अवैध निर्माण पर नाराजगी जताते हुए हाईकोर्ट ने सरकार को फटकारा, कहा- मानव जीवन का कोई मोल नहीं 

‌Bombay High Court reprimanded to government, Said - there is no value for human life
अवैध निर्माण पर नाराजगी जताते हुए हाईकोर्ट ने सरकार को फटकारा, कहा- मानव जीवन का कोई मोल नहीं 
अवैध निर्माण पर नाराजगी जताते हुए हाईकोर्ट ने सरकार को फटकारा, कहा- मानव जीवन का कोई मोल नहीं 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने अवैध निर्माण पर नियंत्रण को लेकर प्रशासन की निष्क्रियता को देखते हुए राज्य सरकार व महानगरपालिकाओं को कड़ी फटकार लगाई है। हाईकोर्ट ने कहा कि अवैध इमारत के गिरने के बाद लोगों की मौत हो जाती है फिर कुछ मुआवजा दे दिया जाता है और काम खत्म हो जाता है। क्या मानव जीवन का कोई मूल्य नहीं है। आखिर राज्य सरकार ने अवैध निर्णाण पर निगरानी रखने के लिए कमेटी व विशेष प्रकोष्ठ क्यों नहीं बनाया है। जबकि इस संदर्भ में काफी पहले निर्देश जारी किया गया था।

तो सभी मनपा आयुक्तों को अदालत में बुलाएंगे

हाईकोर्ट ने सभी महानगरपालिकाओं से बिना अनुमति के किए गए निर्माण कार्यों व उनके खिलाफ की गई कार्रवाई को लेकर वार्ड स्तर से जवाब मांगा था। इस संबंध में कोर्ट की ओर से 13 जनवरी 2021 को आदेश जारी किया गया था लेकिन किसी भी महानगरपालिका की ओर से अदालत के निर्देश के अनुरुप हलफनामा नहीं दायर किया गया। मामले को लेकर महनगरपालिकाओं के रुख से नाराज मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति गिरीष कुलकर्णी की खंडपीठ ने कहा कि यदि अगली सुनवाई के दौरान जवाब नहीं आया तो हम सभी महानगरपालिकाओं के आयुक्त को कोर्ट में हाजिर रहने का निर्देश देगे। ताकि वे समझ सके कि हमने उनसे कौन सी जानकारी मंगाई है। 

अवैध निर्माण इतना है कि आकड़े नहीं जुटा पा रहे

हाईकोर्ट ने भिवंडी में गिरी एक इमारत के मामले का स्वतः संज्ञान लिया था और मामले को जनहित याचिका में परिवर्तित किया था। भिवंडी में हुए इमारत हादसे में 38 लोगों की जान चली गई थी। सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे किसी महानगरपालिका को इस मामले में कोई रुचि नहीं है। उनमें कार्रवाई करने की न तो इच्छा रहती है और न कोई आशय। प्लान की मंजूरी के बिना बनी इमारतों को वैध कर दिया जाता है। आखिर किसी सभ्य समाज में क्या ऐसी चीज को बर्दाश्त किया जा सकता है। ठाणे महानगरपालिका की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता राम आप्टे ने कहा कि मनपा के अधिकारी अवैध निर्णाण से जुड़े आकड़ों को इकट्ठा कर रहे हैं। इस पर खंडपीठ ने कहा कि क्या इतना अवैध निर्माण हुआ है कि ऐसे निर्माण के आकड़े अब तक नहीं जुटाए जा सके। यह बेहद गंभीर मामला है। 

दोगुना संपत्ति कर लगाने में कौन सी महानगरपालिका इच्छुक

खंडपीठ ने कहा कि कानून में अवैध निर्माण करनेवालों पर दो गुना संपत्ति कर लगाने का प्रावधान है। लेकिन कोई मनपा इस प्रावधान का इस्तेमाल करने की इच्छुक नजर नहीं आ रही है। अगली  सुनवाई के दौरान हमे बताया जाए कि कौन सी महानगरपालिका इस कानून के तहत नोटिस जारी करने की इच्छुक है। खंडपीठ ने कहा कि मुंबई मनपा व्यावसायिक परिसर में किए जानेवाले अवैध निर्माण के लिए अलग से नीति बनाए। इससे पहले मुंबई मनपा की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल साखरे ने कहा कि हमने दो वार्ड में अवैध निर्माण के संदर्भ में 967 नोटिस जारी की है। 
 

Created On :   10 March 2021 3:22 PM GMT

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