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सरकारी अस्पतालों में होते हैं अच्छे डॉक्टर, हाईकोर्ट ने की तारीफ
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने राज्य के सरकारी अस्पतालों व वहां के डॉक्टरों की सराहना की है। हाईकोर्ट ने कहा कि अभी भी लोग निजी की बजाय सरकारी अस्पताल जाने को प्राथमिकता देते हैं। वर्तमान में कोरोना के चलते सरकारी अस्पतालों में काम बढ गया है लेकिन यहां के डॉक्टर काफी अच्छे व सक्षम होते हैं। यही वजह है कि हाईकोर्ट के एक तत्कालिन मुख्य न्यायाधीश उपचार के लिए सरकारी अस्पातल में जाते थे।
न्यायमूर्ति एसएस शिंदे व न्यायमूर्ति मनीष पीटले की खंडपीठ ने यह बाते एल्गार परिषद मामले में आरोपी वरवरा राव के जमानत आवेदन पर सुनवाई के दौरान कही। राव को पिछले दिनों उपचार के लिए मुंबई के निजी अस्पताल नानावटी में भर्ती कराया गया था। इस दौरान राव की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद ग्रोवर ने कहा कि तलोजा जेल के सरकारी अस्पताल में उनके मुवक्किल के उपचार के लिए पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं। उन्होंने कहा कि फिलहाल उनके मुवक्किल का स्वास्थ्य ठीक है। लेकिन अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद मेरे मुवक्किल को फिर तलोजा जेल भेज दिया जाएगा। लेकिन जेल से जुड़े सरकारी अस्पताल में उपचार की पर्याप्त सुविधाएं नहीं है। उनके मुवक्किल कई बीमारियों से जूझ रहे हैं। इसलिए उन्हें स्वास्थ्य ठीक न होने के आधार पर जमानत दी जाए। उन्होंने कहा कि मेरे मुवक्किल के घर में डाक्टर हैं। ऐसे में मेरे मुवक्किल के उपचार में सार्वजनिक निधि खर्च करने की आवश्यक्ता नहीं है।
इस पर खंडपीठ ने कहा कि जेजे व सेंट जार्ज जैसे सरकारी अस्पताल काफी अच्छे हैं। वहां के डॉक्टर काफी सक्षम हैं। तभी लोग निजी अस्पताल की बजाय सरकारी अस्पताल में जाने को प्राथमिकता देते हैं। यहां तक की हाईकोर्ट के एक तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश भी उपचार के लिए सरकारी अस्पताल में जाते थे। इस बीच खंडपीठ ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी की ओर से पैरवी कर रहे एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह से पूछा की एल्गार परिषद मामले में कुल कितने गवाह हैं और क्या आरोपियों पर आरोप तय करने के लिए कोई तारीख तय की गई है। इस पर श्री सिंह ने जवाब देने के लिए समय मांगा। इस मामले की सुनवाई बुधवार को भी जारी रहेगी।
Created On :   19 Jan 2021 9:43 PM IST