मुंबई में गरीबों और अमीरों को मिलने वाली सुविधाओं में बड़ा अंतर

Big difference between the facilities available to the poor and the rich in Mumbai
मुंबई में गरीबों और अमीरों को मिलने वाली सुविधाओं में बड़ा अंतर
मुंबई में गरीबों और अमीरों को मिलने वाली सुविधाओं में बड़ा अंतर

डिजिटल डेस्क, मुंबई। देश की सबसे समृद्धि महानगर पालिका यानी मुंबई में रहने वाले गरीबों को बुनियादी सुविधाओं से वंचित रहना पड़ रहा है। प्रजा फाउंडेशन की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि महानगर में प्रतिव्यक्ति 188 लीटर प्रति व्यक्ति के हिसाब से पानी की सप्लाई हो रही है। यह भारतीय मानक ब्यूरो के मानदंड 135 लीटर प्रति व्यक्ति से काफी ज्यादा है लेकिन अमीरों के घरों और झुग्गी बस्तियों में सप्लाई होने वाले पानी में भारी अंतर है। महानगर के समृद्ध इलाकों में प्रति व्यक्ति 150 लीटर पानी की आपूर्ति हो रही है जबकि झुग्गी बस्तियों में  प्रति व्यक्ति 45 लीटर पानी की ही आपूर्ति हो रही है। इन बस्तियों में रहने वाले लोगों पानी के लिए टैंकर और दूसरे स्त्रोतों पर निर्भर रहना पड़ता है। जिसके लिए उन्हें 500 से 550 रुपए तक ज्यादा चुकाने पड़ते हैं। प्रजा फाउंजेशन के ट्रस्टी निताई मेहता ने कहा कि जिस तरह से कोविड से निपटने के लिए मुंबई महानगर पालिका ने रणनीति बनाई और स्थानीय स्तर पर लोगों को फैसले लेने के अधिकार दिए उसी तरह की रणनीति मुंबईकरों को बेहतर सुविधाएं मुहैया कराने के लिए अपनानी होगी। उन्होंने कहा कि कोविड ने निपटने के लिए मुंबई के सभी 24 वार्डों में युद्ध कक्ष स्थापित किए गए।

एकल शिकायत प्रणाली शुरू की गई। दूसरी शिकायतों के लिए भी यही रणनीति अपनानी होगी। आंकड़ों से पता चलता है कि 2020 में पानी से जुड़ी शिकायतें दूर करने के लिए औसत 29 दिन लिए गए जबकि दूसरी शिकायतों के निपटारे के लिए औसत 43 दिन लगे। साल 2015 में हुए एक सर्वे में पता चला था कि महानगर के 58 फीसदी सार्वजनिक शौचालयों में बिजली की व्यवस्था नहीं थी। इसके बाद ऐसा कोई सर्वे नहीं कराया गया। प्रजा फाउंडेशन से जुड़े योगेश मिश्रा ने कहा कि वार्ड समितियों को सक्रिय कर उनका सदुपयोग किया जाए  और तकनीक की भी मदद ली जाए तो स्थिति काफी हद तक बदल सकती है।

Created On :   8 Jun 2021 8:41 PM IST

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