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केंद्र ने मप्र की आपसी सहमति से भूमि क्रय की नीति पर लगाई लगाम
डिजिटल डेस्क,भोपाल। भारत सरकार ने मप्र की भाजपा सरकार की 12 नवंबर 2014 को जारी आपसी सहमति से भूमि क्रय की नीति पर लगाम लगा दी है। केंद्र ने स्पष्ट रुप से कहा है कि इस नीति के तहत क्रय की जाने वाली भूमि का मुआवजा केंद्र के नए भू-अर्जन कानून से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
दरअसल प्रदेश में नेशनल हाईवे प्रोजेक्ट्स के अंतर्गत शिवराज सरकार भूमियों का बल्क परचेज आपसी सहमति से क्रय की नीति से कर रही थी क्योंकि नए भू-अर्जन कानून के माध्यम से भूमि क्रय करने में उसे काफी परेशानी हो रही थी। आपसी सहमति से क्रय की नीति नेशनल हाईवे के प्रोजेक्ट्स में अपनाने के लिए राज्य सरकार ने केंद्र से सहमति भी चाही थी। इस पर अब केंद्रीय सड़क परिवहन एवं हाईवे मंत्रालय ने नेशनल हाईवे अथारिटी ऑफ इंडिया तथा मप्र सरकार के लोक निर्माण एवं राजस्व विभाग को लिखा है कि नेशनल हाईवे प्रोजेक्ट्स के लिए नेशनल हाईवे एक्ट 1956 के तहत की जाए तथा इसमें नए भू-अर्जन कानून के प्रावधानों का भी ध्यान रखा जाए। साथ ही मप्र सरकार की आपसी सहमति से भूमि क्रय करने की नीति से भी भूमि अर्जित की जा सकती है, लेकिन आपसी सहमति से क्रय की जाने वाली भूमि का मुआवजा नए भू-अर्जन कानून के अनुसार नियत मुआवजे से अधिक नहीं होनी चाहिए।
गौरतलब है कि मप्र सरकार की आपसी सहमति से भूमि क्रय करने की नीति में निजी भूमि का मूल्य कलेक्टर गाईड लाईन की दर पर तय किया जाता है तथा इसका भुगतान करने के अलावा इतनी ही और राशि प्रतिफल के रुप में और निजी भूमिस्वामी को देने का प्रावधान है जिससे निजी भूमि स्वामी को अपनी भूमि का दोगुना मुआवजा मिलता है। भारत सरकार से नया फरमान आने पर राज्य के लोक निर्माण विभाग ने प्रबंध संचालक मप्र सड़क विकास निगम, प्रमुख अभियंता लोनिवि तथा मुख्य अभियंता राष्ट्रीय राजमार्ग परिक्षेत्र भोपाल को इससे अवगत करा दिया है।
मप्र लोक निर्माण विभाग मुख्य अभियंता जीपी कटारे का कहना है कि पहले नेशनल हाईवे के लिए आपसी सहमति से सिर्फ 10 प्रतिशत भूमि ही क्रय की जा सकती थी,लेकिन अब केंद्र सरकार ने समूची भूमि क्रय करने की अनुमति दे दी है। नए भू-अर्जन कानून के तहत भूमि अधिग्रहित करने में बहुत सारी प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है इसलिए अब नेशनल हाईवे के आगामी प्रोजेक्ट्स में आपसी सहमति से भूमि क्रय करने की नीति का ही पालन किया जाएगा। इस नीति के तहत रेट भू-अर्जन कानून से ज्यादा न हो इसका ध्यान रखा जाएगा।
Created On :   24 Oct 2017 11:19 AM IST