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एक्ट में है बड़ी खामी, सैकड़ों व्यापारियों के करोड़ों रुपए अटके, वसूल ली पेनाल्टी
डिजिटल डेस्क, नागपुर। जीएसटी एक्ट की बड़ी खामी की वजह से सैकड़ों व्यापारियों के करोड़ों रुपए दो साल से शासन के पास अटके हुए हैं। प्रदेश की सीमा में वाणिज्यिक कर अधिकारियों ने पकड़े गए वाहन और माल पर पेनाल्टी की राशि वसूली थी। अब बेकसूर साबित होने पर वसूल की गई राशि इन व्यापारियों को लौटाई नहीं जा रही। वजह ये है कि जुर्माने की कार्रवाई के दौरान आरोपी व्यापारी को प्रदेश का अस्थायी जीएसटी नंबर दिया जाता है, जबकि अपने राज्य में उक्त व्यापारी का स्थायी जीएसटी नंबर होता है। अस्थायी नंबर का आईडी-पासवर्ड तीन महीने ही वैलिड रहता है और अपील कर फैसला आने मंे सालभर से अधिक समय लग जाता है। ऐसे में जिन व्यापारियों के पक्ष में फैसला आ चुका है, वे जुर्माने की राशि वापस पाने के लिए आवेदन नहीं कर पा रहे हैं, क्योंकि फैसला होने के दाे साल तक ही रिफंड के लिए आवेदन कर सकते हैं।
जीएसटी की धारा 68 के तहत 50 हजार से अधिक कीमत के माल परिवहन के दौरान ई-वे िबल व अन्य दस्तावेज होना अनिवार्य है। प्रदेश के व्यापारियों पर उनके जीएसटी नंबर के तहत ही केस दर्ज किया जाता है, लेकिन अन्य राज्यों के व्यापारियों से माल-वाहन पकड़ने पर उसका अस्थायी जीएसटी नंबर जनरेट कर जुर्माना वसूला जाता है। भले ही उक्त व्यापारी का उसके राज्य मंे स्थायी नंबर ही क्यों न हो। इस तरह के केस में 1 से 10 लाख तक पेनाल्टी लगाई जाती है।
ई-वे बिल जरूरी था : जीएसटी काउंसिल ने धारा 68 व नियम 138 का उल्लंघन करने पर वर्ष 2018 से एक राज्य से दूसरे राज्य में 50 हजार से अधिक मूल्य की 41 वस्तुओं का परिवहन करने पर ई-वे बिल जरूरी किया था।
जीएसटी काउंसिल से लगाई गुहार : नागपुर चेंबर ऑफ कामर्स के अध्यक्ष सीए कैलाश जोगानी ने बताया कि उन्होंने जीएसटी काउंसिल से गुहार लगाई कि आईडी-पासवर्ड की अवधि बढ़ाई जाए या फिर व्यापारी के स्थायी नंबर पर ही केस दर्ज करने का नियम बनाया जाए, ताकि वह पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन कर केस जीतकर रिफंड का आवेदन कर सके। इस विसंगति के चलते छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात आदि राज्यों के सैकड़ों व्यापारियों के करोड़ों रुपए की पूंजी डूब रही है।
Created On :   20 Feb 2022 3:19 PM IST