बाहरी को मिल सकती है उम्मीदवारी!, स्थानीय नेताओं की उम्मीदों पर फिर सकता है पानी
डिजिटल डेस्क, वर्धा. लोकसभा चुनाव के लिए डेढ़ वर्ष का समय शेष है। मार्च 2024 में लोकसभा चुनाव होने की संभावना है। लिहाजा महाविकास आघाड़ी के दो दलों के नेताओं ने हलचलें तेज कर दी है। खबर है कि इस बार किसी बाहरी उम्मीदवार को मौका दिया जा सकता है। यदि ऐसा होता है तो कांग्रेस-राकांपा के नेताओं के साथ शिवसेना के स्थानीय नेताओं के मंसूबों पर पानी फिर सकता है। इस कारण तीनों दल के नेता इसका विरोध कर रहे हैं। फिलहाल इन तीनों दलों के पास लोकसभा का चुनाव लड़ने लायक कोई सक्षम नेता नजर नहीं आ रहा है। राकांपा के जिला संपर्क प्रमुख पद की जिम्मेदारी सौंपते ही सुबोध मोिहते ने 12 फरवरी को रामनगर के सर्कस मैदान पर कार्यकर्ताओं का महासम्मेलन आयोजित किया था। इस दिन राकांपा के सर्वेसर्वा सांसद शरद पवार दिन भर शहर में थे। सेवाग्राम में हुई आदिवासियों के वन अधिकार की सभा के बाद उन्होंने शहर में व्यापारियों के साथ संवाद किया। उसके बाद आयोजित कार्यकर्ताओं के सम्मेलन को संबोधित किया। यह सभी कार्यक्रम सुबोध मोहिते की अगुवाई में लिए गये। लेकिन यह कार्यक्रम स्थानीय कार्यकर्ताओं को विश्वास में नहीं लेकर आयोजित करने का आरोप उन पर लगाया गया। इससे राकांपा की पत्र-परिषद समय पर रद्द करनी पड़ी। जिले का सहकार गुट व मोहिते गुट इस तरह दो फाड़ शुरुआत से ही दिख रहे थे। वहीं कांग्रेस के नेता तथा जिले के पूर्व पालकमंत्री सुनील केदार भी ढाई वर्ष से निर्वाचन क्षेत्र में हलचलें तेज कर दी है। हाल ही में हुए शिक्षक विधानसभा चुनाव में उन्होंने आक्रामक रुख अपनाया। जिलाध्यक्ष राजेंद्र मुलक के सहयोग के नागपुर जिप में कांग्रेस का परचम लहराने में उन्हंे सफलता मिली है। सर्वोदय संघ के माध्यम से वे विविध संगठनों के संपर्क में हैं। वहीं 14 से 16 मार्च के दरम्यान सेवाग्राम में होनेवाले सर्वोदय संघ के सम्मेलन के वे स्वागताध्यक्ष हैं। चर्चा है कि यह दो नेता लोकसभा का चुनाव लड़ सकते हैं। लेकिन उन्हीं की पार्टी के स्थानीय नेता इसका विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि हमें बाहरी व्यक्ति नहीं चाहिए।
बाहर के दो नेताओं की जीत: वर्धा जिला कांग्रेस पार्टी का गढ़ रहा है। वहीं जिले के बाहर के दो व्यक्ति कांग्रेस के टिकट पर जिले से सांसद बने थे। 1952 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के श्रीमन्नारायण अग्रवाल विजयी हुए थे। उसके बाद 1980 से लेकर 1991 तक वसंत साठे कांग्रेस की टिकट पर तीन बार विजयी हुए थे। 1991 में हुए चुनाव में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के रामचंद्र घंगारे ने उन्हें पराजित किया था।
कांग्रेस के गढ़ में भाजपा के मुंडे ने लगाई थी सेंध: कांग्रेस का गढ़ रहे वर्धा लोस निर्वाचन क्षेत्र में पहली बार 1996 में हुए चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के दिवंगत विजय मुंडे सेंध लगाने में कामयाब हुए थे। उनका कार्यकाल कम समय का रहा था। उसके बाद 2004 में हुए चुनाव में भाजपा के सुरेश वाघमारे विजयी हुए। उसके बाद 2014 से सांसद रामदास तड़स वर्धा लोकसभा का नेतृत्व कर रहे हैं।
Created On :   3 March 2023 8:16 PM IST