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क्वालिटी एजुकेशन देने CBSE का नया फार्मूला, प्रिंसिपल बनेंगे अध्यापन प्रतिनिधि
डिजिटल डेस्क, नागपुर। बच्चों को क्वालिटी एजुकेशन देने सीबीएसई नया फार्मूला ला रही है। प्रिंसिपल को अध्यापन प्रतिनिधि की जिम्मेदारी दी जाएगी। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा मंडल (सीबीएसई) पढ़ाने के नए तरीके और शिक्षा की नई तकनीकों का प्रयोग कर हमेशा ही बच्चों को बेहतर शिक्षा देने की कोशिश करता है। इसी दिशा में सीबीएसई ने अब सभी संबद्ध स्कूलों के प्राचार्यों को अध्यापन प्रतिनिधि के तौर पर काम करने को कहा है। सीबीएसई की अध्यक्ष अनिता करवल ने हाल ही एक सर्कुलर जारी किया है। इसमें सभी सीबीएसई स्कूलों को अपनी वार्षिक शैक्षणिक योजना बनाने को कहा है।
साथ ही स्कूलों के प्राचार्यों की जिम्मेदारी भी तय की है कि वे इस योजना को सफलतापूर्वक लागू करवाएं और यह कितना कारगर साबित हुआ, इसका समय-समय पर आकलन करें। इसका मकसद बच्चों को क्वालिटी एजुकेशन देने के साथ ही उनके व्यक्तित्व का संपूर्ण विकास करना है।
इस तरह करेंगे गाइडेंस
हर कक्षा और उनमें बच्चों की जरूरतों के अनुसार अलग पढ़ाई की योजना तैयार करनी होगी।
शैक्षिक प्रतिनिधि की भूमिका निभा रहे प्राचार्य इस योजना को लागू करवाने में शिक्षकों की मदद करेंगे। इससे शिक्षक और छात्र दोनों अपना सर्वोत्तम प्रदर्शन कर पाएंगे।
स्कूल में होने वाली सभी गतिविधियों के केंद्र में छात्रों को कुछ नया सिखाया जाएगा।
सालभर की शैक्षणिक योजना को इस हिसाब से कैलेंडर में शामिल किया जाएगा, जिसमें शैक्षणिक क्षमता या फिर जीवन मूल्यों की बात छात्रों से हो सकेगी।
शैक्षिक प्रतिनिधियों का विशेष ध्यान इस दिशा में हो कि पढ़ाई के तरीकों को उन्नत बनाया जाए। इसके लिए शिक्षा में कला, खेल, कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी का संयुक्त रूप से इस्तेमाल कर कुछ नया तरीका भी ढूंढ़ सकते हैं।
प्राचार्य की यह भूमिका भी होगी कि छात्रों के लिए पढ़ाई बिलकुल भी बोझिल न हो। बच्चों में पढ़ाई के दौरान हर रोज कुछ नया सीखने की जिज्ञासा का विकास करेंगे।
अनुभव आधारित शिक्षा के तरीकों को भी कक्षाओं में अपनाया जाएगा। पाठ्य आधारित योजना बनाने के साथ इलेक्ट्राॅनिक आधारित पठन-पाठन की सामग्री सहित एनसीईआरटी द्वारा तैयार गणित और विज्ञान की किट का इस्तेमाल कर सकते हैं।
अपने स्कूल को ध्यान में रखकर ऐसे संसाधन एकत्रित करेंगे, जिससे पढ़ाने और सीखने में मदद मिल सके।
प्रचार्य यह सुनिश्चित करेंगे कि शिक्षकों काे स्कूल के भीतर भी समय-समय पर प्रशिक्षण मिले, ताकि शिक्षक अपनी विशेषता को पहचान सकें और उसके आधार पर कक्षा में रचनात्मकता काे बढ़ावा दें सकें।
Created On :   28 March 2019 5:15 PM IST