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कॉलेजों में होने वाले एडमीशनों में ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने पर रोक बरकरार
आरक्षण में बढ़ोत्तरी को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर पूर्व में दिया अंतरिम आदेश बरकरार रखते हुए हाईकोर्ट ने सुनवाई 23 सितंबर को निर्धारित की
डिजिटल डेस्क जबलपुर । ओबीसी वर्ग को मिलने वाले आरक्षण की सीमा 14 से बढ़ाकर 27 फीसदी किए जाने की संवैधानिकता को चुनौती देने वाले मामलों पर हाईकोर्ट में अब 23 सितंबर को सुनवाई होगी। मंगलवार को जस्टिस संजय यादव और जस्टिस बीके श्रीवास्तव की युगलपीठ ने 19 मार्च 2019 को कॉलेजों में होने वाले दाखिलों में ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने पर लगाई गई रोक को बरकरार रखा है। हालांकि युगलपीठ द्वारा सुनवाई के बाद दिए गए विस्तृत आदेश की फिलहाल प्रतीक्षा है।
जबलपुर की छात्रा अशिता दुबे व अन्य की ओर से दायर इन मामलों में राज्य सरकार द्वारा 8 मार्च 2019 को जारी संशोधन अध्यादेश की संवैधानिकता को चुनौती दी गई है। इस अध्यादेश के जरिए प्रदेश में ओबीसी वर्ग को मिलने वाले आरक्षण को 14 फीसदी से बढ़ाकर 27 फीसदी किया गया था। याचिका में आरोप है कि अजा वर्ग को 16, अजजा वर्ग को 20 और ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण देने से कुल आरक्षण 63 प्रतिशत हो जाएगा, जो सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों की बैंच द्वारा वर्ष 1993 में इंदिरा साहनी के मामले में दिए फैसले के खिलाफ होगा। उक्त फैसले में देशी की शीर्ष अदालत ने कहा था कि आरक्षण का लाभ 50 प्रतिशत से ज्यादा नहीं हो सकता है। मामलों पर उभय पक्षों को अपने-अपने जवाब व दस्तावेज 4 सप्ताह में पेश करने के निर्देश देकर सुनवाई मुलतवी कर दी।
Created On :   19 Aug 2020 1:41 PM IST