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कृषि भूमि के अर्जन पर दोहरे भुगतान पर लगी रोक लगाई
डिजिटल डेस्क,भोपाल। राज्य शासन ने जल संसाधन विभाग की परियोजनाओं के लिए अर्जित की जाने वाली कृषि भूमि के मामले में दोहरे भुगतान पर रोक लगा दी है। सभी जिला कलेक्टरों एवं जल संसाधन विभाग के कार्यपालन यंत्रियों से कहा गया है कि यदि भूमि पर उपलब्ध परिसंपत्तियों (मकान छोड़कर) का पृथक से मूल्यांकन कर दोहरा भुगतान किया जा रहा है तो ऐसी व्यवस्था तत्काल प्रभाव से बंद की जाए।
राज्य शासन ने कहा है कि सिंचाई परियोजनाओं के लिए अर्जित अथवा क्रय की जाने वाली भूमि के मूल्य निर्धारण के लिए कलेक्टर गाइडलाईन दर पर निर्धारित भूमि के अतिरिक्त भूमि पर उपलब्ध परिसंपत्तियों यथा सिंचाई के साधन एवं वृक्ष आदि का अतिरिक्त मूल्य/मुआवजा नियत कर भुगतान आदेश जारी किए जाने की जानकारी विभिन्न समीक्षा बैठकों में प्राप्त हुई है। भूमि के क्रय-विक्रय के संव्यवहार एवं रजिस्ट्री में न केवल भूमि का मूल्य शामिल होता है,लेकिन भूमि पर उपलब्ध परिसंपत्तियों का मूल्य भी शामिल होता है। इसी कारण भूमि पर उपलब्ध ट्यूबवेल, कुएं, वृक्ष आदि की पृथक रजिस्ट्री नहीं कराई जाती है और न ही इन्हें भूमि से अलग कर क्रय-विक्रय का संव्यवहार किया जाता है।
राज्य शासन ने कहा है कि कलेक्टर गाइडलाईन में निर्धारित भूमि के मूल्य में भूमि पर उपलब्ध परिसंपत्तियां शामिल होती हैं। महानिरीक्षक पंजीयक एवं मुद्रांक द्वारा समय-समय पर जारी सिंचित भूमि की कलेक्टर गाईडलाईन दर में कुएं, ट्यूबवेल आदि का मूल्य पृथक से नहीं जोड़े जाने का स्पष्ट लेख किया गया है। इसका कारण यह है कि कृषि भूमि में सिंचाई के साधन उपलब्ध होने के कारण ही भूमि का मूल्य असिंचित भूमि से अधिक रखा जाता है। सहमति से भूमि क्रय करने की नीति में भी भूमि का बाजार मूल्य कलेक्टर गाइडलाईन पर आधारित है। कलेक्टर गाइडलाईन में निर्धारित भूमि के मूल्य में भूमि पर उपलब्ध परिसंपत्तियां शामिल होने से परिसंपत्तियों का पृथक से मूल्यांकन कर मूल्य/मुआवजा भुगतान कराया जाने से दोहरे भुगतान की स्थिति उत्पन्न होती है जो अनुचित है।
जल संसाधन प्रमुख अभियंता राजीव कुमार सुकलीकर का कहना है कि समीक्षा बैठकों में कृषि भूमि के अर्जन में दोहरे भुगतान के प्रस्ताव आए थे जिस पर राज्य शासन ने ये निर्दश जारी किए हैं कि दोहरे भुगतान की स्थिति न बने।
Created On :   2 March 2018 10:27 AM IST