बनारस की बर्फी ने छेड़ी थी ब्रितानिया हुकूमत के खिलाफ जंग, ऐसे बनी थी आजादी की लड़ाई का हिस्सा

Barfis Revolt Banarass Barfi had waged a war against British rule, this was how it was part of the freedom struggle
बनारस की बर्फी ने छेड़ी थी ब्रितानिया हुकूमत के खिलाफ जंग, ऐसे बनी थी आजादी की लड़ाई का हिस्सा
बर्फी की बगावत बनारस की बर्फी ने छेड़ी थी ब्रितानिया हुकूमत के खिलाफ जंग, ऐसे बनी थी आजादी की लड़ाई का हिस्सा
हाईलाइट
  • बनारस की बर्फी की गजब कहानी
  • ब्रितानिया हुकूमत के खिलाफ बर्फी ने किया ऐलान-ए-जंग

डिजिटल डेस्क, वाराणसी। देश की आजादी के लिए जाने कितनों ने शहादत दी। फांसी पर चढ़े, सिर कटाए, कभी कुर्बान हुए, कभी जान ली। वतन के वास्त दो सौ बरस तक ये जंग जारी रही। इंसान तो इंसान इस जंग में देश की बर्फी भी पीछे नहीं रही। जी हां, बिलकुल सही सुन रहे हैं आप। देश की बर्फी ने भी जंग-ए-आजादी में शिरकत की है और अंग्रेजों के छक्के भी छुड़ाए हैं।

बर्फी ने यूं किया ऐलान-ए-जंग
ये उन दिनों की बात है जब तिरंगे पर अंग्रेजों ने रोक लगा दी थी। बर्फी का जंगी इतिहास तकरीबन 150 साल पुराना बताया जाता है। उस वक्त तब के बनारस में बर्फी की दुकान हुआ करती थी राम भंडार। राम भंडार की बर्फियां उस वक्त दूर दूर तक मशहूर थीं। बस इसी का लाभ उठाते हुए, बर्फी को बनाया हथियार और राम भंडार आजादी की जंग का हिस्सा बना गया। यहां तिरंगी बर्फियां बननी शुरू हो गईं। तिरंगे पर रोक के दौर में जब ये अंदाज दिखा, तो कहा जाता है कि खुद ब्रितानिया हुकूमत भी हिल गई। जब हर हाथ में तिरंगी बर्फी ही नजर आती थी। न सिर्फ तिरंगी बर्फी बल्कि जवाहर लड्डू, गांधी गौरव, मदन मोहन, वल्लभ संदे और नेहरू बर्फी जैसे नामों से भी यहां मिठाइयां बनती और बिकती रहीं।  तिरंगे के रंग पर पहरा लाने वाले अंग्रेज तिरंगी बर्फी के स्वाद और जंग के आगाज पर कोई बंदिश नहीं लगा सके।

आज भी जारी है पंरपरा
तिरंगी बर्फी बनाने की ये परंपरा उस पुराने मिष्ठान भंडार में आज भी जारी है। जहां हर 15 अगस्त को तिरंगी बर्फी बनाई जाती है। और सालों पुराने इस गौरवशाली इतिहास की याद दिलाती है। 

 

Created On :   14 Aug 2021 2:10 PM GMT

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