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हाईकोर्ट का फैसला - पाक्सो के दोषी कैदियों को नहीं मिल सकती कोरोना पेरोल
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बाल यौन अपराध संरक्षण कानून (पाक्सो) के तहत दोषी पाए गए कैदी कोरोना आपात पैरोल के लिए पात्र नहीं है। बांबे हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति केके तातेड की पूर्णपीठ ने शुक्रवार को यह महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। पूर्णपीठ ने यह फैसला पाक्सो कानून के तहत दोषी पाए गए एक कैदी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद सुनाया है। फैसले में स्पष्ट किया गया है कि सरकार ने सीमित श्रेणियों के कैदियों को कोरोना महामारी के कुप्रभाव व स्वास्थ्य से जुड़ी दिक्कतों से बचाने के उद्देश्य से आपात पैरोल का प्रावधान किया है। जिसका लाभ विशेष कानून जैसे प्रिवेंशन आफ मनीलांडरिंग, अवैध गतिविधि प्रतिबंधक कानून के तहत दोषी पाए गए आरोपियों को नहीं दिया जा सकता है। पूर्णपीठ ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर कहा है कि गंभीर अपराध के तहत दोषी पाए जानेवाले कैदियों को छोड़ने के चलते समाज में पड़नेवाले असर को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
पूर्णपीठ ने याचिकाकर्ता के उस तर्क को भी अस्वीकार कर दिया जिसमें कहा गया था कि सरकार ने आपात पैरोल के संबंध में जो अधिसूचना जारी की है उसमें सिर्फ विशेष कानून के तहत दोषी पाए गए आरोपियों को पैरोल न देने का उल्लेख किया गया है, उसमें पाक्सो कानून के तहत दोषी पाए जानेवालों को पैरोल न देने का उल्लेख नहीं है। किंतु खंडपीठ ने कहा कि अधिसूचना में कुछ विशेष कानून के साथ इत्यादि शब्द जोड़ा गया है। जिसका अर्थ है कि ऐसे दूसरे विशेष कानून भी उसमें शामिल माने जाएंगे।
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने कोरोना के प्रकोप के मद्देनजर जेलों में कैदियों की भीड़ को देखते हुए ऐसे कैदियों को आपात पैरोल पर छोड़ने का निर्देश जारी किया था जिन्हें सात साल तक की सजा हुई है अथवा ऐसे अपराध में विचाराधीन आरोपी हैं जिसमें सात साल की सजा का प्रावधान है। मामले को लेकर दो विरोधाभासी फैसले होने के चलते इस मामले को सुनवाई के लिए पूर्णपीठ के पास भेजा गया था। जिस पर सुनवाई के बाद खंडपीठ ने कहा है कि पाक्सो कानून के तहत दोषी पाए गए कैदी आपात पैरोल के हकदार नहीं है।
Created On :   6 Nov 2020 10:09 PM IST