केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपना 46वां स्थापना दिवस मनाया, विज्ञान-आधारित पर्यावरण प्रबंधन को और बढ़ाने के लिए तकनीकी नेतृत्व देने का संकल्प लिया
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डिजिटल डेस्क, दिल्ली। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपना 46वां स्थापना दिवस मनाया, विज्ञान-आधारित पर्यावरण प्रबंधन को और बढ़ाने के लिए तकनीकी नेतृत्व देने का संकल्प लिया हवा की गुणवत्ता सुधारना सभी की साझा जिम्मेदारी है: श्री बाबुल सुप्रियो केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री ने आज कहा, हवा को साफ रखने के लिए जनता और सरकारों को जिम्मेदारियों को साझा करने और एक साथ मिलकर काम करने की जरूरत है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की स्थापना के 46वें वर्ष के अवसर पर आयोजित एक वेबिनार को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, सीपीसीबी प्रदूषण संबंधी आंकड़ों को जुटाने और उनका विश्लेषण करने में उल्लेखनीय काम कर रहा है, जो हवा की गुणवत्ता को सुधारने के लिए सरकार और संबंधित एजेंसियों के लिए महत्वपूर्ण नीतिगत आसूचना (पॉलिसी इनपुट) का काम करता है। उन्होंने कहा, सीपीसीबी रियल टाइम डेटा उपलब्ध कराता है, जो प्रशंसनीय है। श्री सुप्रियो ने कहा कि कोविड-19 महामारी ने हमें पर्यावरण को बचाने के लिए रिबूट का बटन दबाने (शुरुआत करने) का अवसर दिया है। मंत्री ने आगे कहा, यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि जल प्रदूषित न हो, क्योंकि इसका फसलों पर विपरीत असर पड़ सकता है। उन्होंने कोविड-19 के दौरान बायो-मेडिकल कचरे के निस्तारण करने के लिए सीपीसीबी की सराहना की। देश में पर्यावरण संबंधी शोध, निगरानी, विनियमन और प्रवर्तन के लिए केंद्र सरकार के तकनीकी अंग के रूप में 23 सितंबर, 1974 को जल (प्रदूषण नियंत्रण और प्रदूषण) अधिनियम के तहत सीपीसीबी को स्थापित किया गया था। स्थापना के बाद से सीपीसीबी देश में पर्यावरण को बचाने की दिशा में बिना रुके काम कर रहा है। केंद्रीय बोर्ड की कुछ पूर्व-सक्रिय (प्रो-एक्टिव) गतिविधियों में अलग-अलग क्षेत्रों के लिए विशेष मानकों का निर्माण (86), 5,000 से ज्यादा उद्योगों की सीधी (रियल टाइम) निगरानी, नदी बेसिन अध्ययन, जो गंगा एक्शन प्लान की वजह बना, अलग-अलग शहरों में प्रदूषण का अध्ययन, सार्वजनिक प्रसारण के लिए व्यापक निगरानी तंत्र बनाने और आंकड़ों के प्रबंधन, राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानक और जल गुणवत्ता मानक बनाने जैसे कदम शामिल हैं। त्वरित औद्योगिक, व्यापारिक और जनसंख्या विस्तार की वजह से संभावित भारी पर्यावरणीय अपक्षरण को रोकने में सीपीसीबी की गतिविधियां बेहद अहम रही हैं। पर्यावरण की बढ़ती चुनौतियों और जनता की विस्तार लेती अपेक्षाओं के साथ सीपीसीबी प्रदूषण नियंत्रण की तकनीकी और इसके प्रबंधन की रणनीतियों को नए सिरे से परिभाषित करने की दिशा में काम कर रहा है। 23 सितंबर, 2020 को सीपीसीबी के स्थापना दिवस के मौके पर 2030 के लिए सीपीसीबी के परिवर्तनकारी लक्ष्यों को पेश करने और भारत के पर्यावरण लक्ष्यों व प्रदूषण नियंत्रण की नई रणनीतियों को प्राप्त करने में सीपीसीबी की भूमिका पर चर्चा करने के लिए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में एक वेबिनार का आयोजन किया गया। इस वेबिनार का उद्घाटन केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु राज्यमंत्री श्री बाबुल सुप्रियो ने किया। इस मौके पर उन्होंने निम्नलिखित तकनीकी रिपोर्ट भी जारी की: - लघु और मध्यम उद्योगों में पर्यावरण प्रबंधन के काम में लगे कार्मिकों के लिए एक रेडी रेकनर, यहां पर क्लिक करें राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता स्थिति और रुझान 2019, यहां पर क्लिक करें लॉकडाउन अवधि में नदी जल की गुणवत्ता, यहां पर क्लिक करें लॉकडाउन अवधि में परिवेशी वायु गुणवत्ता, यहां पर क्लिक करें राज्य मंत्री ने एक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) रिपोर्टिंग मोबाइल एप्लीकेशन का भी शुभारंभ किया, जो देश में 1,641 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के आंकड़ों को बगैर किसी बाधा के जुटाने और उन्हें तेजी से दर्ज करने में मदद करेगा। किसी भी जलाशय के मिलने से पहले सीवेज का उचित उपचार (ट्रीटमेंट) होना बहुत जरूरी है। इस दिशा में आज लाया गया एसटीपी निगरानी ऐप एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव श्री रविशंकर प्रसाद ने अपने संबोधन में कहा कि पर्यावरण को स्वच्छ बनाने के प्रयासों में सीपीसीबी सबसे आगे खड़ा है। बीते वर्षों में इसने बहुत से प्रशंसनीय कार्य और तकनीकी सुधार किए हैं और लगातार सुधार करने के लिए प्रोत्साहित भी है। एक्यूआई, एनसीएपी और अपशिष्ट प्रबंधन जैसी पहलकदमी ज्यादा स्वस्थ और अनुकूल पर्यावरण सुनिश्चित करेगी।
Created On :   24 Sept 2020 2:10 PM IST