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खंदारी जलाशय के जलग्रहण क्षेत्र में निर्माण कार्यों पर रोक, डुमना एयरपोर्ट के विस्तारीकरण के काम को छूट
हाईकोर्ट ने कहा- आवंटित और प्रस्तावित प्रोजेक्टों को वैकल्पिक स्थानों पर ले जाने पर विचार कर रिपोर्ट पेश की जाए
डिजिटल डेस्क जबलपुर । मप्र हाईकोर्ट ने एपको द्वारा चिन्हांकित डुमना क्षेत्र में स्थित खंदारी जलाशय के जलग्रहण क्षेत्र में किसी भी प्रकार के निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी है। चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बैंच ने इस आदेश से डुमना एयरपोर्ट के विस्तारीकरण कार्य को छूट प्रदान की है। डिवीजन बैंच ने आदेश के परिपालन की जिम्मेदारी जबलपुर के संभागायुक्त और कलेक्टर को सौंपी है। डिवीजन बैंच ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि खंदारी जलाशय के जलग्रहण क्षेत्र में आवंटित या प्रस्तावित प्रोजेक्टों को वैकल्पिक स्थानों पर ले जाने पर विचार कर रिपोर्ट पेश की जाए, वैकल्पिक स्थान नर्मदा नदी के पार भी हो सकते हैं। याचिका पर अगली सुनवाई 2 अगस्त को होगी।
यह है मामला
नेपियर टाउन निवासी जगत जीत सिंह फ्लोरा, निकिता खंपरिया, विवेक शर्मा और सेवानिवृत्त कर्नल एके रामनाथन की ओर से डुमना नेचर रिजर्व में टाइगर सफारी के निर्माण को लेकर याचिकाएँ दायर की गई थीं। याचिकाओं की सुनवाई के दौरान आवेदन दायर कर बताया गया कि डुमना क्षेत्र में स्पोट्र््स सिटी सहित कई प्रोजेक्टों को अनुमति दी जा रही है। यह क्षेत्र खंदारी जलाशय का जलग्रहण क्षेत्र है, यदि इस क्षेत्र में निर्माण हो गए तो खंदारी जलाशय का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। आवेदन के साथ तालाबों के संरक्षण के लिए वर्ष 1997 में दायर गढ़ा गोंडवाना संरक्षण संघ की याचिका में वर्ष 2015 में पेश की गई एन्वायरमेंट प्रोटेक्शन एंड को-ऑर्डिनेशन ऑर्गनाइजेशन (एपको) की उस रिपोर्ट और नक्शे को पेश किया गया, जिसमें कहा गया कि खंदारी जलाशय के कैचमेंट एरिया को संरक्षित किया जाए और उस क्षेत्र में पौधारोपण किया जाए। डिवीजन बैंच ने बुधवार को गढ़ा गोंडवाना संरक्षण संघ सहित अन्य याचिकाओं की संयुक्त रूप से सुनवाई की।
कैचमेंट एरिया में दी जा रही निर्माण की अनुमति
अधिवक्ता मनोज शर्मा, अंशुमन सिंह, दिनेश उपाध्याय और बालकिशन चौधरी ने कहा कि वर्ष 2015 में तालाबों के संरक्षण के लिए दायर जनहित याचिका में एपको ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। रिपोर्ट में कहा गया कि डुमना एयरपोर्ट और खंदारी जलाशय के बीच पूरा हिस्सा खंदारी जलाशय का जलग्रहण क्षेत्र है। एपको ने रिपोर्ट में नक्शा लगाकर कहा है कि खंदारी जलाशय के जलग्रहण क्षेत्र में किसी भी प्रकार का निर्माण नहीं किया जाए। जलग्रहण क्षेत्र को संरक्षित करने के लिए पौधारोपण करने के लिए कहा गया था, लेकिन सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की। वहीं दूसरी तरफ खंदारी के जलग्रहण क्षेत्र में ग्रीन स्पोट्र््स सिटी सहित अन्य निर्माण कार्यों को अनुमति दी जा रही है। अधिवक्ता श्री शर्मा ने कहा कि खंदारी जलाशय से शहर के एक बड़े हिस्से में पेयजल की आपूर्ति होती है। यदि खंदारी जलाशय के जलग्रहण क्षेत्र में निर्माण की अनुमति दे दी गई तो खंदारी जलाशय का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव और उप महाधिवक्ता स्वप्निल गांगुली ने पक्ष प्रस्तुत किया।
अब 1986.4 एकड़ ही बचा खंदारी का जलग्रहण क्षेत्र
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता अंशुमन सिंह ने बताया कि 1908 के ब्रिटिश गजेटियर के अनुसार खंदारी का कुल जलग्रहण क्षेत्र 3360 एकड़ है। जिसमें 1373.6 एकड़ (40.88 प्रतिशत) के जलग्रहण क्षेत्र में डुमना एयरपोर्ट, ट्रिपल आईटी और फूड क्राफ्ट इंस्टीट्यूट का निर्माण हो चुका है। वर्तमान में खंदारी का जलग्रहण क्षेत्र 1986.4 एकड़ (50.12 प्रतिशत) बचा हुआ है। इस क्षेत्र में ग्रीन स्पोट्र््स सिटी, ज्यूडिशियल एकेडमी, रेलवे के आवास, लोकायुक्त कार्यालय, राजस्व विभाग और अन्य संस्थानों को निर्माण की अनुमति दी जा रही है। ऐसे में खंदारी जलाशय का जलग्रहण क्षेत्र पूरी तरह समाप्त हो जाएगा। सुनवाई के बाद डिवीजन बैंच ने एपको द्वारा चिन्हांकित खंदारी के जलाशय के जलग्रहण क्षेत्र में किसी भी प्रकार के निर्माण पर रोक लगा दी है।
Created On :   8 July 2021 2:06 PM IST