भंडारा अस्पताल अग्निकांड : बायो मेडिकल ट्रीटमेंट का काम देख रही एजेंसी भी निशाने पर

Bhandara Hospital Fire case : Action taken against seven people
भंडारा अस्पताल अग्निकांड : बायो मेडिकल ट्रीटमेंट का काम देख रही एजेंसी भी निशाने पर
भंडारा अस्पताल अग्निकांड : बायो मेडिकल ट्रीटमेंट का काम देख रही एजेंसी भी निशाने पर

डिजिटल डेस्क, मुंबई। भंडारा अस्पताल अग्निकांड में अभी भी कई अधिकारी-कर्मचारी निशाने पर हैं। बायो मेडिकल ट्रीटमेंट का काम संभाल रही एजेंसी पर भी गाज गिर सकती है। विभागीय आयुक्त की अध्यक्षता वाली जांच कमेटी ने सरकार को जो रिपोर्ट सौंपी है, उसमें रिफॉर्म (सुधार) के साथ ही बायो मेडिकल ट्रीटमेंट का काम संभालनेवाली एजेंसी की भी विस्तृत रिपोर्ट दी गई है।

10 शिशुओं की हुई थी मौत

याद रहे इस अग्निकांड में 10 शिशुआें की मृत्यु हुई थी। सरकार ने 21 जनवरी को जिला शल्य चिकित्सक समेत 7 वैद्यकीय अधिकारी-कर्मचारियों पर कार्रवाई की। सरकार को जो रिपोर्ट सौंपी गई है, उसके मुताबिक अस्पताल में कार्यरत अौर भी अधिकारी-कर्मचारियों पर गाज गिर सकती है। बायो मेडिकल ट्रीटमेंट का काम फेबर्स सिंदूरी संभालती है। चूंकि यह एजेंसी राज्य भर में काम करती है, इसलिए स्थानीय स्तर पर कार्रवाई नहीं होगी। सरकार ही इस पर निर्णय लेगी। रिपोर्ट में रिफार्म (सुधार) भी सुझाए गए हैं। इसके मुताबिक सरकार रिफार्म भी कर रही है। सभी विभागों की जिम्मेदारी तय है आैर उसके मुताबिक रिफार्म करने की सिफारिश रिपोर्ट में की गई है। फायर फाइटिंग की उन्नत तकनीक भी रिफार्म का हिस्सा है।

सुधार पर काम शुरू हुआ

कमेटी ने स्पष्ट किया कि अग्निकांड में लापरवाह अधिकारी-कर्मचारियों के अलावा निजी एजेंसी की भूमिका भी स्पष्ट की गई है। इसके अलावा इस तरह के हादसे को रोकने के लिए रिफॉर्म (सुधार) भी सुझाए गए हैं, जिस पर काम शुरू हो गया है। आैर कितने अधिकारियों पर कार्रवाई होगी, यह सरकार को तय करना है। सभी की भूमिका व कर्तव्य से सरकार को अवगत किया गया है।

पांच लोगों के खिलाफ कार्रवाई

भंडारा अस्पताल अग्निकांड में राज्य सरकार ने पांच लोगों के खिलाफ कार्रवाई की है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने गुरुवार को बताया कि जांच रिपोर्ट के अनुसार सरकार ने सात लोगों के खिलाफ कार्रवाई की है। इनमें अस्पताल के प्रभारी सिविल सर्जन डा प्रमोद खंडाटे को निलंबित कर दिया गया जबकि दो स्टाफ नर्स सहित चार लोगों की सेवा समाप्त की गई है। टोपे ने बताया कि बीते 9 जनवरी को भंडारा के सरकारी अस्पताल में आग लगने से 10 बच्चों की मौत हो गई थी। मामले की जांच के लिए नागपुर के विभागीय आयुक्त संजीव कुमार की अध्यक्षता में जांच कमेटी बनाई गई थी। कमेटी की जांच रिपोर्ट हमें बुधवार की रात मिली।

बेबी वार्मर पैनल में स्पार्क से लगी थी आग 

स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि भंडारा जिला अस्पताल के सिक न्यूबॉर्न केयर यूनिट के बेबा वार्मर के कंट्रोल पैनल में स्पार्क होने से आग लगी। चिनंगारी नीचे गिरने और वहा रखे प्लास्टिक-पेपर की वजह आग तेजी से फैली। तीन बच्चों की जलने की वजह से मौत हुई जबकि 6 बच्चों की जान दम घुटने से हुई। उन्होंने बताया कि फायर आडिट हुए बगैर अस्पताल की इमारत सौप दी गई थी।   

इनके खिलाफ हुई कार्रवाई 

टोपे ने बताया कि रिपोर्ट के अनुसार घटना के वक्त अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात नर्स अपनी तय जगह पर मौजूद नहीं थी। इससे उनकी लापरवाही सामने आई है। टोपे ने बताया कि अस्पताल के प्रभारी सिविल सर्जन डा प्रमोद खंडाटे को निलंबित किया गया है। जबकि सहायक सिविल सर्जन के पद पर तैनात डा सुनीता बडे को पद से हटा कर अकार्यकारी पद पर भेजा गया है। ड्यूटी पर तैनात मेडिकल ऑफिसर डा अर्चना मेश्राम और एसएनसीयू में तैनात डा सुती अंबादे की सेवा समाप्त कर दी गई है। इन दोनों की नियुक्ति ठेके पर की गई थी। एसएनसीयू प्रभारी परिसेविका (नर्स) ज्योति भारस्कर को निलंबित किया गया है। स्टाफ नर्स स्मिता संजय अंबिलडूके और शुभांगी साठवने की सेवा में लापरवाही के आरोप में सेवा समाप्त कर दी गई है। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि सभी सरकारी अस्पतालों में आग से निपटने की सुविधाओं का जायजा लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि मैंने सभी पालकमंत्रियों को पत्र लिखा है कि अस्पताल में सुविधाओं के लिए डीपीडीसी के माध्यम से धन उपलब्ध कराए।  

              

Created On :   21 Jan 2021 8:05 PM IST

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