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सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में नहीं शुरू हो पाई रक्त विघटन प्रक्रिया
डिजिटल डेस्क, नागपुर। सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में आने वाले अधिकतर मरीजों को बाहर से रक्त लाना पड़ता है। इन्हें प्लेटलेट्स की आवश्यकता होती है। सुपर में रक्त की प्लेटलेट्स उपलब्ध नहीं हाेने से मरीजों को समस्या का सामना करना पड़ रहा है। दूसरी तरफ दो साल ले रक्त विघटन के लिए मशीन खरीदने की प्रक्रिया अटकी हुई है। हॉफकिन कंपनी को मशीन खरीदने के लिए रुपए का भुगतान कर दिया गया है, लेकिन कंपनी उदासीनता बरत रही है। अति विशेषोपचार के लिए सुपर स्पेशलिटी अस्पताल मध्य भारत का सबसे अच्छा सरकारी अस्पताल माना जाता है। इसलिए यहां विदर्भ समेत मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना आदि राज्यों से मरीज आते हैं।
विघटन नहीं, होल ब्लड का विकल्प
सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में किडनी, लिवर, हार्ट, ब्रेन आदि के मरीज आते हैं। इन मरीजों को उपचार के दौरान प्लेटलेट्स, प्लाज्मा व आरसीबी नामक अलग-अलग रक्त घटक की आवश्यकता होती है, लेकिन इतने बड़े सुपर स्पेशालिटी के ब्लड बैंक में रक्त विघटन प्रक्रिया नहीं की जाती है। इससे मरीजों को होल ब्लड देेने के अलावा विकल्प नहीं होता। मजबूरी में मरीजों को बाहर से आवश्यकता नुसार रक्त घटक खरीदी कर लाना पड़ता है। संपन्न लोग तो यह घटक खरीद लेते हैं, लेकिन गरीबों के लिए यह संभव नहीं हो पाता। ऐसे में उन्हें समाजसेवी संगठनों के माध्यम से जुगाड़ करना पड़ता है।
इसलिए हो रहा विलंब : सुपर स्पेशालिटी को रक्त विघटन के लिए 2016 में मान्यता मिली। उसके बाद रक्त विघटन मशीन लगाने के लिए 2017 से प्रयास जारी है। 2019 में सरकार से इसके लिए मंजूरी मिली। मशीन खरीदने के लिए अस्पताल ने हॉफकिन कंपनी को निधि उपलब्ध कराई, लेेकिन कंपनी ने मशीन नहीं खरीदी। बताया गया कि पहले निविदा प्रक्रिया होती है, फिर विशेषज्ञों की टीम मशीन देखती है, जांच करती है और संतुष्टि के बाद मशीन का प्रात्याक्षिक होता है। अंत में निर्णय लिया जाता है। इस दौरान तमाम दस्तावेजी प्रक्रियाओं का भी पालन किया जाता है। इन सब कारणों से मशीन खरीदने में वर्षों लग जाते हैं। इससे न तो मरीजों को लाभ मिल पाता है और न ही योजनाएं समय पर क्रियान्वित हो पाती हैं।
रक्त संकलन में आई कमी : कोरोनाकाल में रक्तदाताओं की संख्या में कमी आ चुकी है। शिविरों के आयोजन भी कम हो रहे हैं। इससे रक्त का संकलन कम हो गया है। सूत्रों के अनुसार कोरोनाकाल में 50 फीसदी तक की कमी आई है।
कोरोना संक्रमण कम होने से यह संख्या 10 फीसदी तक बढ़ी है। रक्त संकलन नहीं होने से सरकारी अस्पतालों के मरीजों को बाहर से ही रक्त खरीदना पड़ता है। मेयो, मेडिकल व डागा में आए दिन रक्त की कमी हो जाती है।
Created On :   13 Feb 2022 4:02 PM IST