अमित शाह ने लिखा नायडू को लेटर, कहा- आपका फैसला दुर्भाग्यपूर्ण और एकतरफा

BJP President Amit Shah wrote a letter to Andhra CM Chandrababu Naidu
अमित शाह ने लिखा नायडू को लेटर, कहा- आपका फैसला दुर्भाग्यपूर्ण और एकतरफा
अमित शाह ने लिखा नायडू को लेटर, कहा- आपका फैसला दुर्भाग्यपूर्ण और एकतरफा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। तेलगु देशम पार्टी (टीडीपी) के एनडीए छोड़ने के एक हफ्ते बाद बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने आंध्रप्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू को एक पत्र लिखा है। जिसमें शाह ने टीडीपी के एनडीए छोड़ने के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण और एकतरफा बताया है। वहीं, फैसले पर एक बार फिर से विचार करने की गुजारिश भी की है। उन्होंने लिखा कि मुझे डर है, कि यह फैसला विकास की चिंताओं की बजाय राजनीतिक विचारों द्वारा निर्देशित होता हुआ दिखाई दे रहा है। बता दें, कि आंध्रप्रदेश के लिए स्पेशल पैकेज की मांग को लेकर टीडीपी ने 16 मार्च को एनडीए के साथ 4 साल पुराना गठबंधन तोड़ दिया था।


क्या लिखा है लेटर में?

चंद्रबाबू नायडू को भेजे गए लेटर में अमित शाह ने लिखा- ""सबसे पहले मैं आंध्र की जनता को उगादी त्यौहार की बधाई देता हूं। आशा करता हूं कि नया साल आपके जीवन में खुशियां लेकर आए। टीडीपी के एनडीए से अलग होने पर कहना चाहता हूं कि आपका यह फैसला विकास की चिंता की बजाय पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है। बीजेपी सरकार ने सभी गाइडलाइन फॉलो करते हुए आंध्र के लिए विकास की नीति बनाई। सभी लोग जानते हैं, कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी।"

 

 

अपने लेटर में शाह ने नायडू को एक बार फिर विश्वास दिलाते हुए लिखा है कि "बीजेपी, सबका साथ सबका विकास के सिद्धांत पर चलने वाली पार्टी है। आंध्र का विकास हमारे राष्ट्र विकास के एजेंडे में शामिल है।" इस लेटर में अमित शाह ने चंद्रबाबू नायडू को उस समय की याद दिलाई, जब आंध्र-प्रदेश का विभाजन किया जा रहा था। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने लिखा कि "जब आंध्र प्रदेश के बंटवारे की चर्चा हो रही थी, तब बीजेपी ने ही तेलुगू के लोगों की सुरक्षा और विकास के लिए आवाज उठाई थी। उन्होनें आगे लिखा, जब आपकी पार्टी के पास लोकसभा और राज्यसभा में आवश्यक अंक नहीं थे, तब बीजेपी ने ही आपकी मदद की थी।" बता दें कि शाह के इस लेटर के पहले पीएम मोदी भी चंद्र बाबू नायडू से फोन पर बात कर चुके थे। उनके निवेदन के बावजूद चंद्रबाबू नायडू ने अपने मंत्रियों के इस्तीफे के फैसले को नहीं टाला था।

अविश्वास प्रस्ताव का दिया है नोटिस

टीडीपी ने 19 मार्च को संसद में केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के लिए नोटिस दिया था। जिसे हंगामें के चलते स्वीकार नहीं किया जा सका। इस अविश्वास प्रस्ताव का कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी पार्टियां समर्थन दे रही है। टीडीपी के साथ इस प्रस्ताव का समर्थन करने वाली पार्टियों में कांग्रेस, एआईएडीएमके, टीएमसी, एनसीपी और सीपीएम जैसे बड़े दल शामिल हैं। हालांकि, इस अविश्वास प्रस्ताव से एनडीए को कोई खतरा नहीं है। बता दें, कि करीब चार साल के कार्यकाल में मोदी सरकार के खिलाफ पहली बार अविश्वास प्रस्ताव लाए गए हैं। हालांकि, इनसे सरकार को कोई खतरा नहीं है।

नायडू भी लिख चुके है लेटर

टीडीपी अध्यक्ष एन चंद्रबाबू नायडू भी इससे पहले अमित शाह को पत्र लिख चुके हैं। बीजेपी अध्यक्ष को लिखे इस पत्र में चंद्रबाबू नायडू ने कहा था कि उन्हें लगा कि एनडीए के साथ आगे बढ़ना निरर्थक है, क्योंकि केंद्र सरकार आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2014 को लागू करने की अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी निभाने में असफल हो गई है। उन्होंने जिक्र किया था कि राज्यसभा में दिए गए आश्वासन और अधिनियम के ज्यादातर महत्वपूर्ण प्रावधानों पर प्रक्रिया बहुत सुस्त, असंतोषजनक और निराशाजनक ढंग से चल रही थी।

विशेष राज्य की मांग पर TDP और NDA अलग

टीडीपी, आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग पर अड़ी थी, जिसको लेकर बजट सत्र की शुरुआत से ही पार्टी संसद में इस मांग को लेकर प्रदर्शन कर रही थी, लेकिन केंद्र सरकार ने उनकी यह मांग नहीं मानी, जिसके बाद टीडीपी  ने एनडीए से अलग होने का निर्णय लिया और फिर केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे दिया। विशेष राज्य की मांग पर वित्त मंत्री जेटली ने कहा था कि 14वें वित्त आयोग के बाद अब यह दर्जा नॉर्थ-ईस्ट और पहाड़ी राज्यों के अलावा किसी और को नहीं मिल सकता है। उन्होने कहा था कि आंध्र पोलवरम योजना और अमरावती के लिए 33-33 हजार करोड़ रुपए मांग रहा है। जिस पर केंद्र पोलवरम के लिए 5 हजार करोड़ और अमरावती के लिए ढाई हजार करोड़ रुपए दे चुका है। इसमें गुंटूर, विजयवाड़ा के लिए 500-500 करोड़ रुपए शामिल हैं। केंद्र के मुताबिक, आंध्र प्रदेश के अलावा बिहार, ओडिशा, राजस्थान और गोवा की सरकारें केंद्र सरकार से विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग कर रही हैं।

क्या होता है विशेष राज्य का दर्जा?

अभी भारत में 11 राज्य विशेष राज्य की श्रेणी में आते हैं। जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा, सिक्किम और असम यह 11 राज्य हैं। इन्हें 90% तक केंद्रीय अनुदान मिलता है। विशेष राज्य का दर्जा देने के लिए शर्तें हैं कि वह राज्य बेहद दुर्गम इलाके वाला पर्वतीय क्षेत्र, अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटा क्षेत्र हो और वहां कि प्रति व्यक्ति आय और राजस्व काफी कम हो, तब ही उसे विशेष राज्य की श्रेणी में लाया जा सकता है।

Created On :   24 March 2018 7:52 AM GMT

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