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सरकार से पूछा - क्या निजी संस्थान मदद के लिए दिए जानेवाले विज्ञापन में बच्चों की तस्वीर लगा सकते हैं
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार व मुंबई पुलिस से जानना चाहा है कि क्या निजी संस्था व कंपनी को कैंसर व दूसरी गंभीर बीमारियों से जूझनेवाले बच्चों की मदद के लिए ऑनलाइन तरीके से क्राउंड फंडिंग (जन सहयोग) करने की अनुमति है। हाईकोर्ट ने यह सवाल इम्पैक्ट गुरु टेक्नॉलाजी वेंचर (क्राउंड फंडिग प्लेटफार्म) कंपनी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान किया है। इसके साथ ही सरकार को इस मुद्दे पर जवाब देने का निर्देश दिया है।
पिछले दिनों मुंबई पुलिस ने याचिकाकर्ता की कंपनी को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। यह नोटिस बाल न्याय कानून 2000 की धारा 76 के तहत जारी किया गया था। क्योंकि याचिकाकर्ता की ओर से सोशल मीडिया पर बच्चों की तस्वीर का इस्तेमाल गलत संदर्भ में किया गया था। बाल न्याय कानून की धारा 76 के तहत यदि कोई बच्चे का इस्तेमाल भीख मांगने अथवा उसे कहीं काम पर लगाने के लिए करता है तो इसे अपराध माना जाएगा और आरोप साबित होने पर पांच साल के कारावास की सजा हो सकती है साथ ही एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है।
कंपनी को आशंका है कि पुलिस उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर सकती है। इसलिए कंपनी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। न्यायमूर्ति पीबी वैराले व न्यायमूर्ति नीतिन बोरकर की खंडपीठ के सामने इस याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता नीतिन प्रधान ने कहा कि उनके मुवक्किल एक निजी कंपनी चलाते हैं जिसका काम जरुरतमंद मरीजों को एक मंच प्रदान करना है जो कैंसर, अंग प्रत्यारोपण व दूसरी गंभीर बीमारियों के उपचार के लिए ऑनलाइन तरीके से मित्र, रिश्तेदार व जनता से आर्थिक सहयोग व दान की अपेक्षा रखते हैं।
मेरे मुवक्किल ने सोशल मीडिया में एक बच्चे की मदद के लिए विज्ञापन जारी किया है। पुलिस के मुताबिक इस मामले में बच्चे का जिस तरीके से दर्शाया गया है। वह भीख मांगने की श्रेणी में आता है। अधिवक्ता प्रधान ने कहा कि याचिकाकर्ता की गतिविधि नेशनल पॉलिसी फॉर रेयर डिसीज 2021 के दायरे में आती है। इसलिए याचिकाकर्ता को पुलिस की ओर से जारी की गई नोटिस आधारहीन है। इसलिए इसे रद्द कर दिया जाए। याचिकाकर्ता को आशंका है कि पुलिस इस मामले में कड़ी कार्रवाई भी कर सकती है। याचिका पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने राज्य सरकार व मुंबई पुलिस को याचिका पर जवाब देने को कहा और सुनवाई को 19 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दिया।
Created On :   12 Oct 2022 9:16 PM IST