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मंत्रिमंडल का फैसला : जलयुक्त शिवार की जगह मुख्यमंत्री जलसंवर्धन कार्यक्रम
डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रदेश में मुख्यमंत्री जलसंवर्धन कार्यक्रम लागू करने के लिए राज्य मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी है। इसके जरिए जल स्रोतों की मरम्मत कर सिंचाई क्षमता पुनर्स्थापित की जाएगी। इसके लिए 1340.75 करोड़ रुपए निधि की जरूरत पड़ेगी। यह कार्यक्रम अप्रैल 2020 से मार्च 2023 तक की अवधि में लागू किया जाएगा। समझा जा रहा है कि फडणवीस सरकार के जलयुक्त शिवार की जगह यह नई योजना शुरु की गई है।
राज्य के मृदा व जलसंरक्षण विभाग के अधीन 600 हेक्टेयर सिंचाई क्षमता वाले पाझर तालाब, गांव तालाब, भंडारण तलाब, लघु सिंचाई तालाब, भंडारण बांध, कोल्हापुर पद्धति के बांध, मालगुजारी तालाब, सीमेंट नाला बांध, मिट्टी नाला बांध, मोड़ के बांध आदि जल स्रोतों की विशेष मरम्मत कर इनकी सिंचाई क्षमता बहाल की जाएगी। नहर के भराव व नहर पर निर्माण टूटने से सिंचाई के लिए नहर से जाने वाला पानी बड़े पैमाने पर व्यर्थ चला जाता है। इसलिए नहरों के मरम्मत का काम भी किया जाएगा। मृदा व जलसंरक्षण विभाग की दक्षता व गुणवत्ता नियंत्रण दस्ते के माध्यम से कामों की समय-समय पर जांच की जाएगी। राज्य स्तर और आयुक्त स्तर पर परियोजना कार्यान्वयन कक्ष की स्थापना की जाएगी। इसके जरिए परियोजनाओं की निगरानी होगी। मुख्य अभियंता तथा सह सचिव परियोजना कार्यान्वयन कक्ष के प्रमुख होंगे।
मंत्रिमंडल के फैसले के अनुसार प्रदेश में 30 से 40 वर्ष तक सूखा निवारण के लिए रोजगार गारंटी योजना व अन्य योजनाओं के माध्यम से बड़े पैमाने पर जल स्रोतों का निर्माण किया गया था परंतु जल स्रोतों के नियमित देखभाल और मरम्मत न होने से उसका पूर्ण क्षमता से इस्तेमाल नहीं होता। पिछले साल राज्य सरकार ने बजट में फडणवीस सरकार की जलयुक्त शिवार योजना के बदले मुख्यमंत्री जलसंवर्धन कार्यक्रम लागू करने की घोषणा की थी।
Created On :   4 Feb 2021 7:57 PM IST