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कालाबाजारी : ब्लैक फंगस का इंजेक्शन एंफोटेरिसिन बी बाजार से अचानक गायब
डिजिटल डेस्क, नागपुर। जिले में मार्च और अप्रैल माह में बड़ी संख्या में कोरोना संक्रमित मिले थे। अधिकतर मरीजों को सांस लेने में तकलीफ की समस्या आई थी। अब संक्रमितों की संख्या कम हो रही है और बड़ी संख्या में मरीज डिस्चार्ज हो रहे हैं, लेकिन डिस्चार्ज होने के बाद मरीजों को ब्लैक फंगस यानी म्यूकर माइकोसिस की समस्या सामने आ रही है। इसके इलाज में उपयोग में आने वाले एम्फोटेरिसिन बी इंजेक्शन बाजार में खत्म हो गया है। सूत्रों के अनुसार, कालाबाजारी के चलते यह स्थिति आई है। नतीजतन, 15 हजार रुपए तक देने के बाद भी इंजेक्शन नहीं मिल रहा है। उत्पादक कंपनी पहले इसे 1500-1600 रुपए में देती थी, अब उन्होंने भी कीमत बढ़ाकर 5700 रुपए कर दी है।
कोरोना से ठीक हुए उन मरीजों को जिन्हें पहले से मधुमेह इलाज के दौरान स्टेरॉइड दिए गए हैं। ऐसे मरीजों को अब ब्लैक फंगस की परेशानी हो रही है। यह फंगस नाक से शुरू होकर जबड़ों तक, फिर आंख और फिर मस्तिष्क तक पहुंच रहा है। यह बीमारी तेजी से बढ़ रही है। इसके इलाज में एंफोटेरिसिन बी इंजेक्शन प्रभावी रूप से कार्य करता है। पहले इसका उपयोग इतना ज्यादा नहीं था, तो यह सीमित मात्रा में ही बनता था। अचानक मांग बढ़ने से कंपनियों ने इसका उत्पादन बढ़ा दिया है।
स्टॉक कर रखा है लोगों ने
एंफोटेरिसिन बी इंजेक्शन की एमआरपी 6800 रुपए है, जबकि यह रिटेलर यानी दुकानदारों को 1500 से 1800 रुपए प्लस जीएसटी में मिलता था। मांग बढ़ने के बाद उत्पादक कंपनियों ने रिटेलर के लिए इसकी कीमत 1500 से बढ़ाकर 5800 प्लस जीएसटी कर दी है। इसके कारण बाजार में भी यह महंगा मिल रहा है। इसके साथ ही कई बड़े अस्पतालों ने इसे स्टॉक कर रखा है। बाजार में उपलब्ध नहीं होने के कारण यह ब्लैक में 15000 रुपए तक का मिल रहा है।
50 से 90 वॉयल लगते हैं एक मरीज को
एंफोटेरिसिन बी इंजेक्शन का एक वॉयल 50 एमजी का आता है। मरीज के पूरे इलाज के दौरान 50 से 90 वॉयल लगते हैं। एक बार में 5 वॉयल का डोज दिया जाता है। वहीं कुछ मरीजों को एक बार में 10 वॉयल लगाए जाते हैं। ऐसे में इसकी कीमत बढ़ने से म्यूकरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस का इलाज भी महंगा हो गया है।
दाम बढ़ाने वाली कंपनियों पर हो कार्रवाई
अजय सोनी, अध्यक्ष, अखिल भारतीय फार्मेसिस्ट वेलफेयर एसोसिएशन के मुताबिक पहले इसकी मांग कम थी, इसलिए यह सीमित मात्रा में आता था। अब इसकी मांग अचानक बढ़ी है, इसलिए यह बाजार में नहीं है। इसे बनाने वाली कंपनियों ने भी अचानक दाम बढ़ाए हैं, जिससे ग्राहकों को भी इंजेक्शन महंगा मिल रहा है। कंपनियों पर कार्रवाई होनी चाहिए।
बी-लायपोसोनाल इजेक्शन की फिलहाल किल्लत
ब्लैक फंगस की रोकथाम के लिए जरूरी एम्फोटेरिसिन बी-लायपोसोनाल इजेक्शन की फिलहाल किल्लत है। राज्य में इस दवा का निर्माण केवल अंबरनाथ में होता है। इस दवा का स्टॉक करने या कालाबाजारी करने वालों से सावधान करते हुए जिला प्रशासन व अन्न व आैषधि प्रशासन विभाग की तरफ से चिल्लर व थोक दवा विक्रेताआें को नोटिस जारी कर जरूरी हिदायत दी गई है। बता दें कि नागपुर समेत राज्य में फिलहाल इस इंजेक्शन की भारी कमी बनी हुई है। प्रशासन ने थोक व चिल्लर दवा विक्रेताआें को नोटिस जारी कर स्टाॅक की जानकारी मांगी है। फिलहाल किसी के पास भी यह दवा नहीं होेने की जानकारी जिला प्रशासन को प्राप्त हुई है। इंजेक्शन की कमी होने से दवा विक्रेताआें द्वारा इसका स्टॉक या कालाबाजारी करने से इनकार नहीं किया जा सकता।
Created On :   16 May 2021 3:53 PM IST