबीआई के सक्रिय होने के बाद अनुमान लगाया जा रहा है कि राकांपा नेता और ठाकरे केंद्रीय जांच एजेंसियों के रडार पर होंगे। पिछले दिनों भाजपा नेता मोहित कंबोज ने भी एक के बाद एक 5 बार ट्वीट कर कहा कि जल्द ही राकांपा का एक बड़ा नेता अनिल परब, संजय राऊत और नवाब मलिक से जेल में मुलाकात करेगा। राजनीतिक गलियारों में यह भविष्यवाणी की जा रही है कि सिंचाई घोटाला मामले में अजित पवार से पूछताछ हो सकती है।
9 राज्यों में सीबीआई पर पाबंदी
केंद्र में सरकार चाहे जिस दल की हो सत्ताधारी दल पर सीबीआई के दुरुपयोग के आरोप लगते रहते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में एक सुनवाई के दौरान सीबीआई को पिंजरे में बंद तोता कहा था। 2021 में मद्रास हाईकोर्ट ने टिप्पणी की थी कि केंद्र सरकार को सीबीआई को मुक्त करना चाहिए, जो एक पिंजरे में बंद तोता जैसा है। 2014 में केंद्र में भाजपा सरकार के सत्ता में आने के बाद विपक्ष शासित राज्यों में महत्वपूर्ण मामले सीबीआई के पास जाने लगे। विपक्ष का आरोप था कि सीबीआई केंद्र सरकार की कठपुतली बन गई है क्योंकि सीबीआई विपक्षी नेताओं पर छापेमारी कर रही है। उसके बाद विपक्षी दलों ने भी आक्रामक रुख अख्तियार करते हुए सीबीआई को अपने-अपने राज्यों में जांच की इजाजत देने से इनकार कर दिया था। 2014 के बाद से देश के 9 गैर भाजपा शासित राज्यों महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, झारखंड, केरल, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब, मेघालय और मिजोरम ने सीबीआई को सीधी जांच से प्रतिबंधित कर दिया था। पश्चिम बंगाल में एक मामले में कोलकाता पुलिस आयुक्त के आवास पर उनसे पूछताछ करने गए सीबीआई अधिकारियों को राज्य पुलिस ने घर से बाहर निकाल दिया था।
Created On :   19 Aug 2022 5:56 PM IST