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54 दिन से नहीं मिला बीएसएनएल कर्मियों को वेतन, जानिए हजारों प्राध्यापक भी क्यों हैं मजबूर
डिजिटल डेस्क, नागपुर। अपने कर्मचारियों को समय पर वेतन देने के लिए प्रसिध्द भारत संचार निगम लिमिटेड के सितारे गर्दीश में चल रहे है। नवंबर का वेतन अब तक नहीं मिल सका है। नवंबर महीने का वेतन नहीं मिला, 6 दिन बाद दिसंबर महीना भी खत्म होने जा रहा है। 54 दिन बाद भी कर्मचारी वेतन को तरस रहे है। इधर स्वेच्छानिवृत्ती (वीआरएस) योजना के तहत नागपुर से बीएसएनएल के 565 कर्मचारी वीआरएस ले रहे है। बीएसएनएल अपने कर्मचारियों को महीने की आखरी तारीख को वेतन देता है। पिछले कुछ महीनों से बीएसएनएल अपने कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं दे पा रहा है। अक्टूबर का वेतन 8 नवंबर को हुआ, नवंबर का वेतन 24 दिसंबर की रात तक नहीं हो सका था। 6 दिन बाद दिसंबर भी खत्म हो रहा है। ऐसे में कर्मचारियों को दो महीने के वेतन का का इंतजार है। 31 दिसंबर को नवंबर का वेतन भी होगा या नहीं यह अभी तय नहीं हो सका है। कर्मचारी अपने स्तर पर जानकारी जुटाने की कोशिश कर रहे है, लेकिन इन्हें कहीं से भी सही जानकारी नहीं मिल पा रही है। बीएसएनएल नागपुर जिले में 1000 अधिकारी-कर्मचारी कार्यरत है। इधर वीआरएस के लिए जिले से 565 कर्मचारी आनलाइन आवेदन कर चुके है। 31 जनवरी से इनकी सेवा समाप्त हो जाएगी। 1 फरवरी 2020 से बीएसएनएल नागपुर में 50 फीसदी से कम ही कर्मचारी बचेंगे।
हजारों प्राध्यापक भी नाम मात्र मानधन पर काम करने को मजबूर
वहीं सरकार के कायम बिना अनुदानित शब्द ने नागपुर समेत राज्य के हजारों प्राध्यापकों को योग्यता होने के बावजूद नकारा बना दिया। सेट, नेट की परीक्षा व डाक्टरेट की डिग्रीवाले प्राध्यापक महंगाई के इस दौर में नाम मात्र मानधन पर काम करने को मजबूर है। नागपुर समेत राज्य मेें कुल 1953 सीनियर कालेजों को एक रूपए का अनुदान नहीं मिलता।राज्य सरकार ने सीनियर कालेजोें के लिए कायम बिना अनुदान शब्द की शर्त रखी है। नियम-शर्तों को ध्यान में रखकर समय-समय पर कालेजों को चरणबध्द तरीके से अनुदान मिलता है। 2001 के पहले के 53 व 2001 के बाद के 1900 ऐसे कालेज है, जिन्हें अब तक फूटी कौडी का अनुदान नहीं मिला है। यहां कार्यरत प्राध्यापक सेट, नेट की परीक्षा उत्तीर्ण होने के साथ ही कई प्राध्यापक डाक्टरेट है। कुल 1953 सीनियर कालेजों में हजारों प्राध्यापक इस उम्मीद में काम कर रहे है कि आज नहीं कल अनुदान आएगा आैर उसका लाभ इन्हें मिल सकेगा। फिलहाल ये प्राध्यापक मानधन पर काम कर रहे है। महंगाई के इस दौर में 15-20 हजार में काम कर रहे है। कायम शब्द हटाने के लिए शिक्षक विधायकों की तरफ से कई बार कोशिश हुई, लेकिन कायम शब्द जस का तस बना हुआ है। 1953 कालेजांे में नागपुर विभाग के भी 100 से ज्यादा कालेज शामिल है। शीत सत्र में मंत्री बालासाहब थोरात ने प्राथमिक, माध्यमिक व उच्च माध्यमिक (जूनियर कालेज) को हर साल 20-20 फीसदी अनुदान जारी करने का वादा किया। इसके बाद सीनियर कालेजों को भी हर साल अनुदान मिलने की उम्मीद जगी, लेकिन सरकार की तरफ से इस बारे में निर्णय नहीं हो सका। शिक्षक क्षेत्र से चूने गए विधायक दत्ता सावंत ने मंत्री सुभाष देसाई से मिलकर सीनीयर कालेजों के अनुदान में बाधा बन रहे कायम शब्द को हटाने की गुजारिश की। प्राध्यापकों की संख्या हजारों में है। इसके लिए बड़े बजट की जरूरत है। मंत्री देसाई ने इस पर विचार करने का आश्वासन दिया।
Created On :   24 Dec 2019 10:04 PM IST