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फास्टैग से नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं, केंद्र का दावा
डिजिटल डेस्क, मुंबई। केंद्र सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट को सूचित किया है कि राष्ट्रीय महामार्ग पर चलने वाले वाहनों में फास्टैग की अनिवार्यता से नागरिकों के यहां वहां जाने की स्वतंत्रता से जुड़े मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं होता है। सरकार ने हाईकोर्ट में हलफनामा दायर कर यह दावा किया है। सरकार ने यह हलफनामा वाहनों में फास्टैग की अनिवार्यता के खिलाफ दायर जनहित याचिका के जवाब में दायर किया है।
यह याचिका सामाजिक कार्यकर्ता अर्जुन खानापूरे ने दायर की है। याचिका में दावा किया गया है अभी भी बहुत से लोग ऑनलाइन लेन देन को लेकर सहज नहीं है। जिन वाहनों में फास्टैग नहीं है उनसे मनमाने तरीके से पैसे वसूले जा रहे है। इस तरह से देखा जाए तो फास्टैग की अनिवार्यता नागरिकों के यहां वहां जाने की स्वतंत्रता से जुड़े मौलिक अधिकार का उल्लंघन करती है। इसलिए इस संबंध में 12 व 14 फरवरी 2021 को जारी किए गए परिपत्र पर रोक लगाई जाए।
केंद्र सरकार ने हलफनामे में स्पष्ट किया है कि ट्रैफिक जाम को रोकने, लोगों का समय बचाने के उद्देश्य से फास्टैग को अनिवार्य किया गया है। इसके तहत वाहनो में एक चिप लगाई जाएगी। जिससे अपने आप टोल की रकम कट जाएगी। सरकार ने केंद्रीय मोटर वेहिकल कानून का पालन करते हुए फास्टैग को अनिवार्य किया है।
हलफनामे के अनुसार फास्टैग को रातोरात नहीं लागू किया गया है। वाहनो में फास्टैग लगाने वालों के लिए कैशबैक का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा लोगों की मदद के लिए टोलप्लाजा में ट्रैफिक मार्शल भी तैनात किए गए हैं। टोल नाके पर बिना फास्टैग वाले वाहनों को भी जाने दिया जाता है पर उनसे दो गुना टोल लिया जाता है। राज्य के टोलप्लाजा के लिए केंद्र सरकार वित्तीय सहयोग भी देगी। राज्य में कुल 119 टोल प्लाजा हैं। हलफनामे में कहा गया है कि यदि याचिका में की गई मांग को मंजूर किया जाता है तो इससे भारतीय राष्ट्रीय महामार्ग प्राधिकरण को काफी नुकसान होगा। इसलिए इस याचिका को खारिज कर दिया जाए।
Created On :   14 April 2021 5:45 PM IST