श्वानों से लोग हो रहे हलाकान, सिर्फ एक नसबंदी सेंटर

Being caused by dogs, only a sterilization center
श्वानों से लोग हो रहे हलाकान, सिर्फ एक नसबंदी सेंटर
श्वानों से लोग हो रहे हलाकान, सिर्फ एक नसबंदी सेंटर

डिजिटल डेस्क, नागपुर। शहर में आवारा श्वानों की समस्या विकराल होती जा रही है। हर गली, मुहल्ले में श्वानों के झुंड नजर आ रहे हैं। मनपा ने आवारा श्वानों की नसबंदी के लिए चार सेंटर शुरू करने की योजना बनाई, लेकिन अभी तक पशुचिकित्सक उपलब्ध नहीं हो सके हैं। शहर के दो नसबंदी सेंटर बंद हो गए हैं। महाराजबाग के पास एक सेंटर, जहां प्रतिदिन 20 से ज्यादा श्वानों की नसबंदी की जा रही है। मनपा की यह कार्रवाई ऊंट के मुंह में जीरे जैसी है। 80 हजार श्वानों की नसंबदी का कार्यक्रम कब पूरा होगा, यह फिलहाल कोई बताने की स्थिति में नहीं है।  

मनपा कई सालों से श्वान नसबंदी कार्यक्रम चला रही है, लेकिन श्वानों की संख्या कम होती नजर नहीं आ रही। मनपा का दावा है कि, शहर में 80 हजार आवारा श्वान है। 2018 में की गई गणना में यह आंकड़ा सामने आने की जानकारी मनपा दे रही है, जबकि शहर में इससे कहीं अधिक श्वान होने का दावा जानकार कर रहे है। मनपा कई सालों से शहर में चार नसबंदी सेंटर शुरू करने की योजना बना रही है, लेकिन योजना जमीन पर उतर नहीं रही है। सोनेगांव में एक नसबंदी सेंटर बनाया था, लेकिन यहां नसबंदी कार्यक्रम शुरू ही नहीं हो सका। जो संस्था काम करनेवाली थी, वह वापस चली गई है। भंाड़ेवाड़ी में मनपा का नसबंदी सेंटर था, लेकिन यहां से डाक्टर ही चला गया। गोरेवाड़ा में नसंबदी सेंटर की इमारत का काम अंतिम चरण में है। यहां शीघ्र सेंटर शुरू होने का दावा किया जा रहा है। 

नसबंदी शुल्क 700 रुपए
 वेट फॉर एनिमल नामक संस्था श्वानों की नसबंदी कर रही है। मनपा एक नसबंदी का 700 रुपए शुल्क देती है। नसबंदी करने के बाद तीन दिन श्वान को अस्पताल में रखा जाता है। इसके बाद मनपा इस श्वान को जहां से लाया वहां छोड़ देती है। शहर में 27 पशुचिकित्सक हैं आैर कोई चिकित्सक श्वानों की नसबंदी कराने के लिए आगे नहीं आ रहा।  

दो स्वानों पर सवाल
सेव स्पीचलेस ऑर्गनाइजेशन की संचालक स्मिता मिरे ने कहा कि, संस्था के माध्यम से डॉग शेल्टर चलाया जाता है। जख्मी आवारा श्वानों को आश्रय दिया जाता है। शेल्टर के दो श्वान नसबंदी के लिए मनपा को दिए थे। शासकीय पशुचिकित्सालय में श्वानों की नसबंदी हुई। दो दिन बाद श्वान वापस करने की बात हुई, लेकिन अभी तक श्वान नहीं मिले। मनपा के पशु चिकित्सक व मनपा प्रशासन को पत्र लिखकर श्वान वापस देने की मांग की। मनपा से संतोषजनक जवाब नहीं मिल रहा। श्वान अन्य जगह छोड़ देने का आरोप मनपा पर लगाया। लापरवाह कर्मचारियों पर कार्रवाई की मांग की।  इधर डा. गजेंद्र महल्ले का कहना है कि, श्वान जहां से लाए जाते हैं, नसबंदी के बाद वहीं ले जाकर छोड़ दिए जाते हैं। 

14 हजार पालतू
मनपा प्रशासन के अनुसार 2011 में जो गणना हुई उसके मुताबिक शहर में 14 हजार पालतू श्वान थे। 8 साल में यह आंकड़ा 20 हजार से ज्यादा होने का अनुमान है। आवारा श्वान 80 हजार होने की बात सहज रूप से गले नहीं उतर रही है। पालतू श्वानों के मुकाबले आवारा श्वानों की संख्या 10 गुना ज्यादा हो सकती है। 

डाक्टरों की दिलचस्पी नहीं, लोगों का विरोध भी 
आवारा श्वानों की नसबंदी करने में पशु चिकित्सकों की दिलचस्पी नहीं है। नसबंदी के बाद श्वान को कुछ हुआ तो लोग संबंधित चिकित्सक पर कार्रवाई करने की मांग करते हैं। इस कारण आवारा श्वानों की नसबंदी तेजी से नहीं हो पा रही है। फिलहाल एक ही जगह नसबंदी हो रही है। भांड़ेवाड़ी का नसबंदी सेंटर बंद है। सोनेगांव का नसबंदी सेंटर विरोध के कारण शुरू होने के पहले ही बंद हो गया। गोरेवाड़ा में शीघ्र ही सेंटर शुरू होगा। हर दिन लगभग 25 श्वानों की नसबंदी की जा रही है। जब पुन: गणना होगी, तभी आवारा श्वानों के पूरे आंकडे सामने आ सकेंगे। 
-डा. गजेंद्र महल्ले, पशुचिकित्सक, मनपा

Created On :   20 Nov 2019 12:56 PM IST

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