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कदम-कदम पर सावधानी फिर भी संक्रमण की चपेट में आ रहे कर्मचारी
डिजिटल डेस्क जबलपुर। हाल ही में आईसीएमआर की एक नई थ्योरी आई कि कोरोना वायरस के 80 प्रतिशत मामलों में कोई लक्षण ही नजर नहीं आए। मतलब, वायरस ने साइलेंट अटैक किया। जबलपुर में अधिकारियों-कर्मचारियों के इंफेक्टेड होने पर इसी बात की आशंका जताई जा रही है। सुखसागर में सरकारी अमले को उपचार देने वाले चिकित्सकों का मानना है कि संक्रमण के प्रति अब और ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है, क्योंकि जो अधिकारी-कर्मचारी दूसरों को नियम-कायदों की सीख दे रहे हैं वे खुद संक्रमण के खतरों के प्रति कतई असावधानी नहीं बरत सकते। कोविड-19 के खिलाफ योद्धा बनकर खड़ा सरकारी अमला भी संक्रमण की चपेट में आने से नहीं बच सका है। जबलपुर में आधा दर्जन से ज्यादा जिला और पुलिस प्रशासन के अधिकारी-कर्मचारी वायरस से संक्रमित हैं, जबकि तकरीबन आधा सैकड़ा को क्वारेंटाइन किया गया है।
न सर्दी, न खाँसी, हर वक्त सोशल डिस्टेंसिंग
हैरान करने वाली बात यह है कि एक दिन पहले कोरोना पॉजिटिव पाए गए अतिरिक्त तहसीलदार दिलीप चौरसिया को चौबीस घंटे बाद भी सर्दी-खाँसी के कोई भी लक्षण नहीं आए। पूरी तरह स्वस्थ होने के बावजूद उनकी पॉजिटिव रिपोर्ट ने इस चिंता को बढ़ा दिया है कि बगैर लक्षण के वायरस संक्रमण को कैसे पहचाना जाए? अतिरिक्त तहसीलदार स्वयं भी बताते हैं उन्होंने कदम-कदम पर खुद सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखा और दूसरों को भी सावधान करते रहे। इतनी ज्यादा एहतियात बरती कि संक्रमण की रत्ती भर गुंजाइश न रहे। इसके बाद संक्रमित होना सिर्फ उन्हें नहीं, बल्कि चिकित्सकों को भी हैरान कर रहा है।
लापरवाही का सवाल ही नहीं7 देश के अलग-अलग हिस्सों में अब तक सरकारी क्षेत्र के वे कर्मचारी-अधिकारी संक्रमित हुए हैं जिनका इलाका हाई रिस्क जोन में रहा। हालाँकि इसमें अधिकांश संख्या चिकित्सकों और नर्सिंग स्टाफ की है। चिकित्सकीय सूत्रों का कहना है कि खास तौर पर प्रशासनिक और पुलिस विभाग से असावधानी की आशंका इसलिए नहीं रह जाती क्योंकि उनका काम ही लोगों को जागरूक करना है।
Created On :   30 April 2020 3:49 PM IST