संसद में पारित होने के बावजूद राज्य में 9 साल से लागू नहीं हुआ सीईए

CEA not implemented in state for 9 years despite passage in parliament
संसद में पारित होने के बावजूद राज्य में 9 साल से लागू नहीं हुआ सीईए
संसद में पारित होने के बावजूद राज्य में 9 साल से लागू नहीं हुआ सीईए

डिजिटल डेस्क, नागपुर। स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में अग्रणी राज्य महाराष्ट्र में काफी बड़े स्तर पर निजी हेल्थकेयर सेक्टर के बावजूद वर्ष 2010 में संसद से पारित क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट (सीईए) राज्य में लागू नहीं हुआ है। राज्य में एक्ट लागू करने की जिम्मेदारी राज्य के मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च विभाग (डीएमईआर) की है। आईएमए नागपुर के अध्यक्ष डॉ. कुश झुनझुनवाला के अनुसार संगठन की ओर से आवश्यक बदलावों के सुझाव के साथ तैयार ड्रॉफ्ट फरवरी 2018 में ही सौंपा जा चुका है। अब एक्ट को लागू करने की जिम्मेदारी डीएमईआर के स्वास्थ्य विभाग की है। विभाग के सूत्रों के अनुसार आईएमए की आपत्तियों पर विचार करने पर राज्य मंे लागू बॉम्बे नर्सिंग एक्ट और सीईए में ज्यादा अंतर नहीं रह जाता है। ऐसे में नया एक्ट लागू करने की जगह बॉम्बे नर्सिंग एक्ट में संसोधन करना ज्यादा बेहतर िवकल्प होगा।

अब तक क्या हुआ
संसद में एक्ट पारित होने के बाद राज्यों के एक्ट को उसी रूप में या राज्य के अनुसार संशोधित कर लागू करने का आदेश दिया गया था। केंद्र की ओर से पारित किए गए एक्ट के कई बिंदुओं पर राज्य की आईएमए शाखा काे एतराज था। सीईए पर दो वर्ष तक सरकार की चुप्पी साधे रखने पर 2012 में सिविल सोसाइटी ने जन आरोग्य अभियान के तहत सड़क पर उतर कर राज्य में एक्ट लागू करने की जोरदार मांग उठाई।

प्रदर्शन के बाद राज्य के तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री स्वास्थ्य सेवा के विभिन्न स्टॉक होल्डरों की कमेटी गठित करने पर सहमत हुए। इसके बाद सिविल सोसाइटी, मेडिकल एसोसिएशन के प्रतिनिधि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर महाराष्ट्र क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट बिल का प्रारूप तैयार किए। इस प्रारूप पर भी डॉक्टर व आईएमए ने कई अापत्तियां उठाईं। इसके बाद वर्ष 2017-18 में फिर से एक कमेटी गठित की गई। इस बार कमेटी में डॉक्टरों की संख्या बढ़ा दी गई और सिविल सोसाइटी के कुछ ही सदस्य शामिल किए गए। इसके बावजूद कमेटी की ओर से तैयार ड्रॉफ्ट पर आम सहमति नहीं बनी और जनहित का एक्ट 9 वर्ष बाद भी धूल खा रहा है।

एक्ट में शामिल प्रमुख नियम
आईपीडी के साथ-साथ ओपीडी यानी नर्सिंग होम, मेटरनिटी होम्स, डिस्पेंसरी, पैथोलॉजी, रेडियोलॉजी केंद्र व आयुर्वेदिक स्वास्थ्य सेवा केंद्र सभी का पंजीयन जरूरी।
अस्पताल आने वाले हर मरीज का इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकार्ड और मेडिकल हेल्थ रिकॉर्ड अस्पताल प्रशासन के पास सुरक्षित होना चाहिए।
आपातकाल में अस्पताल पहुंचने वाले मरीज को भर्ती करने से इनकार नहीं किया जा सकता और उसे तत्काल सेवा उपलब्ध कराना जरूरी।
क्लीनिक में शिकायत पुस्तिका और रेट चार्ट का प्रदर्शन
नियमों के उल्लघंन पर इनका रजिस्ट्रेशन रद्द करना।

Created On :   19 Dec 2019 1:09 PM IST

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