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मामले होंगे वापस, जिला समिति करेगी दर्ज प्रकरणों पर फैसला
डिजिटल डेस्क, नागपुर। राज्य सरकार कोरोनाकाल में कोरोना नियमावली उल्लंघन को लेकर दर्ज मामले वापस लेगी। इस संबंध में राज्य के गृह मंत्रालय से अधिसूचना जारी की गई है। इसके मुताबिक मार्च 2020 से मार्च 2022 तक दोषारोपण हो चुके मामलों को वापस लेने का निर्देश दिया गया है। इन मामलों में सार्वजनिक संपत्तियों के नुकसान और फ्रंटवर्कर, सरकारी कर्मचारियों से मारपीट के मामलों को शामिल नहीं किया गया है। उपराजधानी में कोरोना नियमों के उल्लंघन से जुड़े 497 मामलों की पहली सूची पुलिस के परिमंडल क्रमांक-3 से मिली है। इस पर अभियाेग संचालनालय के साथ ही जिला समिति को अंतिम फैसला करना है।
आपाता स्थिति में छूट थी
कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए मार्च 2020 में लॉकडाउन की घोषणा की गई थी। इस दौरान नागरिकों को बेहद आपातकालीन स्थितियों में ही घरों से निकलने की छूट थी। इसके साथ ही अत्यावश्यक सेवा से जुड़े फ्रंटलाइन वर्करों, स्वास्थ्य कर्मियों को भी छूट थी। लॉकडाउन के दौरान सामान्य नागरिकों को बेवजह बाहर निकलने के साथ ही जमावबंदी समेत अन्य नियमों का उल्लंघन करने पर पुलिस ने अपराध दर्ज किया। राजनीतिक दलों और संगठनों के कार्यकर्ताओं को सार्वजनिक रूप से प्रदर्शन करने और भीड़ जमा करने पर भी पाबंदी लगाई गई थी, फिर भी नियमों का उल्लंघन किया गया। ऐसे मामलों में भी अपराध दर्ज किया गया है।
5 परिमंडलों में प्रक्रिया शुरू : पुलिस आयुक्त कार्यालय की ओर से 5 परिमंडलों में दर्ज मामलों को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू की गई है। इनमें गणेशपेठ पुलिस स्टेशन के 38, पांचपावली पुलिस स्टेशन के 57, लकड़गंज पुलिस स्टेशन के 123, तहसील पुलिस स्टेशन के 238 और कोतवाली पुलिस स्टेशन के 41 मामलों का समावेश है। कांग्रेस नेता बंटी शेलके, भाजपा नेता सुबोध आचार्य समेत कई अन्य आरोपी बनाए गए हैं।
दो अनिवार्य शर्तें लागू : गृह विभाग से जारी अधिसूचना में राज्य भर में कोरोना लॉकडाउन के दौरान पाबंदी का उल्लंघन करने पर दर्ज मामलों को वापस लिया जाना है। इस आदेश में 31 मार्च 2022 तक दोषारोपण पत्र दायर वाले मामलों का समावेश है। हालांकि मामलों को वापस लेने में दो अनिवार्य शर्ताें को जोड़ा गया है। इसके तहत मामलों में फ्रंटलाइन वर्कर अथवा सरकारी कर्मचारी से मारपीट नहीं होनी चाहिए। निजी और सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान नहीं होना चाहिए। मामलों को वापस लेने के लिए जांच करने पुलिस आयुक्तालय और जिलाधिकारी की अध्यक्षता वाली समिति को निर्णय लेना होगा। समिति में अभियाेग संचालनालय के सहायक संचालक, पुलिस उपायुक्त, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक का समावेश रहेगा।
ऐसी होगी प्रक्रिया
गृह मंत्रालय की अधिसूचना के आधार पर अभियाेग संचालनालय के सहायक संचालक के माध्यम से केसेस की जानकारी विशेष समिति में रखी जाएगी। समिति की ओर से तीनों शर्तों की समीक्षा कर मामले की संबंधित न्यायालय में स्थिति की समीक्षा का निर्देश सहायक सरकारी वकील को दिया जाएगा। न्यायालय के दस्तोवजों को जांच कर सरकारी अधिवक्ता रिपोर्ट समिति को देगा। इस रिपोर्ट के आधार पर समिति से मामलों को वापस लेने का निर्देश दिया जाएगा। सभी मामलों में सार्वजनिक और निजी संपत्ति के नुकसान की भी समीक्षा होगी। नुकसान को लेकर भरपाई की अनिवार्यता भी की गई है। केसेस को वापस लेने की प्रक्रिया में आरोपी को दंडित नहीं माना जाएगा।
Created On :   27 Nov 2022 3:25 PM IST