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शिवसेना की बगावत में परदे के पीछे उपराजधानी के सियासी खिलाड़ियों का संबंध, पवार की बागियों को दो टूक
डिजिटल डेस्क, नागपुर। महाराष्ट्र के मौजूदा सियासी संकट पर पूरे देश की नजर है। जहां कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खडग़े ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी एवं केंद्र सरकार राष्ट्रपति चुनाव में संख्या बल जुटाने के मकसद से महा विकास आघाड़ी सरकार को अस्थिर करने का ‘खेल’ खेल रहे हैं, वहीं एनसीपी सुप्रीमों शरद पवार ने दो टूक शब्दों में कहा कि बागियों को इसकी कीमत चुकानी होगी।
शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे के तेवर नरम नहीं हैं। वे 45 के करीब विधायकों के समर्थन का दावा करते हुए वे दलबदल विरोधी कानून को भी चुनौती देने की जुगत लगा रहे हैं। ताजा घटनाक्रम में एक वीडियो जारी हुआ, जिसके तहत बागी शिवसेना नेताओं ने एकनाथ शिंदे को अपना नेता चुना है। गुवाहाटी में एकनाथ शिंदे को नेता चुना गया। इस दौरान शिंदे खेमे की ओर से वीडियो जारी किया गया।
इससे पहले बुधवार को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे दावा कर चुके हैं कि उन्हें कुर्सी का कोई मोह नहीं है, उनका त्यागपत्र तैयार है, किसी विधायक ने उनका विरोध किया तो इस्तीफ़ा दे देंगे। मुख्यमंत्री ने सरकारी आवास ख़ाली कर दिया और मातोश्री चले गए। सांसद संजय राउत ने कह कि अब ज़्यादा से ज़्यादा क्या होगा, हम सत्ता में नहीं होंगे।
नागपुर से सियासी लिंक
यह तो था मौजूदा सियासी घटनाक्रम, इसपर वरिष्ठ पत्रकार आनंद निर्बाण का मानना है कि चर्चा का दौर गर्म है, शिवसेना की बगावत में परदे के पीछे या प्रत्यक्ष रूप से उपराजधानी और यहां के सियासी खिलाड़ियों का संबंध रहा है। आनंद निर्बाण ने बताया कि पहली बार जब छगन भुजबल के नेतृत्व में बगावत हुई थी, तो नागपुर में विधायकों को अंडरग्राउंड कर दिया गया था। इसका दायित्व तत्कालीन मंत्री रणजीत देशमुख व दिग्विजय खानविलकर को सौंपा गया था। उस समय सुधाकरराव नाईक मुख्यमंत्री हुआ करते थे तथा यह कार्य अत्यंत गुप्त तरीके से किया गया। पत्रकारों और अन्य राजनेताओं को इन बागी शिवसैनिकों को ढूंढ़ने में भारी मशक्कत करनी पड़ी थी। यहां यह बता दें कि इन लोगों को कोराड़ी के गेस्ट हाउस में टिका कर रखा गया था।
इस बार भाजपा या देवेंद्र फडणवीस कितना भी कहें, लेकिन इन दोनों को ही सर्वाधिक फायदा होने वाला था और यह बात आगे-पीछे सामने आएगी। विधान परिषद और राज्य सभा चुनाव में सत्तारूढ़ दल के दांत खट्टे करने का श्रेय पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को मिल ही चुका है और उद्धव ठाकरे की रवानगी में कमोबेश देवेंद्र फडणवीस की भूमिका रही है। अब तक विदर्भ से चार मुख्यमंत्री हुए हैं, लेकिन वसंतराव नाईक को छोड़ दें, तो कांग्रेस का अन्य कोई 5 साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया। गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पूरे पांच साल मुख्यमंत्री रहे। दूसरी बार तीन दिन के मुख्यमंत्री रहे, यह भी महाराष्ट्र की राजनीति में उनका एक अलग रिकॉर्ड रहा है।
Created On :   23 Jun 2022 8:10 PM IST